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Sircastic Saurabh
Alpha_Infinity
White ये रंग बदलता शहर, सांसों में घुला हुआ ज़हर। पंछी सारे मर गए, कुछ अपना रास्ता बदल गए। इंसानों की उमर घट रही, दवाओं पर सब जी रहे। कितना शोर है इन शहरों में, क्यों सब भाग रहे?? रुक जाओ जरा, थोड़ा प्रकृति की गोद में भी जाओ। भर लोग अपने फेफड़ों में प्रकृति को, देखो कुछ होगा अलग। ©0 Not very well rhymed, hope you guys will read and take the message. Thank you so much 🙏🏼😊🤗🤗🥰 #City #Jiwan #sanso #Dard #mohabbat #0 #Nojoto
YumRaaj ( MB जटाधारी )
Alpha_Infinity
वो कहते हैं आंखों से दिखती खूबसूरत दुनिया। कितनी रंगों से भरी है ये दुनिया, हमने को प्रकृति प्रेम में कई किताबें लिख डाली। कुछ प्राणी ऐसे है, प्राण रक्षण हेतू रंग बदलते हैं। मैं ठहरा इंसान, अचंभित विस्मित था मैं, जब मैंने रंग बदलने वाला इंसान देखा। पल में कासा पल में सोना। हाय मैंने क्या क्या नहीं देखा। दोस्ती में भी ठगा गया, बार बार रौंदा गया। मेरे प्रेम हृदय को कुचला गया। बहुत दर्द है, हां बहुत रंग है। रंग बिरंगे इंसान ने सबको नष्ट किया। ©0 It is not perfectly rhymed but it is the true story, Hope you guys like it. Thank you so much. #truecolors #Rang #Jiwan #Satya #0 #Life वं
AwadheshPSRathore_7773
खो गईं वो चिठ्ठियाँ जिसमें “लिखने के सलीके” छुपे होते थे ,कुशलता” की कामना से शुरू होते थे। बडों के “चरण स्पर्श” पर खत्म होते थे...!! नन्हें के आने की “खबर”“माँ” की तबियत का दर्द और पैसे भेजने का “अनुनय” विनय।“फसलों” के खराब होने की वजह...!! कितना कुछ सिमट जाता था एक“नीले से कागज में”... जिसे नवयौवना भाग कर “सीने” से लगाती और “अकेले” में आंखो सेआंसू बहाती माँ” की आस थी “पिता” का संबल थी बच्चों का भविष्य थी और ,गाँव का गौरव थी ये “चिठ्ठियां” अब तो “स्क्रीन” पर अंगूठा दौडता हैं,और अक्सर ही दिल तोड़ता है “मोबाइल” का स्पेस भर जाए तो सब कुछ दो मिनट में “डिलीट” होता सब कुछ “सिमट” गया है 6 इंच में ,जैसे “मकान” सिमट गए फ्लैटों में ! जज्बात सिमट गए “मैसेजों” में “चूल्हे” सिमट गए गैसों में और इंसान सिमट गए नोटों में!वाह रे कलयुग वाह क्या बात है तेरी वाह....! ©AwadheshPSRathore_7773 "अंखियों का पानी बड़ा बेजुबा दर्द मेरा कह पाए ना , O साथी O साथी O साथी तेरी चिट्ठी पते पर आए ना" प्रसिद्ध पार्श्व गायक के गाए बोल हे यह,पहच
Afreen
Afreen