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Shubham Bhardwaj
दुनिया मायाजाल है बंदे, इससे पार जाना होगा। दुख दर्द के बीच ही हमको सुख का दीपक जलाना होगा।। जब तक साँसों का खेल है,हँसकर रस्म निभा लेना। जिंदगी से जुदा हुये तो मौत को गले लगाना होगा।। ©Shubham Bhardwaj #Love #दुनिया #माया #जाल #है #बंदे #प्रेम #से
पं vasker शर्मा
तुमने तो प्रेम का अर्थ ही बदल दिए हो प्रेम का मतलब वो नही सेक्स से सम्बन्ध नहीं है प्रेम तो एक चेतना की अनुभव है इसे भोग मे सम्मिश्रण मत करो प्रेम तो शुद्ध है जैसे शुभे की ओस कि तरह। राधे राधे 🙏🚩 शुभ रात्री प्रेम क्या है ...?
Author Munesh sharma 'Nirjhara'
क्या है प्रेम... क्या है प्रेम... समझे बिना इसे उलझ रहे इसमें आकर्षण सूरत का बाँकपन यौवन का क्या है प्रेम...! सूरत से इतर सीरत जब भा जाये बिन देखे जब मन और मन जुड़ कर गुंथ जायें मिलन ना होने पर भी हृदय तृप्त हो झूम उठे ग़म को दूर फेंक आनन्द से सराबोर अंग-अंग हो जाये दूरी भी तब नज़दीकी बन जाये विचारों के मोहपाश में मन मस्तिष्क बँध जाये देखने की चाह से ऊपर एहसास की माँग बढ़ जाये तब शायद होता है प्रेम शायद यही है प्रेम... मुनेश शर्मा मेरी✍️🌈 क्या है प्रेम...
Vickram
प्रेम क्या है प्यार क्या है,,,2 रूहों का पवित्र मिलन को प्रेम कहा जाता है। ये निस्वार्थ भाव से होता है। और बंधन मुक्त होता है। ये किसी की फ़िक्र को दर्शाता है । पर ये समझना बेहद जरूरी है।की कोई आपके लिए क्या विचार रखता है । ये वो पवित्र रिश्ता है। जो किसी बंधन में नहीं रहता। और जरूरी नहीं कि जिस से आप प्रेम करते हो वह भी आप से प्रेम करे,, ये दोनों तरफ से सामान्य होता है । ©Vickram प्रेम क्या है,,,
पं vasker शर्मा
तुमने तो प्रेम का अर्थ ही बदल दिए हो प्रेम का मतलब वो नही सेक्स से सम्बन्ध नहीं है प्रेम तो एक चेतना की अनुभव है इसे भोग मे सम्मिश्रण मत करो प्रेम तो शुद्ध है जैसे शुभे की ओस कि तरह। राधे राधे 🙏🚩 शुभ रात्री प्रेम क्या है ...?
chandni srivastava
हर रिश्ते में कसक और चेहरे पर उदासी के लिए मसले हज़ार हैं, प्रेम से ही सबमें ऊर्जा,भाव और मुस्कुराहट का संचार है। कोई बैरागी बन घूमता है इधर-उधर, तो किसी के लिए ये कृष्ण का श्रृंगार है। किसी को मिल जाती है हर कण में अपने प्रियतम की झलक, तो कोई कहता है मेरे प्रेम का नहीं कोई आकार है। मानो गर तो ये एक मासूम बच्चे की खिलखिलाती मुस्कान है, अलग अलग ज़मीन पर रहने वालों के लिए ये एक आसमान है। ढेरों परिभाषाएं हैं प्रेम की,पर ये खुद में पूरा और साकार है, यही तो दूर होकर भी आत्माओं के मिलन का आधार है। प्रेम क्या है?