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Anjani Upadhyay
Anjani Upadhyay
Anjani Upadhyay
Anjani Upadhyay
Anjani Upadhyay
गोस्वामी तुलसीदास का एक पुत्र था तुषार, पत्नी रत्नावली अतिसुन्दर काव्य रचना करती थी। पूरी संक्षिप्त कथा आपके सामने अतिशीघ्र। - अंजनी उपाध्याय ©Anjani Upadhyay हर रोज एक रहस्यपूर्ण दुर्लभ जानकारी आपकी सेवा में। #Flower #रत्नावली #तुलसीदास
Vibhor VashishthaVs
Meri Diary #Vs❤❤ सम्बत 1554 में राजापुर शुभ धाम। तुलसी जन्मे माता हुलसी पिता आत्माराम। नरहरि दास और शेष सनातन ने सब बिद्या दीन। पत्नी रत्नावली राम की सगुण भक्ति में लीन। ब्रजभाषा और अवधी पर जिसका समान अधिकार। रामचरितमानस है जिसका निगमागम सार। सम्बत सोलह सौ अस्सी में त्याग दिया संसार। श्रीरामचरितमानस जैसे लोकप्रिय महाकाव्य की रचना करके प्रभु श्रीराम के पावन चरित्र को जन-जन तक पहुँचाने वाले कलिपावनावतार पूज्य गोस्वामी संत शिरोमणि, महाकवि पंडित तुलसीदास जी महाराज की जन्म जयंती पर उन्हें शत् शत् नमन....🙏🏵🙏 Vibhor vashishtha vs Meri Diary #Vs❤❤ सम्बत 1554 में राजापुर शुभ धाम। तुलसी जन्मे माता हुलसी पिता आत्माराम। नरहरि दास और शेष सनातन ने सब बिद्या दीन। पत्नी रत्नाव
Divyanshu Pathak
गुरु और शिष्य का नाता दुनिया में सबसे श्रेष्ठ है। मन बुद्धि आत्मा तक जिसकी पकड़ होती है। वह गुरुजी ही होते है। जब भी उनके साथ कुछ उपेक्षित किया जाए तो, उन्हें बहुत दुःख होता है। और रूठे इष्टदेव का कोपभागी बन, ख़ामियाजा भुगतना ही पड़ता है। आप सभी को परशुराम जयंती की शुभकामनाएं। कैप्शन पढ़ ही डालिये...💐 क्रमशः- 02 #गुरु_और_शिष्य हमारे शास्त्र और पुराण तो गुरु शिष्य के दृष्टांतो से भरे पड़े हैं। सृष्टि के आरंभ से यह परंपरा हमने ही दुनिया को दी। इसका प्रमाण हमारा ऋग्वेद
कवि राहुल पाल 🔵
न जाने कितने कवि बने.. कितने साहित्य रवि बने , शब्द समूह की बीड़ा बनी.. तुम नैनो की क्रीड़ा बनी , तुम पुष्पो की डाली हो.. मधुकर की तुम माली हो , हर रस का है उद्गम तुमसे.. करुणा का अनुभव तुमसे , तुम चंद चकोर चिरैया हो.. तुम कोयल तुम गौरैया हो , तुम ही छवि का दर्पण हो.. तुम श्रृंगार को अर्पण हो , तुम ही साहित्य उजागर हो.. तुम ही काव्य प्रभाकर हो , तुम गौरी,सीता,सतभामा हो.. तुम शोभा ,कमला,रमा हो , तुम देवा की देवभक्तन हो... तुम ही देवकी,युवतीजन हो , तुम कवि का हो बिंदु सखा.. तुम्हे हमने कुछ छंद लिखा !! #स्त्रियों_का_साहित्य_में_योगदान साहित्य जब तक मौखिक परम्परा का हिस्सा था तब तक लेखन में स्त्रियों का योगदान बराबरी के स्तर पर रहा ,परन्तु इ