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Anuj Ray
White कलेजे की आग" किसी के कलेजे की आग बुझते ही, किसी की रात की चूल्हे की आग जल गई। मिला किसी को कुछ भी नहीं फ़िर भी , दोनों की एक पल के लिए तबियत बहल गई। ©Anuj Ray # कलेजे की आग"
# कलेजे की आग"
read moreSumit Kumar
कुछ पुरुष भी जला दिये जाते है उस "दहेज़ की आग" में जो उसने कभी माँगा नहीं होता है.. ©Sumit Kumar दहेज़ की आग और पुरुष.. sad shayari on life
दहेज़ की आग और पुरुष.. sad shayari on life
read moreDrjagriti
तुमको तो हर हक दिया था मैंने तुम क्या गए, हम दोनों को तन्हा कर गए ©Drjagriti #तन्हाई
Kavi Himanshu Pandey
White प्रिय,आग लगाने से मिलेगा क्या, जज़्बातों को भड़काने से मिलेगा क्या, एक बार देखो नज़ारा आग बुझाकर, फ़िर सोचना, तुम्हें मिलेगा क्या! ...... Er. Himanshu Pandey ©Kavi Himanshu Pandey आग.. #beingoriginal #NojotoHindi
आग.. #beingoriginal Hindi
read moreAvinash Jha
White तन्हाई के साये गहरे होते हैं, खुद से मुलाकात के पहरे होते हैं। चुपचाप कह जाती है ये दास्तां, जो लफ्ज़ों में कभी ना कहे होते हैं। ©Avinash Jha #तन्हाई
Anuj Ray
White तन्हाई" बर्बाद आरज़ू में तेरी ज़िन्दगी मेरी, तुम्हें पता नहीं है कब से तन्हाइयों में जी रहे हैं। तेरी तस्वीर लगाकर अपने सीने से, ख्यालों में रात दिन, तेरे लबों से जाम पी रहे हैं। ©Anuj Ray # तन्हाई"
# तन्हाई"
read moreआगाज़
White *तन्हाई का सफ़र* चुप है रात, सन्नाटा गहरा, दिल की गली में है एक पहरा। चाँद भी थका-थका सा दिखता, तन्हाई का मौसम बस यही कहता। खुद से बातें, खुद से शिकवे, खुद ही अपने दिल के करीब। हर सांस जैसे कोई कहानी, पर सुनने वाला नहीं कोई सजीव। रंग थे कभी, अब सब फीके, खुशियों के दिन हुए पुरानी किताब के। पर यह तन्हाई भी सिखाती है, दिल की आवाज़ सुनने की राह दिखाती है। चल अकेला, संग तेरे है साया, तू ही है अपना, और तू ही पराया। ये खामोशी भी इक गीत है, हर दर्द के पीछे नई प्रीत है। तोड़ तन्हाई की दीवारें, खोल खिड़की नए उजालों की। हर अंधेरा कभी रौशन होगा, बस उम्मीद रख, इस जालों की। ✍️ ©आगाज़ #तन्हाई
Nina
मैं को मैने... आंसुओं से मैंने मुझको विदा है किया। सुखा कर उन्हे जेब में रुमाल सा सजा लिया। मुस्कुराते हुए मैंने मुझको देख तो लिया, मैं जान न पाया मैंने मुझे दिल था दिया। मैं रोया चमकती आंखों से, नूर बना लिया। मुस्कुराया बुझे अरमानों से, सुख बना लिया। जल उठी वो धरती, वहां मरुस्थल बना लिया। कांटों में फूल खिलाए, नदी से पानी बहा लिया। मैं जाता मुझसे दूर कि सुख से रहना हो लिया। मुझको दूर करना मुझसे ही उचित बना लिया। मैं जान न पाया कब मैंने खुद को शत्रु बना लिया। अजातशत्रु मैने अपना ही प्राण ले लिया।। मेरी दुनिया उजली करने मैने खुद को जला दिया!! ©Nina आग
आग
read moreAurangzeb Khan
एक मैं ही नहीं जो तन्हा सफर करता हूं ऐ औरंगज़ेब मैंने उसे पपीहे को भी खुश देखा है जिसका कोई हमसफ़र ही नहीं ©Aurangzeb Khan #तन्हाई#मेरी