Find the Latest Status about सांग घूँघट की ओट में from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, सांग घूँघट की ओट में.
Archana pandey
कण्टक ते बबूरा भरे कडुइ नीम नहि खोट नारायण की ओट में अइसहिं हरि से चोट... (बबूल में कांटे और नीम का कड़ुआ होना उनके अवगुण नहीं;दोनों दिव्य औषधि हैं ठीक इसी प्रकार परमात्मा की छत्र-छाया में मिले संघर्ष किसी वैक्सीन से कम नहीं जो हमें समस्यायों से लड़ने के योग्य बनाते हैं) ..अर्चना'अनुपमक्रान्ति' ©Archana pandey नारायण की ओट में... #mountain
Sonam kuril
घूंघट में चाँद एक रोज वो पास आकर बोले , मैं वो हसीन चेहरा देख आया , आज मैं आसमाँ का गुरुर तोड़ आया , बड़ी खूबसूरत है उसकी आँखे , देखते ही दिल मै अपना वही छोड़ आया , तारों को क्यों होती है उससे जलन , आसमां पर बिखरता नूर उसका मैं देख आया , उठा जो घूँघट बादलों का , की आज मैं घूँघट में चाँद देख आया , बातें सुन मैं हैरान थी , ये कैसा कमाल कर आया , चाँद हमसे इतना दूर है , फिर कैसे ये घूंघट में चाँद देख आया , अचंभित देख मुझे वो मुस्कुरा कर बोले , देख मत ऐसे मुझे, मै उस चाँद की नहीं अपने चाँद की बात करता हूँ , अक्सर रहा करता था घूँघट में वो सोना, आज इत्तिफाकन उठाया उसने घूँघट, और मै धरा पर घूँघट में चाँद का दीदार कर आया | घूँघट में चाँद
HarshivaPrakash
तू कही सांझ सी ढलती गई, मेरी नजरों से ओझल कहीं,उदासी से झुकती नजर, ढूंढती फिरती इधर -उधर ! तू तो लालिमा थी, प्रकाश की, केसरिया रंग ओढ चली! शीतल मन अब चाँद निहारे, निशी-दिन जागे तेरी "विरहन" घूंघट की ओट में थी, बन कर चल दी । वो "पनिहारन" #वो_दिन #वोघूँघट की ओट में थी , #विरहन #पनिहारन
Diwan G
घूंघट में चाँद रोशनी नहीं होती है चाँद के पास, सूरज की रोशनी से वो चमकता है। घूँघट में छुपा चाँद भी ऐसे ही, दिलबर की नजर पड़ने पे दमकता है। नजर से नजर मिलती है जब, दिलबर का चाँद भी मुस्कुराता है। सुर्ख चेहरे पे हया सी तैर जाती है, घूँघट का चाँद और भी निखरता है। वो चाँद है आसमाँ का, और आसमान पे डूब जाता है। घूँघट में छुपा चाँद है जमीं पे, दिलबर की बाँहों में सिमट जाता है। Fantasy Writer® घूँघट की आड़ में चाँद। #GhoonghatMeChand #कविता #nojoto #दिलबर
manoj kumar jha"Manu"
उसने अपने बालों की ओट करके बात जो की। वहीं दिल हारे थे हम, ऐसे उसने बात जो की।। बालों की ओट से
anurag saxena
तुम घूँघट में हम से मिलने आया न करो आधा अधूरा चांद हमे अच्छा नही लगता। ---------अनुराग घूँघट
Neophyte
हर किसी को उस शख्स से मोहब्बत हो सकता है जो मेरी जरूरत है वो सबकी जरूरत हो सकता है पर न जाने क्यों हर कोई मोलभाव में परेसान है उसे देखकर बतलाओ क्या उसका कोई कीमत हो सकता है चाँद तभी से छिपता फिर रहा जब से उसे पता चला है कोई उससे भी ज्यादा खूबसूरत हो सकता है एक बार उसकी नज़रो के धार से जख्म लेकर देखो बड़े बड़े सल्तनतों से बगावत हो सकता है हमे भी तो इश्क़ के ताकतों का अंदाज़ा नही था हमे कहा पता था हमारा ऐसा नौबत हो सकता है हमे हज की ख्वाहिश बेवजह थी शायद घूँघट उठा कर भी खुदा का ज़ियारत हो सकता है (क्षत्रियंकेश) घूँघट