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अर्पित अज्ञात
क्या इसकी उपमा दे दूं,ये किसकी सानी लगती है दूर खड़ी वह बच्ची,कुछ जानी पहचानी लगती है पापा का अनमोल रतन मां की आंखों का तारा है किससे मैं तुलना कर दूं,वह सूरज चांद सितारा है गर में इसको चांद कहूं,तो यह झूठी तारीफ लगे चांद लाग लेकर बैठ,ये सूरत मासूम सरीफ लगे यदि इसको तारा ख दूं ,तो तारे टूटा करते है इस चेहरे के आगे तो,सौ सूरज रूठा करते हैं छोटी बाहों के घेरे में उसकी मां घूमा करती है बाप बैठ जाता है तो वह,माथा चूमा करती है वैसे तो वह कोई शहजादी सी लगती है पर जब माथा चूमे ,तब दादी सी लगती है मेरी नजरों में वह एक फूल नहीं है, चमन लगे जो हर एक जगह फैला है,वह विस्तारित गगन लगे ईश्वर का अनमोल रतन,अनमोल निशानी लगती है दूर खड़ी वह बच्ची,कुछ जानी पहचानी लगती है अर्पित अज्ञात चांद है वो या की अर्पित अज्ञात
Kumar Sanjay Mewara
prajjval
Sandeep Lucky Guru
नवरात्र में भी और अच्छी लगती है 9 दिन तक सर पर टीका और माथे पर दुपट्टा रखती है और क्या बताऊं इन दिनों उसके चेहरे के नूर यारों ऐसा लगता है की मां दुर्गा की सारी दुआ उस पर खूब बरस रही है हर दिन देखिये नाए और दिलचस्प शायरी दिल को आकर्षित कर लेने वाला नवरात्रि शायरी 9 दिन तक आपको दिन शुभ हो हर शुभकामना या की आपकी पूरी हो #navra
poetdiary.in
इश्क़ या की है गुनाह पता नहीं लेकिन । जो भी किया, बड़ी शिद्दत से किया मैंने ।। @poetdiary07 ©AMIT MISHRA इश्क़ या की है गुनाह पता नहीं लेकिन । जो भी किया, बड़ी शिद्दत से किया मैंने ।। follow us on Instagram/fb @poetdiary07 Kumar Ranjeet Ramesh
नरेश होशियारपुरी
ज़रा सोचिए!! हम कौन हैं।। बाकी सब शीर्षक में जानें ज़रा सोचिए हम कौन हैं!... जात पहले आई या की तुम।। धर्म पहले आया या की तुम।। मज़हब पहले बना या की तुम।। जब सृष्टि का हुआ था निर्माण।। बस आये
Mahesh Yogi
ना जानें क्या क्या मे तेरे नाम लिखूं, ये दिल लिखूं या की अपनी जान लिखूं, इन आंसूओ को तेरी इन प्यारी आंखों से चुरा के, अपनी हर खुशी को मे तेरे नाम लिखूं....!! ©Mahesh Yogi ना जानें क्या क्या मे तेरे नाम लिखूं, ये दिल लिखूं या की अपनी जान लिखूं, इन आंसूओ को तेरी इन प्यारी आंखों से चुरा के, अपनी हर खुशी को मे तेर
MANJEET SINGH THAKRAL
आरम्भ है प्रचंड, बोले मस्तकों के झुण्ड आज जंग की घडी की तुम गुहार दो, जिस "सत्ता" की कल्पना में हो "बेरोजगारी" उस "सत्ता" को आज तुम नकार दो, भीगती नसों में आज, फूलती रगों में आज आग की लपट का तुम बघार दो, "उठो युवा ललकार दो, रोजगार दो, रोजगार दो" #राष्ट्रीय_बेरोजगार_दिवस https://t.co/PXlRgkaAwN आरम्भ है प्रचंड, बोले मस्तकों के झुण्ड, आज जंग की घडी की तुम गुहार दो आन, बान ,शान या की जान का हो दान, आज एक धनुष के बाण पे उतार दो मन कर
Rohit Shivajirao Petare
तूझे रास्तें में कोई दिक्कत ना आये इसीलिए हमने... जला दिये है कई बाजार सरेआम और कई बेकसूरों की बस्तियाँ... जिन्होनें कभी चढ़ाई थी आवाज तेरे सामने या की थी आँखें ऊँची.. तू बस एक इशारा कर दे तू..., हम मिटा देंगे उनकी हस्तियाँ... @नीरव तूझे रास्तें में कोई दिक्कत ना आये इसीलिए हमने... जला दिये है कई बाजार सरेआम और कई बेकसूरों की बस्तियाँ... जिन्होनें कभी चढ़ाई थी आवाज ते