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DHIRAJ GARG
व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के माध्यम से एक फर्जी पोस्ट फैलाई जाती है कि कुछ लोग चोरी और अपहरण कर रहे हैं और कुछ बुद्धिहीन लोग उसे सत्य मान लेते हैं जिसे आक्रोश में आकर के दो साधुओं को उसके ड्राइवर की हत्या कर देते हैं जिसका वीडियो देखकर के मेरा दिल दहल उठा कि मानव इतना क्रूर कैसे हो सकता है ज्यादातर लोग इस हत्या को मॉम लिंचिंग या धर्म की हत्या का नाम दे रहे हैं इस व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी व सोशल मीडिया फर्जी संदेशों ने न जाने देश में कितनी मोबलीचिंग जैसी घटनाओं को अंजाम दिलाया एक सिरे से गिनने जाऊं तो बहुत सारे लोगों के नाम आते हैं लगभग हर धर्म के व्यक्ति का नाम है क्या मानव इतना बुद्धिहीन हो गया है कि अपने विवेक का उपयोग किए बिना अपने मोबाइल की स्क्रीन पर दिखने वाले फर्जी संदेशों पर यकीन करके किसी मानव का हत्यारा बन जाता है और देश के कानून को अपने हाथ में ले लेता है जिसका नतीजा आज हमें सामने दिख रहा है बुड्ढे साधु संतों की हत्या हो गई इस हत्या में हम सब भागीदार हैं क्योंकि देश में जब पहली घटना हुई तब हम लोगों ने आवाज नहीं उठाई जब भी ऐसी कोई घटना हुई हम लोगों ने जाति धर्म या व्यक्ति विशेष की आहट में छिपाने की कोशिश आखिर हम लोग कब तक मानव सभ्यता से अलग-थलग करते रहेंगे कभी धर्म तो कभी जाति के नाम पर और कब तक इस तरीके की घटनाओं को अंजाम दिलाते रहेंगे आज देश विकट परिस्थितियों से गुजर रहा है जा एक और मानव महामारी का दंश झेल रहा है फिर भी सुधरने का नाम नहीं ले रहा है अगर आज भी हम नहीं संभले न जाने इस देश में और कितनी मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं होगी अभी भी हमारे पास वक्त है कि देश के हर नागरिक को अपने मानवीय गुणों से भरपूर होने का प्रमाण देना होगा और इस तरह की घटनाओं का हमें खुल कर के विरोध करना होगा हर तरह के भेदभाव( धर्म जाति क्षेत्रवाद) को भूलाकर के तभी हम सक्षम और सर्वश्रेष्ठ भारत का निर्माण कर पाएंगे मैं खास करके उन तमाम माता-पिताओं को एवं बड़े लोगों को कहना चाहता हूं के अपने बच्चों पर नजर रखें कहीं सोशल मीडिया के माध्यम से आपके बच्चे क्रूर हत्यारे तो नहीं बन रहे हैं अगर सोशल मीडिया के माध्यम से आपके बच्चे या आप हत्यारे बन रहे है तो आप की सबसे बड़ी भूल होगी इस भूल को सुधारने का आपके पास सबसे बड़ा मौका है और अपने आप मानव होने का प्रमाण दीजिए किसी भी अफवाह भरे संदेश पर विश्वास ना करें उसके प्रमाणिकता को जांचें परखें उसके बाद ही उस पर विश्वास करें अगर आपको कुछ गलत लगता है तो आप कानून का सहारा लें ना कि कानून को अपने हाथ में लें भारत के एक सच्चे राष्ट्रभक्त नागरिक होने का प्रमाण दें मैं आशा करता हूं कि आप किसी भी तरीके के अफवाह व नफरत भरे संदेशों पर विश्वास नहीं करेंगे नही दूसरे व्यक्ति तक उसको फॉरवर्ड करेंगे और ना ही किसी हत्या के हिस्सेदार बनेंगे और ऐसी घटनाओं को रोकने में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करेंगे इन्हीं आशा और विश्वास के साथ आपका दोस्त धीरज गर्ग #Umeed भारत में मॉब लिंचिंग
AIMIM LATEHAR
मोहम्मद मुमताज़ हसन
चरागे -मोहब्बत जलाते चलो सबको गले लगाते चलो मंदिर न मस्जिद में मिलती है ये मोहब्बत दिलों में बचाते चलो इंसानियत ही तहज़ीब हमारी है गीत एकता के सुनाते चलो रहे हैं सदा मिलकर ही रहेंगे पैग़ाम अमन का सुनाते चलो हिंदू मुस्लिम दो आंखे हैं देश की इन चिरागों से रौशनी लुटाते चलो ** "एकता का पैगाम" #सुप्रीम कोर्ट#अयोध्या विवाद#फैसला
गौरव दीक्षित(लव)
*पत्थर और पौधे मै भेद तो समझिये* *"जनाब"* *कौन सड़क पर पड़ा है तो* *कौन खेतों में खड़ा है,,,* कृषि कानून ,सुप्रीम कोर्ट फैसला *|('}_* *|(_/\\__G@ur@v ______✍🥀* *🌚!! शुभ रात्रि !!🌚* *🚩!! जय सियाराम !!🚩* ©गौरव दीक्षित(लव) कृषि कानून ,सुप्रीम कोर्ट फैसला *
Ek villain
बहुचर्चित ज्ञान या बी मामले में वाराणसी के जिला जज के निर्णय ने स्पष्ट कर दिया है कि अब यह पर कारण लंबी कानूनी प्रक्रिया का सामना करेगा यह निर्णय अपेक्षा के अनुरूप ही है क्योंकि यह रितेश अक्षत दिखाता है कि ज्ञानी अभी परिसर में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी जिला जज ने केवल यह पाया कि यहां मामला सुनवाई योग्य है बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि इस विवाद में 1991 का पूजा स्थल संबंधित कानून लागू नहीं होता है ध्यान रहे कि ऐसे ही सुप्रीम कोर्ट ने तब कहा था जब वह इस आशय की याचिका पेश की गई थी पूजा स्थल कानून के चलते हुए मामले की किसी अदालत में सुनवाई नहीं हो सकती तब सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि उक्त कानून यह पता करने पर रोक नहीं लगा ताकि किसी उपासक स्थल का धार्मिक स्वरूप क्या है ©Ek villain #ज्ञानवापी पर निर्णय सुप्रीम कोर्ट का #Teachersday
Ek villain
उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ ने तो बहुत ही नियोजित प्रश्न उठाया उपराष्ट्रपति का यह कथन स्वार्थ उचित है कि स्वर समिति से पारित संविधान संशोधन कानून सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के बाद उस पर संसद में जरा भी बहस क्यों नहीं हुई संसद को उसे दोबारा पास करके पुनर्विचार याचिका के तौर पर सुप्रीम कोर्ट भेजना चाहिए था कॉलेजियम व्यवस्था सिर्फ भारत में ही क्यों है इसी के इस खामियों का और अपारदर्शी होने का पता चलता है वैसे भी सुप्रीम कोर्ट अनेक बार ऐसी टिप्पणियां कर चुका है और फैसले दे चुका है जो उसके स्तर में नहीं है ©Ek villain #writer कोलेजियम व्यवस्था में सुधार हो सुप्रीम कोर्ट
Ek villain
ठंड के मौसम में शायद ही कोई घर हो जहां बथुआ के अलग-अलग व्यंजन ना बनते हो रोचक यह है कि गत दिनों इसका प्रशांत सुप्रीम कोर्ट में भी छिड़ गया जीएम सरसों पर सुनवाई हो रही थी उसी दौरान खत पर बाहर का जिक्र होने लगा बात हुई कि खत पर हटाने के लिए कीटनाशकों के छिड़काव से मुख्य फसल पर असर ना हो फिर बात अच्छे और बुरे खत पत्रकारों पर पहुंची तब माननीय न्यायाधीश को बथुआ की याद आई वह सहज ही साथी जज से कहने लगी कि आजकल बथुआ का सीजन है ©Ek villain सुप्रीम कोर्ट में भी उठा बथुआ के ऊपर मुद्दा
Ek villain
देश के सर्वोच्च न्यायालय ने कक्षा 10वीं और 12वीं के बोर्ड परीक्षा ऑफलाइन करवाने वाली याचिका को खारिज कर बच्चों के भविष्य के हित में निर्णय लिया है जिसको स्कूली शिक्षा जगत में स्वागत योग्य निर्णय माना जा रहा है सुप्रीम कोर्ट का यह कहना है कि इस प्रकार की याचिकाएं बच्चों में झूठी उम्मीद जगाती है भ्रम का वितरण बनाकर छात्रों को बोर्ड परीक्षा की तैयारी में बाधा बनाती है न्याय संगत है और ऐसा देखा भी जाता है कि बच्चे पढ़ना छोड़ कर गलतफहमी का शिकार हो जाते हैं जबकि महामारी प्रति भी धीरे-धीरे सभी राज्यों द्वारा हटाए जा रहे हैं कुछ राज्यों ने 100% क्षमता के साथ स्कूलों को चलाने की भी अनुमति प्रदान कर दी है ऐसे में ऑनलाइन परीक्षा करवाने की मांग जायज नहीं ठहराया जा सकता जब बोर्ड परीक्षा ऑफलाइन करवाई जाती है तब छात्र अधिक गंभीरता से तैयारी करते हैं ©Ek villain #ऑफलाइन परीक्षा का सही निर्णय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा #Nofear