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तृप्ति
Kalam लिखा नहीं बहुत दिनों से कुछ शायद थोड़ी जम सी गयी है मेरे कलम की स्याही अब भी बाकि है अभी खत्म नहीं हुई है..... ©तृप्ति #kalam
- Arun Aarya
तू ग़ैर की जान महसूस होती है , मुझें तू अनजान महसूस होती है ! पहले तेरे पहलू में आराम आता था ,, अब तो हर बार थकान महसूस होती है..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya #Hum #थकान
Safi Ahmad
White hum rooz rote hain aur raat guzar jati hain Ek din raat chup hogi aur hum juzar jayenge 🥹 ©Safi Ahmad #sad_quotes hum rooz roote hain 🥲 urdu poetry
#sad_quotes hum rooz roote hain 🥲 urdu poetry
read moreKhooni Kalam
Unsplash Niyat saf rakho,, Aur dimag sant rakho,, Sab thik hoga... Instagram :- navi_naveen304 ©Khooni Kalam khooni kalam
khooni kalam
read morePawan Shah
कभी साथ बीतते हो कभी बीता पल हो जाते हो, कभी नज़र का टीका बनते हो कभी बहता काजल हो जाते हो, क्यों तुम कभी-कभी आँखों से ओझल हो जाते हो? ©Pawan Shah #Hum #Love #poem #Poetry #Life #Zindagi #story
Archana pandeyji
Kalam करम का हुनर... दिल अज़ीज 'बलम' छीन लेती हैं.... जिम्मेदारियां; 'कवि' से 'कलम' छीन लेती हैं... ✍️अर्चना'अनुपमक्रान्ति' ©Archana pandey #kalam
BINOदिनी
कुछ नग्में कुछ गीत हर रोज गुनगुनाते हैं। कुछ लफ्ज़ कुछ जुमले, हर वक़्त दोहराते हैं। ढूंढती हूँ में, कास कोई ऐसा नगमा मिल जाए, हर रोज खोजती हूँ में, कास कोई ऐसा जुमला मिल जाए, बयां करने की जरूरत भी न हो। और आप जनाब, बिन बोले सब समझ जाए।। वैसे तो खूब समझते हैं, आप यूँ ही हमदर्द न कहलाते हैं। थोड़ा"और'" कि ख्वाहिश है, कास यह चाहत भी हमारी पूरी हो जाए।। ©BINOदिनी #Hum
Kiran Pawara
याद आती तो है हर बार जताना जरुरी नहीं कौनसा हम अपने दिल की धड़कन रोज महसूस करते है चल रही है तो कीमत नहीं है तन्हा हो कर देखो हर पल महसूस होगी एक आप हो जो हमे तन्हा छोड़ते नहीं …!! आपका हमदर्द ©Kiran Pawara #Hum love
#Hum love
read morepriyanka verma
"यह शक़्ल सुरत कर्ज़ हैं, उस मालिक का यथार्थ कर्म है। जो इतिहास बनकर संसार में रह जाएंगे। ।" ©priyanka verma #Hum
Writer Mamta Ambedkar
किरदार किरदार कोई बाजार में बिकने वाली चीज नहीं, जो दाम चुका कर झोली में भर लाओगे। ये तो तप का फल है, मेहनत की स्याही, संघर्ष की गीली मिट्टी से गढ़ पाओगे। ये राज़ है आत्मा की गहराई का, जहां झूठ और दिखावा टिक नहीं पाते। सच के आईने में चेहरा निखरता है, और किरदार के रंग खुद-ब-खुद चमक जाते। न कोई मोल है इसका, न कोई तिजारत, ये तो मन का उजाला और आत्मा की विरासत। झूठे दिखावे की भीड़ में भी जो अडिग रहे, वही किरदार है, जो सच्चाई से आगे बढ़े। तो मत ढूंढो इसे बाजार की गलियों में, खुद के भीतर के अंधेरों को टटोलो। किरदार वही है, जो हर कठिनाई में भी, तुम्हें इंसान बनाकर रखे, तुम्हें न कभी तोलो। ©Writer Mamta Ambedkar #Hum