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Shashank
ऊँचे दफ्तरों की शान में, कुछ इस तरह लाचार हो गया... की घर से निकला था कुछ कर दिखाने, और घर लौट कर जाना ही दुष्वार हो गया... ऊँचे दफ्तरों की शान में, कुछ इस तरह लाचार हो गया... की घर से निकला था कुछ कर दिखाने, और घर लौट कर जाना ही दुष्वार हो गया... 😔 #life #zindag
Sardaraa (Sandeep singh )
20 Lakh crores ना कुछ मिला है ना ही मिलेगा। मिडिल क्लास वाला वैसे ही पिसेगा। लोन की फ़ाइल लगाएगा सरकारी दफ्तर जाएगा। बाबू को घुस खिलायेगा फिर बैंक से धोखा खायेगा पैसा भी लूट जाएगा और लोन भी नही मिल पायेगा। अमीर आदमी फ़ाइल लगाएगा बैंक से जुगाड़ बनाएगा सरकारी बाबू भी मिल जाएगा और लोन पास हो जाएगा सब्सिडी का लाभ उठाएगा और अमीर बन जायेगा मिडिल क्लास वाला शक्ल देखता रह जायेगा। ये 20 लाख करोड़ किसी के काम नही आएगा। बैंक वाले 100 सवाल करते हैं 50 तरह के कागज़ मांगते है। जुगाड़ चलता है बैंक में। ये पैसे का लाभ बस अमीरों को या फिर एकदम गरीब होगा उसको लाभ मिलेगा। या फिर नेताओं की जेबो में जायेगा उनके रिश्तेदारों को मिलेगा और वो सभी आत्म निर्भर हो जायेंगे देश का भला हो जायेगा। तरक़्क़ी सारी वहीं से होगी हम जैसे रोज़ कुवाँ खोदेंगें रोज़ पानी पिएंगे जैसे थे वैसे ही रह जाएंगे। #20_lakh_crores सच है यही ये सब सुविधायें हवा हवाई रह जाती हैं धरातल पर सच कुछ और ही होता है जिसको मिलना चाइए वो रोता रह जाता है भागता रह
CHIRANJIT
Anup Ranjan
मदरसे ने पढ़ाया झूठ या झूठी है ये ज़म्हूरियत ! मिल्क़ियत की कैद में है घुँट रही इंसानियत ! (*ज़म्हूरियत :- जनतंत्र, मिल्क़
Avinash Jain
क्या लगता हैं NRC से कितने लोग प्रभावित होंगे ??? 130 की आबादी में से करीब 35 करोड़ तो ऐसे होंगे ही जिनके कागजातों में कोई न कोई कमी होगी हमारी व्यवस्था की कार्य क्षमता की एक सीमा हैं जिसके अंतर्गत सभी विवादों के निपटान में एक लंबा समय लग सकता हैं ये सरकार के साथ साथ आम नागरिकों के लिए भी एक बहुत ही खर्चीली योजना हैं गरीबो ओर अनपढ़ लोगो के लिए ये भयावह हो सकता हैं सरकारी दफ्तरों के अंतहीन चक्कर, अदालतों ओर वकीलों की फीस से लेकर फैसलो तक के इंतज़ार के बाद डिटेंशन कैम्प की कैद ओर रिहाई, और इन सबका एक अहसास भर ही मानसिक यातना से भर देता हैं इसे धर्म विशेष भर से जोड़ना मूर्खतापूर्ण हैं इसके इतने आयाम हैं के हम इसकी व्यापकता का सम्पूर्ण आंकलन नही कर सकते क्या लगता हैं #NRC से कितने लोग प्रभावित होंगे ??? 130 की आबादी में से करीब 35 करोड़ तो ऐसे होंगे ही जिनके कागजातों में कोई न कोई कमी होगी ह
XEviL
जहां की सरकार ही हो ऐसी वहां क्या ही उम्मीद लगाई जाती है , जहां राजनीति में ही धर्मनिरपेक्षता को आड़े हाथ लिया जाए वहां इंसाफ दिलाने की बात ही क्या कही जाती है , जहां सरकारों की रगों में घूस , खुद्दारी भरी हो , वहां आम आदमी क्या ही उम्मीद लगाए , सब सोचते हैं अपना क्यों ना आम आदमी भूखा ही मर जाए और जहां आम आदमी को भूला दिया जाता है अगर उठाओ उंगली तो दफ्तरों के चक्कर काटते काटते ही आधी उम्र निकाल दी जाती है जहां की सरकारी ही ऐसी हो वहां क्या ही उम्मीद की जाती है जहां आईपीएस ही अपनी पत्नी को बेरहमी से पीटता है , जहां कुछ चंद लड़कियां झूठे रेप केस में फंसाने की धमकी बेधड़क, बेहिचक देकर , कैसे रहे जाती है हर बार सरकारी ही थोड़ी , ना इनसे भी क्या उम्मीद लगाई जाती है। बुरे लड़के ही नहीं लड़कियां भी होती हैं। इज्जत , कदर इत्यादि दोनों तरफ से निभाई जाए तो ही अच्छी मानी जाती है "जब तुम सच्चे हो तो इंसाफ से क्यों डरते हों , हां इंसाफ से नहीं डर समय से लगता है किसी को मिल जाता जल्दी है किसी-किसी को मरने के बाद मिलता है ".... ©~XÊviL__👑 जहां की सरकार ही हो ऐसी वहां क्या ही उम्मीद लगाई जाती है , जहां राजनीति में ही धर्मनिरपेक्षता को आड़े हाथ लिया जाए वहां इंसाफ दिलाने की बात
Satya Prakash Upadhyay
हिंदी दिवस मेरी मातृभाषा हिंदी नहीं, हाँ सरकारी दफ्तरों के फॉर्म में लिखना पड़ता है, ये बस एक मजबूरी से ज्यादा कुछ भी नहीं। हमारी मातृभाषा को कानूनी दर्ज़ा प्राप्त नही,जबकि इसे बोलने वाले करोडों में हैं,विदेशों में इसे राष्ट्रीय भाषा का दर्ज़ा प्राप्त है ,पर इसके गंगोत्री में हीं इसे अस्वीकार किया जा रहा है।फ़िल्म ग़दर में सनी देओल का एक फेमस डॉयलोग है, एक... seee more in caption मेरी मातृभाषा हिंदी नहीं, हाँ सरकारी दफ्तरों के फॉर्म में लिखना पड़ता है, ये बस एक मजबूरी से ज्यादा कुछ भी नहीं। हमारी मातृभाषा को कानूनी दर्
Saad Ahmad ( سعد احمد )
#RIPPriyankaReddy नुक्कड़ पर आदमियों का जत्था जो अपनी बातों मे लगा हुआ था मैं उधर से आगे को गुज़रा तो. .. . (पूरा कैप्शन मे पढ़े) नुक्कड़ पर आदमियों का जत्था जो अपनी बातों मे लगा हुआ था मैं उधर से आगे को गुज़रा तो बाज़ार पूरा नई उम्र के लड़को और आदमियों से भरा था सड़क
Amit Mishra
बात कुछ भी नही और बात को बढ़ा के बवाल कर दिया आज फिर मजहबी ठेकेदारों ने धरती को लाल कर दिया घुट घुट के रहना पड़ेगा अब फिर डर के साये में सब मुश्किल में हैं सब का जीना मुहाल कर दिया क्या जात है क्या धर्म है यहाँ साबित करो देशभक्ति को अब हर गुजरने वाले से बस यही एक सवाल कर दिया कहीं प्रदर्शन कहीं आग कहीं है पत्थरों की बौछार जरा देखो इन्होंने हर रास्ते का बुरा हाल कर दिया कोई हरा ढूंढ़ रहा कोई भगवे की तलाश में भटक रहा वो हाथों में तिरंगा ले आया बस उसने कमाल कर दिया जैसा की आप सभी ने सुना होगा देश के एक हिस्से में फिर से वही बिना बात का बवाल हो रहा है जिसका कोई औचित्य नही है.. एक आम नागरिक वो चाहे किसी भ
Upendra Dubey
पावर ग्रिड ने किसान के खेत में पेड़ काट खड़ा कर दिया टॉवर, अब तहसीलदार की मांग रहे साइन। सिंगरौली साहब! मैं खम्हरिया निवासी अनंतलाल साकेत पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा मेरे खेत में लगाए गए टॉवर और काटे गए पेड़ के मुआवजा के लिए पिछले एक साल से परेशान हूं। पावर ग्रिड कंपनी ने मनमानी तरीके से पेड़ों की कटाई कर टॉवर लगा दिए गये और हमारे खेत मे लगे 2280 पेड़ों का मुआवजा आज तक कंपनी द्वारा भुगतान नहीं किया है।फरियादी ने बताया कि इससे पूर्व भी कई बार कलेक्टर से शिकायत की गई, यहां भी अब तक कोई निराकरण नहीं हुआ। अनंतलाल साकेत ने बताया कि पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के अधिकारी ने नोटिस दिया था कि आपके खेत के पेड़ काटे जाएंगे, और विद्युत टॉवर लगाया जाएगा। एवं टॉवर व काटे गए पेड़ों का पैसा भुगतान कर दिया जाएगा। इसके कुछ माह बाद कंपनी द्वारा टॉवर लगाते हुए तार खींचा गया, पेड़ों की भी कंपनी द्वारा कटाई कर ली गई, अब मुआवजे की मांग में उनका कहना है कि तहसीलदार से लिखवाकर दो कि जो टॉवर लगा है आपके ही खसरा क्रमांक में लगा हुआ है। तो कभी कहा जाता हैं कि तहसीलदार के साइन के बाद ही भुगतान किया जायेगा आपकी फाइल तहसीलदार के पास है तरह तरह के बहाने बाजी कर फरियादी को परेशान किया जा रहा हैं वहीं फरियादी भी अब अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगाते लगाते परेशान हो गया हैं लेकिन पावर ग्रिड कंपनी द्वारा काटे गए पेड़ों के मुआवजे की भुगतान नहीं कि जा रही हैं। ©Upendra Dubey पावर ग्रिड ने किसान के खेत में पेड़ काट खड़ा कर दिया टॉवर, अब तहसीलदार की मांग रहे साइन। सिंगरौली साहब! मैं खम्हरिया निवासी अनंतलाल साकेत