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श्रद्धा - एक गहरा समुन्दर
New Year Resolutions हमारे साथ बैठकर पहचान बनाने वाले कुत्ते, आज हमारी पहचान मिटाने की बात कर रहे हैं।” “कद से बड़ा बनने की कोशिश में लोग अक्सर अपनी औकात भूल जाते हैं।” ©श्रद्धा - एक गहरा समुन्दर #newyearresolutions #29th_12_24_last2days #good_morning #thandi_ka_jalwa #gajar_ka_halwa #पहचान #कुत्ते #कोशिश #औकात #hindiquotes
आधुनिक कवयित्री
मेरे शब्दों को समझने में वक्त लगता हैं जनाब, क्योंकि कहानी ख़ुद की हैं, किस्से ओरो के नहीं सुनाते हैं हम ©आधुनिक कवयित्री अपनी कहानी...
अपनी कहानी...
read moreNeeraj
मेरी अपनी है मंज़िल मेरी अपनी दौड़ ऐ राह भटके मुसाफिर सब दुनियादारी छोड़ जा पाले अपनी मंज़िल लगा दे पूरा ज़ोर मेरी अपनी है मंज़िल मेरी अपनी दौड़ ©Neeraj #kavita #motivate 'अपनी मंज़िल अपनी दौड़'
Rameshkumar Mehra Mehra
Unsplash पहले भी मुसाफ़िर थे... आज भी मुसाफ़िर है.....! पहले किसी की तलाश मे थे....!! और अब अपनी तलाश में...!!! ©Rameshkumar Mehra Mehra # पहले भी मुसाफ़िर थे,अब भी मुसाफ़िर है,पहले किसी की तलाश में थे,और अब अपनी तलाश में है..
# पहले भी मुसाफ़िर थे,अब भी मुसाफ़िर है,पहले किसी की तलाश में थे,और अब अपनी तलाश में है..
read moreS.K BHARTI
Unsplash जो टूटे हुए होते हैं, वे बहुत ही मुस्कुराते हैं। ©S.K BHARTI अपनी दुनिया
अपनी दुनिया
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी वैज्ञानिकों की कारगुजारियों के चलते मौसम रंग बदल रहे है बायु प्रदूषण में केमिकल्स और वाहनों के अंधाधुंध प्रयोग शामिल हो रहे है कैसे पनपे कोई स्वस्थ्य बीज पौधा बनकर यूरिया और कीटनाशक मिट्टी के कण कण में पनप रहे है जहरीला हर खाद्यान्न भोजन के रूप में है केंसर के रूप में विश्वभर के लोगो को लील रहै है सभ्यताओं के विकास में पागलपन इतना बढ़ गया जीवन हम सब अपना बीमारियों के रूप में ढ़ोह रहे है चिंता शुद्व हवा पानी की करते करते असभ्यताओ के बीज विषरूप में बो रहे है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #WorldEnvironmentDay असभ्यताओ के बीज विषरूप में बो रहे है
#WorldEnvironmentDay असभ्यताओ के बीज विषरूप में बो रहे है
read moreRAVI PRAKASH
White लहरों में डूबते रहे दरिया नहीं मिला उस से बिछड़ के फ़िर कोई वैसा नहीं मिला कुछ लोग थोड़ी देर तो अच्छे लगे मगर हम जिसके हो सके कोई ऐसा नहीं मिला वो भी बहुत अकेला हैं शायद मेरी तरह उसको भी कोई चाहने वाला नहीं मिला दो चार दिन कितने सुकून से गुज़र गए सब खैरियत रही कोई अपना नहीं मिला ! ©RAVI PRAKASH #sad_quotes लहरों में डूबते रहे
#sad_quotes लहरों में डूबते रहे
read morePoet Kuldeep Singh Ruhela
White #कभी खामोश रहता हूं कभी में गुनगुनाता हूं तेरी चाहत के समंदर में हमेशा में डूब जाता हूं में बदनसीब हूं तेरी चाहत के नशे में यार फंस जाता हूं तेरी महफिल में आके अपनी चाहत के किस्से सबको सुनाता हूं ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #love_shayari #कभी खामोश रहता हूं कभी में गुनगुनाता हूं तेरी चाहत के समंदर में हमेशा में डूब जाता हूं में बदनसीब हूं तेरी चाहत के नशे मे
#love_shayari #कभी खामोश रहता हूं कभी में गुनगुनाता हूं तेरी चाहत के समंदर में हमेशा में डूब जाता हूं में बदनसीब हूं तेरी चाहत के नशे मे
read moreDr. H(s)uman , Homoeopath
औकात से बाहर के सपने देख लिया था मैंने बस इतनी सी ग़लती थी मेरी ©Dr. H(s)uman , Homoeopath #औकात