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SB Shivam Mishra
देख कर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं। रह भरोसे भाग के दुख भोग पछताते नहीं काम कितना ही कठिन हो किन्तु उकताते नही भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं।। –📝 अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध ©SB Shivam Mishra -📝अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध
Kiran Tiwari
Prabhu Dayal Hans
Shailendra Singh Yadav
अधर होंठ रदच्छद ओष्ठ रदपुट ओठ। अधिकार आधिपात्य हक स्वत्व प्रभुत्व स्वामित्व। आचार्य गुरू शिक्षक अध्यापक प्रवक्ता व्याखाता।अनाज शस्य धान्य गल्ला अन्न। अनार दाडिम शुक्रबीज रामबीज। अनी सेना चूम कटक दल फौज। अनुपम अद्भुत अनूठा अपूर्व अद्वितीय अप्रितम अनोखा। अनुवाद उत्था भाषान्तर तजुर्मा। अनेक एकाधिक नाना अनेकानेक कई । अन्धा प्रज्याचक्षु अन्ध सूरदास चक्षुविहीन नेत्रहीन। कवि:-शैलेन्द्र सिंह यादव( राजू), कानपुर। ©Shailendra Singh Yadav शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता।
Shailendra Singh Yadav
दीन दुखियों। पर तरस आता। नहीं है क्यों उन्हे। वो सिर्फ धन। को माँ बाप मान बैठे हुये हैं। कवि:-शैलेन्द्र सिंह यादव,कानपुर। शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता।
Shailendra Singh Yadav
दिल भी वही । तोड़ने वाले वहीं। तोड़ ही दिया। कसूर किस। ने किया सजा मिली। किसे मंजूर। दौलत की ही। बदौलत उसने। दिल है तोड़ा। कविः-शैलेन्द्र सिंह यादव शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता
Shailendra Singh Yadav
उम्मीद है कि एक दिन मंजिल मिल जायेगी। मुरझाई कलियाँ भी एक दिन खिल जायेंगी। जिन्दगी जब तक है उम्मीद का दामन नहीं है छोड़ना। चाहे कितने भी हो दुश्वारियाँ प्यार का रास्ता नहीं है छोड़ना। कविः-शैलेन्द्र सिंह यादव शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता