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Naz aktar
White Mother I am strong because of my mother. I am interested because of my mother. couldn't do life without my mother I love that woman. ©Naz aktar #mountain
Kumar.Satyajit
White महफिल में, अपने दर्द का, नुमाइश न कर। मांगने से कुछ नहीं मिलता, फरमाइश न कर।। जब, जहां जो मिला, अपना लिया कर। जो नहीं मिला, उसकी तु ख्वाहिश न कर।। ©Kumar.Satyajit #mountain
Piyush Prarthi
White मेरे मन की कुछ बातें हैं, बताना जिन्हें सरेआम चाहता हुं। छोटे छोटे कस्बों से मैं, बड़ी बड़ी उड़ान चाहता हुं। चाह हो गर किसी ने ज़रा सा भला किसका, उस हर चेहरे पर मुस्कान चाहता हूं। पूर्ण किया जिसने भी अपने हिस्से का संघर्ष , सफलता के शिखर पर उनका नाम चाहता हूं। - पीयूष प्रार्थी। ©Piyush Prarthi #mountain
Fit Shayar
White कितनी अराजकता है इस रिश्ते में रानी हर जगह सही, राजा कहीं भी नहीं वो वादा निभा रहा है पहाड़ों से , होकर समुंद्र का उसके आने पर तुम्हारे यहां बर्फ तक नहीं ©Fit Shayar #mountain
अनिल कसेर "उजाला"
White ज़िंदगी उलझा हुआ संसार जी, प्यार को करता नहीं स्वीकार जी। हर कदम इंसा दिखा लाचार है, प्यार का सबको यहाँ इंतजार जी। ©अनिल कसेर "उजाला" #mountain
HINDI SAHITYA SAGAR
White सोंच तो वो भी पल-पल रहे होंगे, शायद यह उनके ही कर्मफल रहे होंगे। सो न पाए मेरे संग ज़मी पर, शायद बिस्तर उनके मखमल रहे होंगे। वो चल सके न मेरे संग दो पल, शायद मन उनके बहुत चंचल रहे होंगे। ✍️शैलेन्द्र राजपूत ©HINDI SAHITYA SAGAR #mountain
Likhawat
White तू मुझको देख मैं कहा खड़ा हू समुंदर के बीच में पहाड़ बना हू लोग तो गिराने के फिराक में है फिर भी बुलंदी के साथ खड़ा हू ©Likhawat #mountain
Abhi Roy
मैने देखे ऊंचे–ऊंचे पर्वत शिखर _____________ आह रे! ये पर्वत शिखर नभ चुंभी ऊंचाई पर दिल ले गए मेरा एक ही नज़र हीरा–पन्ना जड़े तन पर मैं डूब गया सागर लहर हाथ पकड़ मेरा , ऐ नभ कर डूबने से रोक ले मुझे हे ये कितना सुंदर कानन वस्त्र इसके देह पर रोता नही ये है नभ पर कंधो पर सरिता को समाये झरना–झरता हर पल सुगंधित माटी इसके तन पर समा ले मुझे , तुझमें महिधर कोयला हे तो क्या हुआ ! हीरा भी तो है तुझ पर बिजली , वर्षा तुझे हिला न पाई जरा सा भी डर खुला आसमान तेरा घर पशु–पक्षी सब रहे तुझ पर जब भी तुझे देखूं ऊंचे–ऊंचे पर्वत शिखर जी करे एक और बार देखूं तुझे मुड़कर ____________ अभिषेक सरकार ©Abhi Roy #mountain
Mr. Eram
White بظاہر کس قدر آزاد ہیں ہم لہو غم میں غلامی کا رواں ہے بڑا ہی لطف ہے اس زیر و بم میں سفینہ جب سے طوفان میں رواں ہے عرش صہبائی . ©Mr. Eram #mountain