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अज्ञात
White उम्मीद जैसी चिड़िया होती नहीं जहाँ में उम्मीद रखना सबसे ख़ुद से है बेईमानी.. कोई नहीं किसी का ठोकर लगे तो जाने मतलब का हाट है ये मतलब की हर रवानी.. मंजिल की फ़िक्र है तो ख़ुद को बुलंद कर ले बिन मोल तो जहाँ में मिलता नहीं है पानी.. फिर ख़ाक से उठे हैं फिर ख़ाक में मिलेंगे ये गुलबदन जलेगा तब क्या रहे निशानी.. कुछ भी नहीं है अपना ये फलसफ़ा पुराना थोड़ी सी कश्मोकश है फिर खत्म है कहानी.. ©अज्ञात #कहानी
Neeraj Kanwar
भूल गई वह स्त्रियां, अपनी ख्वाहिश .......। दूसरो की मर्जी है, सुनते-सुनते और निभाते निभाते....। ©Neeraj Kanwar #dhoop #स्त्री #कहानी #अपनी #कहानी #मन #की
Gurudeen Verma
शीर्षक- हाँ, तैयार हूँ मैं ---------------------------------------------------------- हाँ, तैयार हूँ मैं, क्योंकि--------------, बांध रखा है मैंने अपना सामान चलने को, जूतें भी पॉलिश कर लिये हैं चलने को, और कपड़ें भी बदल लिये हैं मैंने चलने को। हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन मैं तुमसे पूछता हूँ, तुम क्यों कर रहे हो ऐसा ? क्या वहाँ तुम्हारा वश चलता है ? क्या उन्होंने दिया है तुम्हें सन्देश मेरे लिए ? हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन मिट नहीं पा रही है अभी तक, आँखों में वो पुरानी तस्वीरें उनकी, निकल नहीं पा रही है दिल से अभी तक, उनकी वो नुकीली चुभती हुई बातें। हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन डरता हूँ मैं वहाँ आने से, और नहीं करता हूँ उन पर विश्वास, मैं अब दुःखी नहीं रहना चाहता, मुझको अब आगे बढ़ना है। और इसीलिए, हाँ, तैयार हूँ मैं , क्योंकि--------------------। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #लेखन
Vikas sharma
Blue Moon कोई कह दे तो कह दे..कि मुस्काने से मिला इस बार भी ये दर्द ..ख़ुद को समझाने से मिला यूँ तो तोड़ आया था .रीति-रिवाजों की बंदिशे वो शख्स भी ज़माने की तरह.बहाने से मिला कहीं उतरता है. तो कहीं चढ़ जाता है रंग हथेली पे ये नाम तो.मेहंदी को मिटाने से मिला धरती और आसमान भी मिलते होते होंगे कहीं ये कैसा चाँद है जो..अमावस के आने से मिला हक़ीक़त मे टूट ही जाता है ख्वाबों का दर्पण जिंदगी का ये सबक..ग़ुलाब को पाने से मिला स्याही भी कलम की अब खत्म होने को जो है इस कहानी का अंत तो,इल्ज़ाम ख़ुद पे लगाने से मिला @विकास ©Vikas sharma #bluemoon कहानी
Bhawana dixit
Autumn अनकही सी कहानी है; ना राजा है ना रानी है! ©bhavna trivedi #कहानी
Gurudeen Verma
शीर्षक - यही तो जिंदगी का सच है ---------------------------------------------------- सबको पता है और यह सत्य है कि, पहली आवश्यकता है आदमी की, रोटी, कपड़ा और मकान, और इन्हीं के लिए वह, करता है दिनरात इतनी भागदौड़, और बहाता है अपना खून- पसीना, करता है पाप और अनैतिकता भी, जीने को वह सुख- शान्ति से।। भूल जाता है वह, अपनी मंजिल तक पहुंचने में, अपने परिचितों के चेहरे और नाम तक, याद तक नहीं आते हैं उसको, अपने गम और दर्द तक, तोड़कर सभी से अपना रिश्ता वह, जीना चाहता है अकेला होकर, और जी.आज़ाद बनकर वह।। नहीं रहता उसको कुछ भी मतलब, अपने परिचितों और परिवार से, और इसी तरह चला जाता है वह, अंत में अपने सम्बन्ध सभी से तोड़कर, बहुत दूर अपने किसी संसार में, लेकिन वहाँ भी उसको नहीं होता है, किसी से कोई मतलब,प्यार और रिश्ता, यही तो जिंदगी का सच है।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #लेखन
Shahab
तकिया भीग गया मेरा खारे पानी से जब से किरदार अलग हुआ है कहानी से और यहां मैं किसी लड़की से नजरें भी नहीं मिला पा रहा उधर वो मिला रही है अपना लहंगा किसी शेरवानी से ©Shahab #कहानी
Deepak Bisht
जो नींद चुराते है वो कहते है की सोते क्यों नहीं, जब इतनी ही चिंता है तो हमारे होते क्यों नहीं। ©Deepak Bisht अधुरी कहानी