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Mohan Sardarshahari
आज राखी है बहन - भाई के अटूट स्नेह की साक्षी है। भाई रक्षा सूत्र बंधवाकर बहन को रक्षा का संकल्प देता है यह रस्म पीढ़ियों से चलती आ रही है । घर से बाहर निकाल कर शायद भाई यह संकल्प भूल जाते हैं तभी कार्यालय हो, सफर हो , या हो अस्पताल बहनें लूटी जाती हैं । उसने भी बांधी होगी किसी को राखी, दिया होगा संकल्प फिर भी खत्म कर दिया गया उसके जीने का हर विकल्प । कोलकाता, मेरठ या हो जोधपुर हर जगह राखी तोड़ी गई एक बहन की गर्दन नृशंस रूप से मरोड़ी गई । आज हर एक राखी रो कर कह रही होगी बंद करो यह उपहास नहीं होता रक्षा संकल्प पर विश्वास । राखी में भी आज स्वार्थ की बू आती है सरकारें मुफ्त यात्राएं करवा कर बहनों के वोट लेती हैं जब बारी आती इंसाफ की वही सरकारें एक दूसरे को दोष देती हैं पर इंसाफ करने से कतराती हैं । क्यों राखी के धागों को अब बदनाम करते हो मन के धागों को क्यों नहीं मजबूत करते हो? ©Mohan Sardarshahari आज राखी है
आज राखी है #Poetry
read moreShalini Nigam
केवल "रेशम की डोर" नहीं~ प्रेम का अहसास है~"राखी" केवल "रक्षा का वचन" नहीं~ लम्बी उम्र की दुआ है~"राखी" ©Shalini Nigam #राखी #रक्षाबंधन #भाई_बहन #Nojoto #Love #yqbaba #yqdidi #Shayari
Sangeeta Verma
White चार दीवारी से नहीं बनता घर अपनों के प्यार के बिना अधूरा है हर घर बच्चों की किलकारी सी ही तो महकता है घर बुज़ुर्गो के आशीर्वाद से फलता है घर माँ का दुलार पिता की फटकार से मज़बूत बनता है घर भाई बहन से लड़ना झगड़ना रूठाना मानना से खिलता है घर थोड़े से आँसू थोड़ी सी हँसी से थोड़े से गम थोड़ी सी खुशी बस इस से ही तो खड़ा रहता है घर। ( चाँदनी ) sangeeta verma ©Sangeeta Verma #घर # कविता
#घर # कविता
read moreParasram Arora
White अच्छा होगा अब तुम भटकना छोड़ कर चुप चाप आकर मेरे दिल मे बस जाओ क्यों न तुम मेरे दिल. मे ही अपना स्थाई निवास बना लो और उसे अपना ही घर समझ लो . ©Parasram Arora अपना घर
अपना घर #कविता
read morePallavi
Black ‘घर’ सा बनकर आना... हर कोई यहां नदी सा है जहां कोई हमेशा के लिए ठहर नही सकता ... मगर जो हमेशा स्थिर रह सके तुम मेरे लिए एक घर जैसे बन जाना! आज साथ हैं पर कल का पता नही ये बहती हुई किसी नदी के समान ही हैं... मगर तुम आना तो कुछ इस तरह कोई ‘घर’ सा बन कर आना.... मैं सुकून की तलाश में कहीं जाना चाहूं और तुम ‘घर’ की तरह मुझे याद आना! ©Pallavi Mamgain तुम ‘नदी’ नही , ‘घर’ सा बनकर आना poetry, love , ghar, nadi #Thinking #घर #नदी प्रेम कविता हिंदी कविता हिंदी कविता प्यार पर कविता कविता