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Ek villain
यह सही है कि विधानसभा चुनाव में राज्य से संबंधित मुद्दे समस्या उम्मीदवार नेतृत्व आदि लोगों के मध्य निर्धारण में प्रमुख कारक होते हैं किंतु राष्ट्रीय मुद्दे पर बल हो तो वह भी व्यापक स्तर पर लोगों की मानसिकता प्रभावित करते हैं कई बार स्थानीय प्रदर्शन मुद्दे उनके प्रभाव में हादसे पर चले जाते हैं इस बार भी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव सिर्फ स्थानीय मुद्दों पर नहीं लड़े जा रहे हैं जो लोग सामान्य मुद्दा यानी बेरोजगार कानून व्यवस्था समुदाय संप्रदाय समीकरण आधी आधी अपना विश्लेषण समृद्धि रखने पर उनके निष्काम में दोषी उसी कारण है वह राष्ट्रीय मुद्दों के प्रभाव का सही आंकलन नहीं कर पाते चुनाव वाले सभी राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक प्रमुख चुनावी मुद्दे के रूप में विद्यमान है योगी आदित्यनाथ प्रमुख मंत्री प्रदेश के हैं लेकिन उत्तराखंड पंजाब मणिपुर और यहां तक कि गोवा में अभी तक व्यक्ति एक कार्य की चर्चा व्यापक तौर पर हो रही है राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद हर जगह लोगों के बीच बहस के विषय बने हुए हैं चीन और पाकिस्तान के साथ तनाव तथा उसके अनुरूप केंद्र सरकार की नीति पर लोगों की बातें करते सुनता जा रहा है पंजाब के साथ उत्तराखंड और मणिपुर सभी सीमाएं राज्य है यहां राष्ट्रीय सुरक्षा और पड़ोसी देशों के साथ संबंध का असर मतदान पर होंगे अनेक ऐसे मुद्दे जो राष्ट्रीय और केंद्र सरकार की नीतियों से संबंधित है राज्यों के चुनाव पर दौड़ रहे हैं जैसे अनुच्छेद 370 का अंतिम राजा मुकदमे से जुड़ा हुआ है ©Ek villain # राज्यों के चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों की भूमिका #BookLife
Noor Nizami
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Ek villain
जाति मजहब की राजनीति दोस्त गोचर शीर्षक से लिखी आलेख में संजय गुप्ता ने चुनावों में जीत और धर्म के सहारे जीतने की परी पट्टी खत्म करने की बात कही गई है विडंबना देखिए कि आजादी के 70 साल से अधिक बीत चुके हैं परंतु आज भी हमारी जातिवाद से ऊपर नहीं उठ सके हमारे यहां विकास की बातें तो बहुत कम होती है किंतु प्रदेश में विकास भी काफी हुआ है परंतु चुनाव के समय विकास का मुद्दा किनारे होकर अतिथि चुनाव जातिगत और धार्मिक समीकरणों पर ही जा जाकर टिक जाते हैं मतदाताओं को सोचना होगा कि आखिर कब तक पुराने रूढ़िवादी सोच और जातियों में उलझन रहेगी हम एक तरफ तो खूब कहते हैं कि जात पात खत्म हो परंतु 5 साल बाद जब चुनाव आते हैं और उस भेद को खत्म करने का शुभ अवसर प्राप्त होता है तो फिर हम जातिगत मोह में पड़कर उसी की ओर चल पड़ते हैं कई बार ऐसा लगता है कि इस देश में सिर्फ विकसित की बदौलत चुनाव नहीं जीता जा सकता हमें राजनीति का यह जो चलन है उसे समाप्त करना होगा इसे खत्म करने का हथियार मतदाताओं के पास ही है हम इन पांच राज्यों में होने वाले चुनाव में इस बार जाति धर्म से ऊपर उठकर ऐसे प्रत्याशी को जिताने जो सिर्फ देश प्रदेश और हमारे शहर के लिए विकास करने के लिए तत्पर हो जब भी यह जातिगत और धार्मिक मुद्दे चुनाव में सिर्फ उठते हैं तो अन्य जरूरी मुद्दे ही पूछने लगते हैं इस पर ध्यान देना जरूरी है ताकि चुनाव विमर्श को सही दिशा में दी जा सके ©Ek villain # विकास के मुद्दों पर हो चुनाव #fog