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Stories related to रणछोड़ नाम कैसे पड़ा

dilkibaatwithamit

लिख लिख के तेरा नाम मिटाना पड़ा मुझे इक राज था जो सबसे छुपाना पड़ा मुझे मेरी ग़ज़ल में यार की पहचान थी कोई हर एक शेर यूँ ही घुमाना

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लिख लिख के तेरा नाम मिटाना पड़ा मुझे
इक राज था  जो  सबसे छुपाना पड़ा मुझे

मेरी ग़ज़ल में यार की पहचान थी कोई 
हर एक शेर  यूँ  ही   घुमाना  पड़ा मुझे

ये बात आप उसके ख्यालो से पुछिए
कल रात क्यूँ ही खुद को जगाना पड़ा मूझे

लगने लगा था जब मुझे नाकामियों से डर 
इक शेर फिर खुद ही सुनाना पड़ा मुझे

अपनो ने मुझमे खूब निकाली थी खामियां
गैरों से  यूँ  ही  हाथ  मिलाना  पड़ा  मुझे

अनवर से जिसने अन्नु रखां था मेरा नाम 
अनवर  उसी का  नाम  बताना पड़ा मुझे
....अनवर क़ुरैशी

©dilkibaatwithamit लिख लिख के तेरा नाम मिटाना पड़ा मुझे
इक राज था  जो  सबसे छुपाना पड़ा मुझे

मेरी ग़ज़ल में यार की पहचान थी कोई 
हर एक शेर  यूँ  ही   घुमाना

Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#अवधबिहारी तेरे नाम

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White मंगल भवन अमंगल हारी 
    आरति करुँ तोरी अवधबिहारी 

रत्नजड़ित सिंहासन साजे 
     बाम भाग जानकी विराजे 
चरण कमल सोहे गिरिधारी...
आरति करुँ तोरी अवध बिहारी..

भरत शत्रुघन चँवर डुलावें 
लक्षमन दास भाव अति भावें 
दशरथ के सुख सागर चारी 
आरति करुँ तोरी अवधबिहारी..

कर में धनुष बाण अति सोहे 
युगलछवि भगतन मन मोहे 
देहु भगति वर जनकदुलारी 
आरति करुँ तोरी अवधबिहारी..

भ्रात भरत सम जगत न होई 
राम रूप जानत कोइ कोई 
रिपुसूदन की महिमा न्यारी 
आरति करुँ तोरी अवधबिहारी..

आरति नाथ दीन की लीजै 
चरण कमल आश्रय कर दीजै 
तुम्हरी जय जय पालनहारी 
आरति करुँ तोरी अवधबिहारी..

जय सुखसागर जय सुखराशि 
जय सच्चिदानंद अविनाशी 
ध्यान धरें ब्रम्हा त्रिपुरारी 
आरति करुँ तोरी अवधबिहारी....

जो जन शरण तुम्हारी आवे 
मनवांछित फल चारहुँ पावे 
नाम की महिमा विदित तुम्हारी 
आरति करुँ तोरी अवधबिहारी..

©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #अवधबिहारी तेरे नाम

Ghumnam Gautam

White हाँ, मुझे प्यार है और तुम से ही है
पर बताओ मैं इज़हार कैसे करूँ

©Ghumnam Gautam #कैसे 
#इज़हार 
#ghumnamgautam

Parasram Arora

कैसे तय हो?

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White ये बात कित्नी अजीब है 
कि सांसे मेरी धीमी 
और मंद होती जा रहीं 
जबकि मेरी  नब्ज़ ने 
फड़कना बन्द कर  दिया है 


अब ये कैसे तय हो 
कि मै कितनी 
देर या  कितने दिन और  
जीता रहूगा ?
और मानलो मरना ही पढ़ा 
तो मेरा अंतिम क्षण कौनसा होगा

©Parasram Arora  कैसे तय हो?

BANDHETIYA OFFICIAL

#good_night #नाम हो पाए।

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White नाम हो जाने दो,
देह को जाने दो,
रूह का क्या, दिल का  
भाव को छाने दो,
गीत मैं जो लिखूं,
कोई छाता नहीं,
आसमां हो रहे,
दूर जाता नहीं,
सब पे छाया रहे,
ऐसा साया रहे,
कोई तो बढ़ा हाथ,
तारा ले चढ़ा हाथ,
किसी का चाहिए साथ,
बात बन जाए बात,
चमक जाए रातों रात,
सितारा किस्मत का ,बिसात।

©BANDHETIYA OFFICIAL #good_night #नाम हो पाए।

Dinesh Sharma Jind Haryana

#नाम

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset हर धड़कन पर 
नाम तुम्हारा लिखा है

©Dinesh Sharma Jind Haryana #नाम

चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

# कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024

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New Year 2024-25  कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024
_______________________
हे दिसंबर ! कैसे कहूँ अलविदा --2024

जाते जाते  कितनों के आंँखें  कर गए नम
माना कि मेरे हिस्से में आई हैं खुशियांँ, 
खुशियांँ भी मना न पाऊंँ जाने कितने को दे गए हो गम

हे दिसंबर ! तुम्हें कैसे कहूंँ अलविदा-- 2024

भूल से भी ना भूलेगा मिटे से भी ना मिटेगा
 ज़ख्म है कितना गहरा , बेखबर हो गए हो
तुम क्या जानो ! जाने कितनों की सांँसे थम गईं

हे दिसंबर ! कैसे कहूंँ  अलविदा -- 2024

कपकपाती काया के रूह से पूछो-
जाते जाते  कितने को दर्द दे गए
  सिलते सिलते जाने कितने की उंगलियांँ जम गईं 

हे दिसंबर! कैसे कहूंँ अलविदा - 2024

(मौलिक रचना) 
चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज , उत्तर प्रदेश
३१/१२/२०२४ , ११:०८ पूर्वाह्न

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज # कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024

Parasram Arora

कैसे पता लगे?

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Unsplash कैसे  पता लगे 
कि कौनसी बात
  न्याय संगत है 
और कौनसी बात व्यर्थ 

कागज़ी फूलों पर तुमने
कभी किसी  भवरे को 
बैठते हुए  देखा है क्या?

©Parasram Arora कैसे पता लगे?

विष्णु कांत

उसके नाम का कुत्ता।

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F M POETRY

#आपका नाम...

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Unsplash आपका नाम तो मेरी बातों में है..

और यादें पुरानी किताबों में हैं..



यूसुफ़ आर खान..

©F M POETRY #आपका नाम...
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