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Defence dreammer

शैल

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अब किस किस सितम की मिसाल दूँ तुमको,,,,,
तुम तो हर सितम बेमिसाल करते हो।।

©Defence dreammer शैल

Defence dreammer

शैल #touchthesky

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घर की दीवारों को गुरूर की छत उनके ऊपर है,,,,,,
एक मंजिल और बना जनाब फर्स हो गए।।

©Defence dreammer शैल
#touchthesky

Punam Gupta

Ramesh (rs) राजस्थानी....

शैल जी कवि रचना #कविता

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Hasya
शैल चतुर्वेदी

एक दिन मामला यों बिगड़ा
कि हमारी ही घरवाली से
हो गया हमारा झगड़ा
स्वभाव से मैं नर्म हूं
इसका अर्थ ये नहीं
के बेशर्म हूं
पत्ते की तरह कांप जाता हूं
बोलते-बोलते हांफ जाता हूं
इसलिये कम बोलता हूं
मजबूर हो जाऊं तभी बोलता हूं
हमने कहा-"पत्नी हो
तो पत्नी की तरह रहो
कोई एहसान नहीं करतीं
जो बनाकर खिलाती हो
क्या ऐसे ही घर चलाती हो
शादी को हो गये दस साल 
अक्ल नहीं आई
सफ़ेद हो गए बाल
पड़ौस में देखो अभी बच्ची है
मगर तुम से अच्छी है
घर कांच सा चमकता है
और अपना देख लो
देखकर खून छलकता है
कब से कह रहा हूं
तकिया छोटा है
बढ़ा दो
दूसरा गिलाफ चढ़ा दो
चढ़ाना तो दूर रहा
निकाल-निकाल कर रूई
आधा कर दिया
और रूई की जगह
कपड़ा भर दिया

कितनी बार कहा
चीज़े संभालकर रखो
उस दिन नहीं मिला तो नहीं मिला
कितना खोजा
और रूमाल कि जगह
पैंट से निकल आया मोज़ा
वो तो किसी ने शक नहीं किया
क्योकि हमने खट से 
नाक पर रख लिया
काम करते-करते टेबल पर पटक दिया-
"साहब आपका मोज़ा।"
हमने कह दिया
हमारा नहीं किसी और का होगा
अक़्ल काम कर गई
मगर जोड़ी तो बिगड़ गई
कुछ तो इज़्ज़त रखो
पचास बार कहा
मेरी अटैची में
अपने कपड़े मत रखो
उस दिन
कवि सम्मेलन का मिला तार
जल्दी-जल्दी में
चल दिया अटैची उठाकर
खोली कानपुर जाकर
देखा तो सिर चकरा गया
पजामे की जगह 
पेटीकोट आ गया
तब क्या खाक कविता पढ़ते
या तुम्हारा पेटीकोट पहनकर
मंच पर मटकते 

एक माह से लगातार
कद्दू बना रही हो
वो भी रसेदार
ख़ूब जानती हो मुझे नहीं भाता
खाना खाया नहीं जाता
बोलो तो कहती हो-
"बाज़ार में दूसरा साग ही नहीं आता।"
कल पड़ौसी का राजू
बाहर खड़ा मूली खा रहा था
ऐर मेरे मुंह मे पानी आ रहा था
कई बार कहा-
ज़्यादा न बोलो
संभालकर मुंह खोलो
अंग्रेज़ी बोलती हो
जब भी बाहर जाता हूं
बड़ी अदा से कहती हो-"टा....टा"
और मुझे लगता है
जैसे मार दिया चांटा 
मैंने कहा मुन्ना को कब्ज़ है
ऐनिमा लगवा दो
तो डॉक्टर बोलीं-"डैनिमा लगा दो।"
वो तो ग़नीमत है
कि ड़ॉक्टर होशियार था
नीम हकीम होता 
तो बेड़ा ही पार था
वैसे ही घर में जगह नहीं
एक पिल्ला उठा लाई
पाव भर दूध बढा दिया
कुत्ते का दिमाग चढ़ा दिया
तरीफ़ करती हो पूंछ की
उससे तुलना करती हो 
हमारी मूंछ की
तंग आकर हमने कटवा दी
मर्दो की रही सही
निशानी भी मिटवा दी

वो दिन याद करो
जब काढ़ती थीं घूंघट
दो बीते का
अब फुग्गी बनाती हो फीते का
पहले ढ़ाई गज़ में
एक बनता था
अब दो ब्लाउज़ो के लिये 
लगता है एक मीटर
आधी पीठ खुली रहती है
मैं देख नहीं सकता
और दुनिया तकती है

मायके जाती हो
तो आने का नाम नहीं लेतीं
लेने पहुंच जाओ 
तो मां-बाप से किराए के दाम नहीं लेतीं
कपड़े
बाल-बच्चों के लिये
सिलवा कर ले जाती हो
तो भाई-भतीजों को दे आती हो
दो साड़ियां क्या ले आती हो
सारे मोहल्ले को दिखाती हो
साड़ी होती है पचास की
मगर सौ की बताती हो
उल्लू बनाती हो
हम समझ जाते हैं
तो हमें आंख दिखाती हो
हम जो भी जी में आया
बक रहे थे
और बच्चे
खिड़कियो से उलझ रहे थी
हमने सोचा-
वे भी बर्तन धो रही हैं
मुन्ना से पूछा, तो बोला-"सो रही हैं।"
हमने पूछा, कब से?
तो वो बोला-
"आप चिल्ला रहे हैं जब से।"

©Ramesh(RS) राजस्थानी शैल जी कवि रचना

स्वरालोक

शैलहिंदीnojotohindi hills #Rose #ज़िन्दगी

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शैल भी बदलता है एक दिन
अपना रूप,रंग ,आकार
शनै:शनै: परिवर्तित होता है
करता है सपने साकार 
है परिवर्तन जग कि नियती
करो ना करो स्वीकार
शैल नहीं निर्जीव पाषाण कभी भी
है उसमें भी जीवन का संचार 



©स्वरालोक #शैल#हिंदी#nojotohindi
#hills

Mamta kumari

#जय मां शैल पुत्री #Videos

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jitendra sharma

जय मां शैल पुत्री #समाज

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satyamkavy

प्रेम कविताओं के उदाहरण 🌼🍂

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Ashay Choudhary

पढ़ लिख कर अवसादी हुए जो अनपढ़ थे तो बेबाक थे

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काश कि मैं भी कुछ लिख पाता
शायद अपनी कश्मकश लिखता
शायद कभी पसोपेश में पड़ जाता
शायद थोड़ा प्रेम ही उकेर पाता
अच्छा होता जो मैं अनपढ़ ही रह जाता
अच्छा होता जो मैं अनघड़ ही रह जाता
ना किसी की उम्मीद जगाता
ना ही किसी के काम आ पाता
बस, सुकून से मर जाता
कभी जो कोई वरदान मुझे मिल जाता
तो सबसे पहले मैं अपने लिए यही मांग लाता
अच्छा होता जो मैं फिर से अनपढ़ हो जाता। पढ़ लिख कर अवसादी हुए
जो अनपढ़ थे तो बेबाक थे

Shailendri Tiwari "Shail"

डालकर दृष्टि नाथ प्रभु, कपाट ज्ञान के खोल दीजिये। ✍️ शैलेन्द्री तिवारी "शैल"

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