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Divyanshu Pathak
अद्भिर्गात्राणि शुध्यन्ति मनः सत्येन शुद्यति। विद्यातपोभ्यां भूतात्मा बुद्धिर्ज्ञानेन शुद्यति ।। मनु स्मृति का श्लोक कहता है कि--- जल से स्नान करने पर जैसे हमारे शरीर की शुद्धि होती है ठीक वैसे सी सत्य का स्मरण रखने पर मन पवित्र होता है। तप करने से आत्मा शुद्ध होती है और बुद्धि की पवित्रता ज्ञानार्जन से आती है। ठीक इसी प्रकार विद्या ग्रहण करने से जीवन संपन्न होता है। शिक्षा के अधिकारों को लेकर देश में सबसे पहले 18 मार्च 1910 में ब्रिटिश विधान परिषद के समक्ष निःशुल्क एवं अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा का प्रस्ताव गोपाल कृष्ण गोखले जी ने रखा था जो उस समय ख़ारिज कर दिया गया था। : इसके बाद आज़ाद भारत के संविधान में इसके लिए कई प्रावधान और संशोधन हुए जो -आगे चल कर निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 के रूप में पारित हुआ और 1 अप्रैल 2010 से लागू हो गया। इसे हम आज (RTE) 06- 14 बर्ष तक के बच्चों को अनिवार्य रूप से विद्यालय से जोड़ कर पढ़ाया जा रहा है। : मैं तो बस यह बता
Divyanshu Pathak
एक बार फिर से कोरोना से जंग तेज करनी होगी देश में अभी भी संक्रमण तेज रफ्तार से फैल रहा है। #पाठकपुराण के साथ #सार्वजनिक_अनुशासन_की_कमी_एवं_अशिक्षा #शुभरात्रि
Divyanshu Pathak
कोरोना_और_जीवन कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ोतरी से भारत विश्व में तीसरे और रोज होने वाली मौतों के मामले में चौथे स्थान पर आ गया है। डरावनी बात ये है कि अब इसकी चपेट में आने से देश के गाँव भी अछूते नहीं रहे। समय रहते हम संभल नहीं पाए तो आने वाली पीढ़ी हमको कभी माफ़ नहीं करेगी। सार्वजनिक अनुशासन और अशिक्षा का असर ज़िन्दगी को ख़ुदकुशी की ओर ले जा रहा है। 11 मई को 87 मौतें,18 मई को 157, तो 31 मई को 265 होने के साथ 12 जून को 3961 हो गई। आंकलन बताते हैं कि 21 सितम्बर तक देश में 1 करोड़ रोगी हो जाएंगे। इसी तरह राजस्थान की बात करें तो सोमवार को 350 नए रोगी मिले और 9 लोगों की मौत हो गई।प्रदेश में कुल मौतें 301 हो गई। देश में अभी तक 343091 में से 180013 रोगी ठीक हुए 9911 जान जा चुकीं हैं। ये बढ़ते आँकड़े बताते हैं कि हम कितने ग़ैर जिम्मेदार हैं। और अभी भी स्थिति को समझ नहीं पा रहे। लॉक डाउन ओपन होते ही हम "सोशलडिस्टेंस" को ताक पे रख दिए। बाजारों में भीड़ लगा ली और बेख़ौफ़ होकर वाकिंग करते दिखे जिसका परिणाम हमारे सामने है। : हमारे पड़ोसी गाँव में दिल्ली से आया एक युवक अपने आपको "आईशोलाइज्ड" किए बिना ही
Divyanshu Pathak
"कर्तव्य और उत्तरदायित्व" में सिमटे, सारे धर्म सभी आचार और व्यवहार। जीवन का समूल सार तो बस इन दो शब्दों में मिला मुझे बड़ी बड़ी डिग्रियाँ और कोचिंग कोर्स ने तो इंसान का हृदय बस यंत्र बनाकर रख दिया। कर्तव्य का निर्वहन अपने से बड़ों के लिए करें और उत्तरदायित्व का पालन छोटों के लिए। : कुछ मिले न मिले लेकिन आपके पास असीम शान्ति और गौरवशाली जीवन जरूर होगा। यही दो शब्द- धर्म अर्थ काम और मोक्ष के स्रोत हैं। श्री राम और कृष्ण के रूप में इन्ही शब्दों को अवतरित किया गया है। विचार कर देखिए....? बैसे ये मेरा अपना मत है। #पाठकपुराण की ओर से #सुभसंध्या साथियो।
Divyanshu Pathak
कोरोना के साथ शुरू हुई जंग में हम बहुत कुछ खो चुके हैं और इसके अनगिनत लाभ भी आपको गिनाए जा चुके हैं। इस युद्ध को जीतने के लिए हमें अभी भी क़मर कसे रहना है।लॉक डाउन ओपनिंग के प्रथम चरण में ही कोरोना जोर पकड़ते दिख रहा है।भले ही हम दावे करते रहें मरीज़ों को ठीक करने के किन्तु दुनिया के सामने,आबादी के हिसाब से जो जाँच हम कर पाए उनके कारण ही देश 139 वे पायदान पर हैं। देश के पास निपटने के लिए अकेला कोरोना ही नहीं है। उससे पहले ही यहाँ की आब-ओ-हवा में बहुत से वायरस जमे पड़े हैं। शिक्षा, चिकित्सा, वाणिज्य, धर्म, राजनीति, से लेकर सामान्य मानवीय संवेदनाओं तक वायरस सेंध मार चुके हैं। अब ये जंग सिर्फ सरकार के बस की नहीं रही। स्वयं की सुरक्षा का संकल्प लेकर जीवनशैली को नए सिरे से अपनाने के लिए हमें तैयार हो जाना चाहिए। #पाठकपुराण के साथ #कोरोना_और_जीवन पर चर्चा करने के बाद समझ आया कि #सार्वजनिक_अनुशासन_की_कमी_एवं_अशिक्षा के प्रभाव से हम लोग बड़े नुकसान में तो थे ही
Divyanshu Pathak
कोरोना और जीवन- 02 विश्वभर में कोरोना ने सभी को प्रभावित किया है। हमारे देश में भी सबसे ज़्यादा मार ग़रीब ने झेली। गंदगी अशिक्षा और अभाव पहले से ही उनके दुश्मन बने बैठे थे रही सही कसर कोरोना ने निकाल ली। बात ये है कि आज़ादी के सात दशकों से हम देश की ग़रीबी और अशिक्षा को दूर नही कर पाए। क्या कारण रहे होंगे?हमारे देश की आज़ादी के बाद स्वतंत्र हुए कई देश बेहतर कर पाए कैसे? #सार्वजनिक_अनुशासन_की_कमी_एवं_अशिक्षा के कारण देश में पहले से ही हालात स्थिर नही थे। जो भी कारण रहे न तो देश की जनता इन्हें समझना चाहती और न ही नेतृत्व जनता के सामने रख पाता। #कोरोना_और_जीवन 02 पर पेश है #पाठकपुराण की ओर से कुछ बातें---- : #चेतन_भगत देश के बहुचर्चित अंग्रेजी के उपन्यासकार कहते हैं कि--- भारतीय नागरिकों को अर्थव्यवस्था की परवाह नही है। पाकिस्तान को सबक सिखाइए तो लाखों आपकी जय-जयकार करेंगे। अर्थव्यवस्था की बात करो तो लोग जम्हाई लेंगे,चैनल बदल देंगे।नेता वैसा ही व्यवहार करते हैं,ज
Divyanshu Pathak
कोरोना और जीवन संक्रमण और मौत का बढ़ता ग्राफ़ विश्व भर की चिंता तो बढ़ा ही रहा है ऊपर से प्राकृतिक आपदाओं ने भी डेरे जमा लिए है। कुल मिलाकर जीवन संकट में है। ग़रीब, मजदूर, किसान को दोहरी मार झेलनी पड़ी। प्रश्न ये है कि इस संकट से कैसे निपटा जाए? देश का धनी वर्ग भले ही लॉक डाउन के समर्थन में हो और उसके बहुत सारे फायदे भी गिनाने लग जाए किन्तु कहीं न कहीं ऐसा लगता है कि यह कारगर उपाय नही था। हमने असर देखा है। पलायन करते,सड़कों पर रोते मरते लोगों को।इसलिए तो लॉक डाउन हटाना पड़ा। अर्थव्यवस्था को लेकर देशभर में ख़ूब चर्चा है। सरकार के द्वारा दिए गए पैकेज से भी लोग संभ्रांत हैं। संक्रमण की रफ़्तार भी थमती नही दिख रही। ---- क्रमशः---01 चर्चा करेंगे। #पाठकपुराण #कोरोना_और_जीवन के साथ #सार्वजनिक_अनुशासन_की_कमी_एवं_अशिक्षा भी है। #cinemagraph
Divyanshu Pathak
आदर्श नागरिक नम्र विनम्र हृदय जिसका व्यवहार प्रेम का मूलक है। जो राग,द्वेष से दूर रहे विधि,विज्ञान,ज्ञान संपूरक है। निज अधिकारों की ख़ातिर ना दूजे का अपमान करे! कर्तव्य बोध भी उसके उर सबकी उन्नति का पूरक है। "अपने कर्तव्य और उत्तरदायित्व" का भलीभाँति निर्वहन किया जाए तो आपके अधिकार आपको सुख देंगे। #पाठकपुराण की ओर से सुप्रभातम साथियो #आदर्श_नागरिक के लिए चार पंक्तियाँ लिखी है। क्योंकि मुझे तो लगता है कि एक बेहतरीन नागरिक और इंसान के लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ दो शब्दों को आत्मसात करने की ज़रूरत है.....😊 "अपने कर्तव्य और उत्तरदायित्व" का भलीभाँति निर्वहन किया जाए तो आपके अधिकार आपको सुख देंगे। वर्तमान में सारी जंग अधिकारों की है अधिकतर को लगता है कि उनके हक़ का जितना मिलना चाहिए उन्हें नही मिला। भ्रष्टाचार भी इसी महत्वाकांक्षी मनोवृत्ति की देन है। एक बात और है जो ये कि आपराधिक मानसिकता में बढ़ोतरी
Divyanshu Pathak
कीचड़ में पत्थर मत मारो आपके ऊपर आएगा। पूरी ट्रॉली ठेल दो दोबारा ढूँढ़े से भी नही पाएगा। तुम शरीफ़ बन कर कब तक बच पाओगे भला। उतार कर जूते चार मारो तो मुँह नही मिलाएगा। मैं तो कहूँगा कि जो जिस लायक हो उसे वही दीजिए अगर गधे को नमक दोगे तो तुनक ही दिखाएगा। कृष्ण ने महाभारत को रोकने के कई प्रयास किए थे। याद रखिए लातों का भूत बातों से क्यों हाथ आएगा। पाठक लिखना तो आदर्श नागरिक को चाहता था। पता नही कि एक पोस्ट पढ़कर यूँ मन बदल जाएगा। #पाठकपुराण की ओर से आप सभी मित्रों को प्रणाम। Meenakshi Shukla जी की पोस्ट पढ़ कर ज्ञान फूटपड़ा गलतियां हुई हों तो माफ़ कीजियेगा मैंने तो बस अपनी बात लिखी है। पसन्द आए तो आपको पता ही है चाय के साथ पकोड़े ले आइये न आये तो दूध पी कर सो जाइए। #सार्वजनिक_अनुशासन_की_कमी_एवं_अशिक्षा का प्रभाव तो है ही और पढ़े लिखे अनपढ़ लोगों की भी काफ़ी भीड़ है। एकबार बड़ा बवाल मचा था कि 40 हजार डिग्रियां फ़र्जी बांट दी गई देश में। 😁😁😀😀🙏🙏🙏😀😁😁😁 तो प्यारे मित्रो समझ ही गए होंगे कहना क्या चाहता हूँ। जय हिंद जय भारत।
Divyanshu Pathak
आदर्श पत्रकार। सत्य का संधान करने जो निकलता। नित्य अपने मार्ग में मिथ्या कुचलता। राष्ट्रहित में हर क़दम निर्भीक होकर! न्याय की जो तर्कसंगत बात करता। वर्जनाओं से न डर डर मुह छिपाता। सर्जनाओं की क़लम रखता हमेशा। लोकहित में जो बनाता क्रान्ति पथ! घृष्ट से लड़ता उजागर भ्रष्ट करता। #पाठकपुराण की ओर से शुभसंध्या साथियो आज मेरे मन में बस एक ही विचार आया कि हमारे देश को #आदर्श_पत्रकार ही दुनिया में सम्मान दिलाते हैं। वही समाज में बदलाब लाते हैं। मैं ऐसे कर्मठ पत्रकारों के सम्मान में ये पंक्तियां सौंपता हूँ। आपके मन तक पहुँचे तो मेरा उत्साहवर्धन कीजियेगा न भी पहुँचे तो मेरा मन रखलिजियेगा। 😊🙏 : ये सिपाही तो क़लम हाथों में लेकर। चौकसी करता है जो प्रतिक्षण हमारी। भूकम्प,आँधी,बाढ़,बारिश में भी बाहर! जो युद्ध के मैदान में पल पल उतरता। हर घटी घटना को लाकर हमको देता।