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हिमांशु Kulshreshtha
White लोगों के फरेबी चेहरे देख कर, जज़्बातों से रिस रहा हूँ , दिल और दिमाग की इस रस्साकशी में, मैं पिस रहा हूँ ...!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha लोगों के
लोगों के
read moreहिमांशु Kulshreshtha
Unsplash कर के मोहब्बत भरपूर तुमसे .. हिस्से में सिर्फ तेरी बेरुखी के हक़दार हुए .. ख़बर भी ना लगी कब दिल खो गया कब तेरी चाहतों के शिद्दत से तलबगार हुए .. ©हिमांशु Kulshreshtha कर के..
कर के..
read moreGhanshyam Ratre
जंगल उपवन के छेड़छाड़ पेड़ -पौधों की कटाई कर रहें हैं। वन्य प्राणी पशु-पक्षियों का जीवन संकटों से प्रभावित हो रहें हैं।। जंगल में रहने वाले पशु-पक्षियां गांवों- शहरों में आ रहें हैं। खेती-बाड़ी फसल को उजाड़ कर बर्बाद कर रहे हैं।। ©Ghanshyam Ratre जंगलों के पशुओं पक्षियों के जीवन
जंगलों के पशुओं पक्षियों के जीवन
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} हमारे मन की गतिविधिया, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण जी की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है; और लगातार तुम्हे बस एक (साधन) की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है. जय श्री राधेकृष्ण जी!! लाईक पेज फ़ेसबुक N S Yadav GoldMine. ©N S Yadav GoldMine quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} हमारे मन की गतिविधिया, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण जी की शक्ति सदा तुम्हारे साथ ह
quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} हमारे मन की गतिविधिया, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण जी की शक्ति सदा तुम्हारे साथ ह
read moreF M POETRY
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset समंदर के किनारे आ के अक्सर बैठ जाता हूँ.. सुना है दिल के दर्द-ओ-ग़म समंदर सोख लेता है.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #समंदर के किनारे आ के अक्सर..
#समंदर के किनारे आ के अक्सर..
read moreअनिल कसेर "उजाला"
मौसम बदल रहा है सम्हल के चल, दिल से दिल मिल रहा है सम्हल के चल। तूफां तो बहुत आयेंगे जिंदगी में तेरे, वक़्त भी निकल रहा है सम्हल के चल। ©अनिल कसेर "उजाला" सम्हल के चल
सम्हल के चल
read moreGhanshyam Ratre
शीत लहरें कोहरे का ठंडा का महिना है । गरम वाले सुती ऊनी वस्त्र लगते सुहाने हैं।। बहुत ठंडा लगता है ठंड से शरीर कांपते हैं। ठंडा में गर्मागर्म खाने के चीजें अच्छे लगते हैं।। ©Ghanshyam Ratre ठंडा के महिने
ठंडा के महिने
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी योजनाओं की धुंध से ओझल जनमानस उनकी नीतियां जीवन कपकपाती है सर्द और सुन्न हो गये मन मस्तिष्क ओले राशन पानी पर गिराकर महंगाई का कहर रसोई पर बरसाती है मानक सफ़लता के सरकारों के पास है गफलत में हम, दम तोड़े जाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sadak मानक सफलता के सरकारों के पास है
#sadak मानक सफलता के सरकारों के पास है
read moreMohan Sardarshahari
White पानी में पैर डालकर प्रेमी जोड़े बैठे रहते थे दूर किनारे बैठकर हम भी सोचा यह करते थे पास नहीं तो क्या हुआ पानी तो एक ही है रोमांस तो सोच में है पास वाले तो संकोच में है उनके जाने के बाद उन्हीं सीढ़ियों पर कुत्ते आराम फरमाते थे देखकर उन कुत्तों को हम भी युधिष्ठिर बन जाते थे कहीं झील देखकर आज भी मन में उन दृश्यों को भूना लेते हैं और उम्र को झुठला देते हैं।। ©Mohan Sardarshahari # मनोरम दृश्य
# मनोरम दृश्य
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