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MANJEET SINGH THAKRAL
गायकी के रसराज पं. जसराज जी को हार्दिक नमन व श्रद्धांजलि । गायकी के रसराज पं. जसराज जी को हार्दिक नमन व श्रद्धांजलि ।
Gyanu Sagar
मुकद्दर में हर चीज भगवान नहीं लिखता कभी-कभी हम इंसान भी लिखते हैं ©Gyanu Sagar मुकद्दर के लेखक
RAKESH NAYAK
बहोत से गहरे लफ्ज़ कलम से पंनो तक तो ठीक पर वही लफ्ज़ पंनो से आपके आंखों तक मे ही कुछ अक्षर उन्हे बेजुबां कर देते है " लेखक के भाव " #writers #feelings #nojoto
Writer Abhishek Anand 96
जब अगले साल यही वक़्त आ रहा होगा, ये कौन जानता है कौन किस जगह होगा। तू मेरे सामने बैठा है, और मैं सोचता हूँ की आते लम्हों में जीना भी इक सजा होगा। यही जगह जहाँ हम आज मिल के बैठे है। इसी जगह पे राम जाने कल को क्या होगा बिछड़ने वाले तुझे देख - देख सोचता हूँ तू फिर मिलेगा तो कितना बदल गया होगा हम अपने-अपने बखेड़ों में फस चुके होंगे यह चमकते हुए पल धुआँ होगा यह चमकता हुआ दिल बुझा - बुझा सा होगा लहू रुलाऐगा वो धूप छाँव का मंज़र की नजर उठेगा जिस दिन उस दिन हर तरफ अंधेरा होगा मिलने वाले ना जाने कल तेरा कहाँ ठिकाना होगा ना जाने कल मेरा कहाँ बसेरा होगा मिलने वाले इक दिन तू बहुत रुलाऐगा जब याद तुम्हारी अंतर्मन की गहराई को छु जाएगा ©wrïtêr ãbhïßhêk æñæñd #desert लेखक के लेखनी को सलाम ❣️
Mukesh Kumarhttps:/
जन्मदिन के खास लम्हें मुबारक, आंखों में बसे नए ख्वाब मुबारक , जिंदगी जो लेकर आई हैं आपके लिए आज... वो तमाम खुशियों की हसीं सौगात मुबारक ??? दोस्तों के लिए न्यू शायरीयरी #Dosti मुकेश कुमार लेखक
HintsOfHeart.
अफ़साने झूठ कहते हैं चलो हम मान लेते हैं हाल-ए-दिल क़ातिब¹ मगर किरदार बोल देते हैं ; छुपाती हैं फ़ज़ायें, अश्क अपना रातों के अंधेरे में सुबह शबनम से भरे पत्ते ये राज़ खोल देते हैं। ©HintsOfHeart. #राज_छिपाए_नहीं_छिपते 1. लिखनेवाले या लेखक के दिल का हाल।
shubhangi sharma
सुना है उनकी बातों से फूल झड़ते है, मानो दिल से दिल मिलते है। हम भी उनकी निगाहों के लिए तरसते है, पर वो हमारी तरफ कहाँ देखते है। हमसे भी मिल लिया करो ए अजनबी, हम भी तेरे घर के पास रहते है। सुना है उनकी आँखें भी बाते करती है, मानो अनसुनी कहानी बयां करती है। के उनकी आँखे कुछ बाते छुपाये भी रखती है, कभी कभी आंसुओ के ज़रिए बयां करती है। उनके होंठ मानो मोती ओर रंगों का बसेरा, उनकी मुस्कुराहट को देख होता है मेरा सवेरा। बानी रहे यूं ही उनकी मुस्कुराहट सदा, दुआ करते है हम ये ही हमेसा। के उनके बाल भी काली घटा से कम नही, झटकते है जब वो उन्हें तो वो वर्षा से कम नही, मिला मौका उनकी काली घटा में खो जाने का, तो वो पल हमारे लिए किसी दुआ से कम नही। उनके पैर भी है बड़े नाज़ुक से, बंजर जमी पर चले तो वो भी खिल उठे। चलना चाहते है हम भी उनकी जमी पे, उम्मीद ये की कभी तो वो हमें राहों में मिले। ©shubhangi sharma हिंदी साहित्य में रसराज मने जाने वाले शिंगार रस में लिखी कुछ पंक्ति, उम्मीद है पसंद आये।
Sabir Khan
#OpenPoetry लिखने वाला चाहे जैसा भी हो, उसके लेख को पढ़ें-भाव को पढ़ें, उसकी लेखनी की प्रशंसा करें। आपकी प्रशंसा में वो सामर्थ्य है जो कि लेखक का जीवन बदलने के लिये काफ़ी है। .....भावार्थ यह है कि किसी की निजी जिंदगी पर टिप्पणी न करते हुए उसके अच्छे कार्य की प्रशंसा करें, उसका जीवन परिवर्तन निश्चित है। लेखक
Shikha Dubey
लेखक अपने भीतर उमड़े शैलाबों में डूब कर उभरता है तब जा कर वो कुछ लिख पाता है देर तलक वो खुद से लड़ता है तब जा कर वो एक मुकाम पाता है कालिख (स्याही) से कुछ लिखता है तब कहीं जा कर इतिहास पन्नों पर छपता है शब्दों से संग्राम में कुछ चुन कर लाता है तब जा कर उन्हें ,कुछ तहजीब , कुछ तरीके से कतार में लगाता है फिर कतार में लगे शब्दों को पन्नों पर बिठाता है तब कहीं जा कर वो लोगों के दिलों को छू पाता है लेखक
Sabir Khan
#Pehlealfaaz लिखने वाले समाज के रचयिता हैं, समाज लिखने वालों से ही चलता है। अब लिखने वाले ही स्वयं सोच लें कि उनको समाज कैसा बनाना है। लेखक