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Pooja Udeshi
एक कहानी प्यार की (5) ============= अगले दिन सुशांत स्कूल के लिए तैयार हो निकलते है, स्कूल छूटने के बाद जल्दी जल्दी जीनत से मिलने की खुआईश लिए चल पड़ता है, दूर से ही उसे पहचान लेता है जैसे ही पास जाने वाला होता है उसकी दोस्त रुक्सार जीनत को पुकारती है,,, जीनत ओह जीनत, सुशांत मुस्कुराता है अच्छा इन का नाम जीनत है बहुत प्यारा नाम है,,,, जीनत पीछे मुड़ती है, सुशांत को देख़ आगबबूला हो जाती है, अपना बुर्का उठा पहले तो रुक्सार को झाड़ती है कि क्यों उसका नाम ले चिल्ला रही थी, और फिर सुशांत पर बिगड़ पड़ी,क्या चाहिए मुझसे, क्यों पीछे पड़े हो, अभी अब्बू से कह कर तुम्हारी ऐसी पिटाई करवाऊंगी कि ज़िन्दगी भर याद रखोगे, आगे से कभी मुझ से बात करने की कोशिश की तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा !!जीनत की बातों का सुशांत पर कोई असर नहीं हुआ, वो तो उसे देख़ कर देखता ही रह गया, जैसा नाम वैसा हुस्न, जैसे भगवान ने उसे फुर्सत से बनाया हो, बड़ी बड़ी आँखे, चाँद जैसा चेहरा और दिलकश अदा देख़ कर वो निहाल ही हो गया, उसे पता भी नहीं चला की वो क्या कह गई, वो तो उसे निहारता ही रहा, जीनत गुस्से मे पैर पटक कर चली गई रुक्सार के साथ, सुशांत दोनों को जाते देखता ही रहा,,,,,,,, -------------------------------------------- end of part (5) #dilbechara एक कहानी प्याऱ की (5)
#dilbechara एक कहानी प्याऱ की (5)
read moreDeepika
White कहानी - 1 .... कड़ी - 5 मिश्रानी जी -- हां बहनजी, न जाने किस से दिन रात फोन पर बातें करती रहती थी। लगता है उसी के साथ भाग गई, कुलक्षणी! मम्मी -- (हैरान होकर) क्या कहा आपने? भाग गई? क्या मतलब भाग गई? मैं कुछ समझी नहीं। मिश्रानी जी -- और नहीं तो क्या । बिना किसी को कुछ बताए घर से चले जाना , भाग जाना ही तो होता है ना! to be continued...... ©Deepika #कहानी - 1 #कड़ी - 5
Muskan Bharti
अब वे दोनों प्यार का इजहार एक दूसरे से कर चुके थे ।अब लड़का प्रतिदिन अपने घर से कोचिंग और कोचिंग से घर जाते समय उससे मिलता बातें करता जैसे जैसे वक्त बीतने लगा , मिलने का समय भी बढ़ने लगा 10-20 मीनट की मुलाकात अब 2-3 घंटे होने लगी । उस खिड़की से एक छोटी टेबल दिव्या आंनद को दे देती उस पर बैठ वह बातें करता और जाते समय टेबल दिव्या को दे चला जाता उन दोनों को कोई फर्क नहीं पड़ता था कि उनके बीच इतनी दीवार खड़ी है वह खिड़की दोनों की पूरी दुनिया बन गई थी आंनद हर दिन साथ जीने मरने की कसमें खाता , ढोरों वादे करता , उसकी दामन खुशियों से भरने का वादा करता , उसकी राहो मे फूल ही फूल बिछाने की बातें करता , कभी आंखों में एक बूंद आंसू ना आने दूगा , उसकी बातें सुन दिव्या कभी हंसती , कभी रोती उसे तो मानो सारे जहां की खुशिया मिल गई हो । एक दिन आंनद एक मोबाइल उसे देकर कहता है अब घर में रह कर भी तुमसे बात कर सकूंगा ,अब तुम्हारे बिना मैं जी नही पाऊगा । दिव्या हंसते हुए कहती है , अगले महीने इम्तिहान है , घर जाकर पढ़ाई करो वरना फेल हो जाओगे , फिर नौकरी कैसे पाओगे , मुझे क्या खिलाओगे , मम्मी पापा का सपना भी तुमको ही पूरा करना है , आंनद टेबल अंदर देकर गुस्से में वहां से चला जाता है ।दिव्या कुछ सोचने लगती है ... करीब एक घंटे बाद दिव्या उसे फोन करके गुस्सा होने का कारण पूछती है ,आंनद कहता है, कल बात करते है मुझे पढ़ना है दिव्या ठीक है बोल कर फोन काट देती है आगे की कहानी .पार्ट 5....कहानी का अगला भाग कुछ देर बाद.... #nojotohindi #nojotostory
आगे की कहानी .पार्ट 5....कहानी का अगला भाग कुछ देर बाद.... #nojotohindi #nojotostory
read moreHomendra Kumar
कछुए की उड़ान कछुओं का एक राजा था।उसे राजा बृहस्पति के विवाह का निमंत्रण मिला।वह आलसी था।फलतः घर पर ही रह गया। विवाह के उत्सव में सम्मिलित नही हुआ।बृहस्पति नाराज हो गए।उन्होंने कछुओं को पीठ पर अपना घर ढोने का साप दे दिया। एक समय एक बड़े तालाब में एक कछुआ रहता था।उसमे अनेक राजहंश भी रहते थे। उनकी उड़ान कछुए को बहुत अच्छी लगती थी। वह भी। ©Homendra Kumar #Colors कविता की कहानी।#कहानी
Vivek
कहानी हमारी नही होती उन हालातों की होती है जिन हालातों में रहकर हम निखरें हैं ज्वाला बने हैं,, हम कितने गहरे होंगे कितने विशाल होंगे ये निर्भर करता है हम कहां उगते हैं उसी तरह इंसान के संस्कार, त्याग, तप, निर्भर करते हैं वो किस हालात में किन स्थितियों में रहता है!! ©Vivek #कहानी हालातों की #कहानी हमारे बनने बिगड़ने की #