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All in one
Unsplash शेरनी अब अकेली रहती है क्योंकि शेर को आप कुत्तिया मिल गई है ©All in one यही जीवन का सत्य हे# reality
यही जीवन का सत्य हे# reality
read moreRajesh rajak
White ये कफ़न भी क्या चीज है साहिब, जिसने बनाया उसने बेच दिया। जिसने खरीदा उसने इश्तेमाल नहीं किया। जिसने इश्तेमाल किया उसे पता ही नहीं चला।। ©Rajesh rajak जीवन का मूल्य
जीवन का मूल्य
read moreNaresh sirohi
White कितनी कोशिशों के बाद किसी ने आत्महत्या की होगी, हजारों मौतो के बाद किसी ने एक आत्महत्या की होगी। ©Naresh sirohi खेल जीवन का
खेल जीवन का
read moreGk knowledge
किस भाषा में कितने अक्षर ©Gk knowledge किस भाषा का कितने अक्षर shayari on life motivational shayari
किस भाषा का कितने अक्षर shayari on life motivational shayari
read moreAshok Kumar Verma
White जीवन बस जीना है!!👌 ©Ashok Kumar Verma #Thinking जीवन बस जीना है!👌
#Thinking जीवन बस जीना है!👌
read moreSumit Kumar
White महाकुम्भ में "काँटों वाले बाबा" को लोगों ने काँटों में नहीं रहने दिया, और कुछ लोग सोचते है कि ये दुनिया उन्हें फूलों के बिस्तर पर रहने देगी.. ©Sumit Kumar #जीवन का सच..
#जीवन का सच..
read moreKuldeep KumarAUE
Unsplash किताबों में है ज्ञान, जीवन का सारा ©Kuldeep KumarAUE #Book किताबों में है ज्ञान, जीवन का सारा #kuldeepkumaraue
#Book किताबों में है ज्ञान, जीवन का सारा #kuldeepkumaraue
read moreGovind Dendor
Unsplash जीवन की एक सच्चाई ये भी है तुम्हारी बुराई वही करेगा जिसको तुमने भला किया होगा।।🫀 ©Govind Dendor #snow जीवन की यही सच्चाई है
#snow जीवन की यही सच्चाई है
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी छाँव की पर्दादारी गयी रिश्ते सब टूट गये खिल ना सके इन पतझरो के बाद कैद कही हवा पानी हो गये ठूठ से हम बंजर खड़े है खाद्यपानी नेता चर गये अग्नि परीक्षा देते देते हम ओवरेज की उम्र में चले गये खता जो मैने समझी अब तक साजिशों से ठगे गये है बूँद तक की प्यास के लिये कितने पहरे ईजाद किये गये है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #GoodMorning कितने पहरे ईजाद किये गये है
#GoodMorning कितने पहरे ईजाद किये गये है
read morePraveen Jain "पल्लव"
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset पल्लव की डायरी बस्तुओं के साथ साथ कीमत अपनी सब आँक रहे है कर्तव्यों की कुर्बानी देकर लाभ हानि का गणित लगा रहे है रिश्ते सब स्वाहा हो गये इस बाजारवाद के दौर में घुटन भरी है सुबह और शाम अवसाद में सब जा रहे है हद हो गयी पागलपन की धनकुबेर बनकर भी उत्साह उमंग जीवन में नही पा रहे है अपनेपन की चाहत ही दिलो को जिंदा रखती है एक दुसरो पर मर मिटने से ही बगिया जीवन की खिलती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #SunSet बगिया जीवन की खिलती है
#SunSet बगिया जीवन की खिलती है
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