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निखिल कुमार अंजान
इश्क मे इश्क जैसा कुछ नही रहा सब कुछ खारा सा हो गया न हम तुम्हारे रहे न तुम हमारे रहे जाने कौन से किस्से पुराने रहे वापस मुड़ कर देखने के भी अब न कोई बहाने रहे मशरुफ हो तुम शख्सियत बनाने मे अपनी हम पीछे कहाँ फिर से दिल लगाने मे रहे मशहूर किस्से हमारे कुछ यूँ जमाने मे रहे......... #अंजान...... ©निखिल कुमार अंजान सब कुछ खारा हो गया
सुशांत राजभर
तुम #मालकिन हो जिस हुश्न की तुम हमको उसका #नौकर बनाओगी क्या? बोलो तो ले चलूँ तुम #झरना दिखलाने उस #मीठे_झरने के पानी में नहाकर तुम उस मीठे पानी को namkeen aur खारा बनाओगी क्या? तुम उस मीठे पानी को namkeen aur खारा बनाओगी क्या? ©सुशांत राजभर #Jharna #Namkeen तुम #मालकिन हो जिस हुश्न की तुम हमको उसका #नौकर बनाओगी क्या? बोलो तो ले चलूँ तुम #झरना दिखलाने उस #मीठे_झरने के पानी में
Babli Gurjar
आंखों में बसाया था जिन्हें बड़े शौक़ से चंद इम्तिहानों में बह निकले आंखों से खारा पानी बनके चाहत और इबादत में फर्क समझा गए मसीहा बनने वाले मिट्टी में मिला गए बबली गुर्जर ©Babli Gurjar खारा पानी Ashutosh Mishra Bhardwaj Only Budana heartlessrj1297 वंदना .... Sethi Ji Rama Goswami MRS Sharma Anshu writer R K Mishra " सूर्य
Gian Gumnaam
वोह समुंदर हमारा था जिसका पानी ही खारा था हम डूबे थे कि तैर लेंगे पर उसका नहीं कोई किनारा था ©Gian munkan wala खारा
||स्वयं लेखन||
आज मीठे ख़्वाब देख रहे हो, कल को यही ख़्वाब आंखों से खारा पानी बनकर बहेंगे। ©Gunjan Rajput आज मीठे ख़्वाब देख रहे हो, कल को यही ख़्वाब आंखों से खारा पानी बनकर बहेंगे। #Life #Life_Experiences #Quote #thought #Poetry
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- उसे बुराई से हमने तो , नित लडते देखा है । दीन-दुखी पर खुशी लटाते , मैं अक्सर देखा है ।। उसे बुराई से हमने तो ... सच्चा ही इंसान यहाँ तो , अब प्रेम जगाता है । अपने पौरुष के बल पर ही , परिवार चलाता है ।। दो रोटी की खातिर किसने , सुन किसको नोचा है । उसे बुराई से हमने तो ..... पढ़े लिखे की बात नही अब , सोच यहाँ रख खारा । इच्छाओं पर हो काबू तो , जग सारा है प्यारा ।। तुम भी जागो इन्हें जगाओ , कब किसने रोका है उसे बुराई से हमने तो ... करे भलाई आज यहाँ हम , यह मन में ठानी है । सदा बुराई से सुन किसको , जग देता पानी है बुरे कर्म करने वालो को , सब रोते देखा है ।। उसे बुराई से हमने तो ..... नेक कर्म से मानव को , मिलती है राह नई । धर्म-कर्म में हाथ बटाकर , पाता सम्मान कई ।। बुरे कर्म करने वालों को , बस मिलता धोखा है । उसे बुराई से हमने तो .... उसे बुराई से हमने तो , नित लड़ते देखा है । दीन-दुखी पर खुशी लुटाते , मैं अक्सर देखा है ।। २३/०९/२०२३ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- उसे बुराई से हमने तो , नित लडते देखा है । दीन-दुखी पर खुशी लटाते , मैं अक्सर देखा है ।। उसे बुराई से हमने तो ...
kavi amit kumar
Ashutosh Mishra
विचार नदी का पानी मीठा क्यों होता है, क्योंकि वह पानी दे सकती है। समुद्र का पानी खारा क्यों होता है, क्योंकि वह हमेशा लेता है। नाले का पानी दुर्गंध भरा क्यों होता है, क्योंकि वह रुका हुआ होता है। यही जिंदगी है मेरे प्यारे,,, जब तक दोगे सबको मीठे लगेंगे, अगर लेते रहोगे तो खारे लगोगे, और अगर रुक गए तो सबको बेकार लगोगे। शुभ रात्रि अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻 ©Ashutosh Mishra #विचार नदी का पानी मीठा क्यों होता है, क्योंकि वह सब को देता है। समुद्र का पानी खारा क्यों होता है, क्योंकि वह सबसे लेता है। नाली का पानी द
कवि मनोज कुमार मंजू
आंसू हूं खारा हूं ठहरता कहां हूं छलकना बह जाना और फिर सूख जाना यही तो है मेरा अंजाम। ©कवि मनोज कुमार मंजू #आंसू #खारा #ठहरना #अंजाम #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू #humantouch