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sachin babu
मेरा इश्क सिर्फ तुमसे ही मेरे खयालों में तुम्हारे जैसा एक चेहरा नजर आया वो तुम थे या कोई और न जाने कैसा ये मज़र आया। होश आया जब तो खुद को ना मैने अपने घर पाया पता
Ombir Kajal
हमारी भावनाओं से कर रहा ये बलात्कार कौन है, बेटी बचाओ बेटी बचाओ ये मचा रहा हाहाकार कौन है, अगर समाज हम लोगों से मिलकर बना है, तो हैदराबाद जैसी हैवानियत का जिम्मेदार कौन है, हम शायद उलझे हुए हैं खुद के बनाए ताने बाने में, आवाम अगर करे फैसला तो ये सरकार कौन है जिम्मेदार
जिम्मेदार
read moreAnjali Jain
जो जिम्मेदार और कर्मठ होते हैं वे अपनी जिम्मेदारी, कर्मठता से निभाते हैं! जो गैर जिम्मेदार होते हैं वे अपनी गैर जिम्मेदार हरकतों के लिए दूसरों पर आरोप लगाते हैं और उन्हें ही जिम्मेदार ठहराते हैं!! ©अंजलि जैन #जिम्मेदार/गैर जिम्मेदार#२६.११.२० #Lights
#जिम्मेदार/गैर जिम्मेदार२६.११.२० #Lights
read moreParasram Arora
आखिर कौन हैं जिम्मेदार जिसने मन के कहने पर अपनी ही देह की हत्या करने की चेष्टा की हैं ©Parasram Arora जिम्मेदार
जिम्मेदार #कविता
read moreSAJAN
आज जो ये मेरे हालत है उसके जिम्मेदार मेरे ही कुछ अपने है मेरी भलाई की बाते करते करते तोड़े मेरे कितने ही सपने है ©Sajan #जिम्मेदार
Amisha Tiwari
सैलाब आंखों में समेटे मुस्कुरा दिया करते हैं दर्द कितना भी गहरा हो छुपा लिया करते हैं किसी की जिम्मेदारी नहीं खुद जिम्मेदार हैं वो अपनी कमायी से घर अपना चला लिया करते हैं... ©amisha # जिम्मेदार
# जिम्मेदार #कविता
read moreAkshit Ojha
लफ्ज़ रियासती नहीं, मेरे खुद के पाले हुए हैं जरूरी नहीं हर शब्द के मायनों से वाजिब होना तुम्हारा वाजिब -सही ठहराना #oneliner #readingminds #someone #courageintrust
वाजिब -सही ठहराना #oneliner #readingminds #someone #courageintrust
read moreMeenakshi Sharma
सही नहीं हर बात का दोषी औरत को ही ठहराना, घर टूटे तो उसके टुकड़ों का, इल्ज़ामऔरत पर ही लगाना, मां की लाड़ली पिता की जिंदगी बेटी से बहु बन जाती है अनजान रिश्तों की चक्की में वो यू ही बस पीस जाती है, सही नहीं हर बात का दोषी औरत को ही ठहराना। सही नहीं हर बात का दोषी औरत को ही ठहराना, घर की एकता में बल ही नहीं हो तो उसके, टूटने का इल्ज़ाम क्यूं इक औरत पर लगाना, नाना की लाड़ली नानी की दुनिया अपना घर त्याग के दूसरे घर आती है, इज्जत की हकदार हैं वो तो, फिर भी इल्ज़ाम पाती है, सही नहीं हर बात का दोषी औरत को ही ठहराना। सही नहीं हर बात का दोषी औरत को ही ठहराना, घर की दीवारों की नींव खोखली हो, तो उसका इल्ज़ाम क्यूं औरत पर लगाना, दादा की लाड़ली दादी की जान , बेटी से पत्नी बन जाती है, दो घरों के वैचारिक मतभेद में वो बेचारी पीस जाती है, पति के लिए वो जिंदा जल जाए तब भी वो दोषी ठहराती है, सही नही हर बात का दोषी औरत को ही ठहराना। ©Meenakshi Sharma हर बात का दोषी औरत को ठहराना #dusk