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Knowledge Nepal

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Debi Gope

Debi गोप #lovebeat #कविता

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Neelam Sharma

गोप गोविंद गिरीराजधारी #Kathakaar

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Anil Siwach

45 - प्रागल्भ्य || श्री हरि: || #Books

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45 - प्रागल्भ्य 
 || श्री हरि: ||

Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुंदरकांड🙏 दोहा – 12 प्रभु श्री राम की मुद्रिका (अंगूठी) हनुमानजी श्री राम की अंगूठी सीताजी के सामने डाल देते है कपि करि हृदयँ बिचार दीन्हि #समाज

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🙏सुंदरकांड🙏
दोहा – 12
प्रभु श्री राम की मुद्रिका (अंगूठी)
हनुमानजी श्री राम की अंगूठी सीताजी के सामने डाल देते है
कपि करि हृदयँ बिचार दीन्हि मुद्रिका डारि तब।
जनु असोक अंगार दीन्ह हरषि उठि कर गहेउ ॥12॥
उस समय हनुमान जी ने अपने मन मे विचार करके अपने हाथ में से मुद्रिका (अँगूठी) डाल दी-सो सीताजी को वह मुद्रिका उस समय कैसी दिख पड़ी की मानो अशोक के अंगार ने प्रगट हो कर हमको आनंद दिया है (मानो अशोक ने अंगारा दे दिया।)।सो सीताजी ने तुरंत उठकर वह अँगूठी अपने हाथमें ले ली ॥12॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम

माता सीता अंगूठी को देखती है
तब देखी मुद्रिका मनोहर।
राम नाम अंकित अति सुंदर॥
चकित चितव मुदरी पहिचानी।
हरष बिषाद हृदयँ अकुलानी॥
फिर सीताजी ने उस मुद्रिकाको (अँगूठी को) देखा तो वह सुन्दर मुद्रिका रामचन्द्रजी के मनोहर नाम से अंकित हो रही थी,अर्थात उस पर श्री राम का नाम खुदा हुआ था॥उस अँगूठी को सीताजी चकित होकर देखने लगी।आखिर उस मुद्रिकाको पहचान कर हृदय में अत्यंत हर्ष और
विषादको प्राप्त हुई और बहुत अकुलाई॥

सीताजी अंगूठी कहाँ से आयी यह सोचती है
जीति को सकइ अजय रघुराई।
माया तें असि रचि नहिं जाई॥
सीता मन बिचार कर नाना।
मधुर बचन बोलेउ हनुमाना॥
यह क्या हुआ? यह रामचन्द्रजी की नामांकित मुद्रिका यहाँ कैसे आयी?
या तो उन्हें जितने से यह मुद्रिका यहाँ आ सकती है,किंतु उन अजेय रामचन्द्रजी को जीत सके ऐसा तो जगत मे कौन है?अर्थात उनको जीतने वाला जगत मे है ही नहीं।और जो कहे की यह राक्षसो ने माया से बनाई है सो यह भी नहीं हो सकता।क्योंकि माया से ऐसी बन नहीं सकती॥इस प्रकार सीताजी अपने मनमे अनेक प्रकार से विचार कर रही थी।इतने में ऊपर से हनुमानजी ने मधुर वचन कहे॥

हनुमानजी पेड़ पर से ही श्री राम की कथा सुनाते है
रामचंद्र गुन बरनैं लागा।
सुनतहिं सीता कर दुख भागा॥
लागीं सुनैं श्रवन मन लाई।
आदिहु तें सब कथा सुनाई॥
हनुमानजी रामचन्द्रजी के गुनो का वर्णन करने लगे।उनको सुनते ही सीताजी का सब दुःख दूर हो गया॥और वह मन और कान लगा कर सुनने लगी।हनुमानजी ने भी आरंभ से लेकर अब तक की कथा सीताजी को सुनाई॥

माता सीता और हनुमानजी का संवाद
सीताजी हनुमान को सामने आने के लिए कहती है
श्रवनामृत जेहिं कथा सुहाई।
कही सो प्रगट होति किन भाई॥
तब हनुमंत निकट चलि गयऊ।
फिरि बैठीं मन बिसमय भयऊ॥

हनुमानजी के मुख से रामचन्द्रजी का चरितामृत सुनकर सीताजी ने कहा कि
जिसने मुझको यह कानों को अमृत सी मधुर लगनेवाली कथा सुनाई है,वह मेरे सामने आकर प्रकट क्यों नहीं होता?
सीताजी के ये वचन सुनकर हनुमानजी चलकर उनके समीप गए तो हनुमान जी का वानर रूप देख कर सीताजी के मनमे बड़ा विस्मय हुआ (आश्र्चर्य हुआ) की यह क्या!सो कपट समझ कर सीता जी मुख फेरकर बैठ गई
(हनुमानजी को पीठ देकर बैठ गयी)॥

हनुमानजी, माता सीता को अपने बारें में और अंगूठी के बारें में बताते है
राम दूत मैं मातु जानकी।
सत्य सपथ करुनानिधान की॥
यह मुद्रिका मातु मैं आनी।
दीन्हि राम तुम्ह कहँ सहिदानी॥
तब हनुमानजी ने सीताजी से कहा की हे माता!मै रामचन्द्रजी का दूत हूँ।मै रामचन्द्रजी की शपथ खाकर कहता हूँ की इसमें फर्क नहीं है॥और रामचन्द्र जी ने आपके लिए जो निशानी दी थी,
वह यह मुद्रिका (अँगूठी) मैंने लाकर आपको दी है॥

सीताजी हनुमानजी से पूछती है की श्री राम उनसे कैसे मिले
नर बानरहि संग कहु कैसें।
कही कथा भइ संगति जैसें॥
सीताजी ने पूछा की हे हनुमान! नर और वानर का संग कहो कैसे हुआ?
तब हनुमान जी ने जैसे संग हुआ था,
वह सब कथा कही॥(तब उनके परस्परमे जैसे प्रीति हुई थी,वे सब समाचार हनुमानजी ने सीताजी से कहे)॥
आगे शनिवार को .... 

 
विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 502 से 513 नाम

502 भूरिदक्षिणः जिनकी बहुत सी दक्षिणाएँ रहती हैं
503 सोमपः जो समस्त यज्ञों में देवतारूप से सोमपान करते हैं
504 अमृतपः आत्मारूप अमृतरस का पान करने वाले
505 सोमः चन्द्रमा (सोम) रूप से औषधियों का पोषण करने वाले
506 पुरुजित् पुरु अर्थात बहुतों को जीतने वाले
507 पुरुसत्तमः विश्वरूप अर्थात पुरु और उत्कृष्ट अर्थात सत्तम हैं
508 विनयः दुष्ट प्रजा को विनय अर्थात दंड देने वाले हैं
509 जयः सब भूतों को जीतने वाले हैं
510 सत्यसन्धः जिनकी संधा अर्थात संकल्प सत्य हैं
511 दाशार्हः जो दशार्ह कुल में उत्पन्न हुए
512 सात्त्वतां पतिः सात्वतों (वैष्णवों) के स्वामी
513 जीवः क्षेत्रज्ञरूप से प्राण धारण करने वाले

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुंदरकांड🙏
दोहा – 12
प्रभु श्री राम की मुद्रिका (अंगूठी)
हनुमानजी श्री राम की अंगूठी सीताजी के सामने डाल देते है
कपि करि हृदयँ बिचार दीन्हि

Rashmi Hule

कृष्ण काळा.. घननीळा लावी वेड सार्‍या गोकुळा गोप गोपिकांचा सखा मुरारी कृष्ण लिलांची महती सारी राधा मुग्ध बासुरी वरी तान येता कावरीबावरी कृष #प्रेम #yqbaba #yqdidi #yqtaai

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कृष्ण काळा.. घननीळा
लावी वेड सार्‍या गोकुळा
गोप गोपिकांचा सखा मुरारी 
कृष्ण लिलांची महती सारी
राधा मुग्ध बासुरी वरी
तान येता कावरीबावरी 
कृष्णालाही राधेचा लळा
जीव राधा शिव राधा
प्रीती राधेची विरळा
राधेसाठी वाजवी बांसुरी
झुलवीतसे  हिंदोळा  कृष्ण काळा.. घननीळा
लावी वेड सार्‍या गोकुळा
गोप गोपिकांचा सखा मुरारी 
कृष्ण लिलांची महती सारी
राधा मुग्ध बासुरी वरी
तान येता कावरीबावरी 
कृष

Writer1

🌟 आप सभी को गोप अष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें। 🌟 यह विषय प्रतियोगिता के अंतर्गत नहीं है I 🌟 इस पावन पर्व पर आज इस विषय पर अपने सुन्दर श #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #yqhindi #क़लम_ए_हयात #गोपाष्टमी

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कृष्ण प्रिय, है वो, करो सेवा जी जान से,
तुम्हारे कर्मों में सुधार ला तुम्हारा मार्ग प्रशस्त करेगी,

गौमाता के पैरों में तीर्थ होता है,
सुन  रे मन इनकी सेवा कर मोक्ष के धाम ले जाएं। 🌟  आप सभी को गोप अष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें। 

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Shaarang Deepak

Shri Hanuman Chalisa (श्री हनुमान चालीसा) chaupai (19 & 20) explained with Hindi meaning (हिंदी अनुवाद/ अर्थ) ॥ Let's Learn with The Mystic #भक्ति #hanumanjayanti #JaiShreeRam #Shorts #hanumanji #hanumanchalisa #hanumantemple #हनुमान_चालीसा #hanumanbhajan

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Rashmi Hule

Meaning :देवकी का तन्हा, यशोदा का कान्हा, सखा गोप-गोपियों का, गाय को भीं आये पान्हा, मिरा की प्रतीक्षा, राधा प्रित सावला सारथी अर्जुन का, द् #yqbaba #yqdidi #yqtales #कृष्ण #yqtaai #bestyqhindiquotes

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देवकीचा तन्हा,यशोदेचा कान्हा
सखा गोपगोपिकांचा,गाईसही फुटे पान्हा
सावळा कुणाचा,कुणाचा घननीळा
प्रतीक्षा मिरे ची, राधेस लागला लळा
सारथी अर्जुनाचा,द्रौपदीचा बंधु आगळा 
एकरुप सर्वांशी तरी कृष्ण सर्वांचा वेगळा
    🍁🙏🏻जय श्री कृष्ण 🙏🏻🍁 Meaning :देवकी का तन्हा, यशोदा का कान्हा, सखा गोप-गोपियों का, गाय को भीं आये पान्हा, मिरा की प्रतीक्षा, राधा प्रित सावला
सारथी अर्जुन का, द्

Sanjay Sharma Saras

एक छंद बाँसुरी की तान छेड़े किशन कन्हाई जब बरसाने गोकुल अजब छटा छाई है, रोम रोम पुलकित आंनद-विभोर करे देखो वृषभानु-सुता कान्ह पे रिझाई है। ब #कविता #nojotophoto

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 एक छंद 
बाँसुरी की तान छेड़े किशन कन्हाई जब
बरसाने गोकुल अजब छटा छाई है,
रोम रोम पुलकित आंनद-विभोर करे देखो वृषभानु-सुता कान्ह पे रिझाई है।
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