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Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
कलम से कड़ी के अगले कलमकार हैं- शरद जोशी #KalamSe #SharadJoshi #व्यंग्य शरद जोशी ( 21 मई 1931 - 5 सितम्बर 1991) शरद जोशी का जन्म उज्जैन, मध
कमलेश
आसान मंज़िल पहले दोस्तों के साथ घूमने जाने के लिए घर में झूठ बोलते थे अब गर्लफ्रेंड के साथ घूमने जाने के लिए झूठ बोलते हैं ©expresslove हास्य व्यंग्य #shyari #व्यंग्य #Love
Rãjpøôt BãÑä Ãkâsh
हमें क्या फर्क पड़ता है, हमें क्या फर्क पड़ता है, अगर आज कोई ठोकर खाता हैं, कोई गड्डे में गिर जाता हैं, अरे भाई इसी से तो ही वोट बैंक बनता हैंI हमें क्या फर्क पड़ता है, अगर दो माले की बिल्डिंग 20 माले का होता हैं, चाहे उस बिल्डिंग में दबकर लोग मरता हैं, पर भाई पैसा तो उधर से ही मिलता हैंI हमें क्या फर्क पड़ता हैं, कोई भूखा मरता हैं, या कचरा प्लास्टिक खाता हैं, यार नेता है हमारा पेट तो भर जाता हैंI Writer Akash✍️ #व्यंग्य
Rakesh Kumar Dogra
"व्यंग्य" शब्द की व्यंजना शक्ति द्वारा निकला एक गूढ़ार्थ होता है। इतना आसान नहीं है तुमने मज़ाक बना रखा है। वो जहाँ होता है तुम्हे वहां तक घूमकर पहुंचना भी होता है। वो सीधे सीधे नहीं होता लच्छेदार होता है। अपने साथ एक खूबसूरत मोड़ लिए होता है। उसकी खिड़की से सारा दृश्य अभिसरित* होता है। *एक ओर केन्द्रित होता है। व्यंग्य
Mr. Singh Hindi Classes
ये तो माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन ख़ाक हो जाएँगे हम,तुमको खबर होने तक। व्यंग्य
✍️ # ASHISH GUPTA
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Arun Thapliyal
मैं कहाँ डरता हूँ ?बिल्कुल भी नहीं। चाहे छिन लो मेरे जीने का हक। या दिखाओ सत्ता का डर। मैं कहाँ डरता हूँ?बिल्कुल भी नही। हाँ तुम्हारी बातों पर यकी कर लेता हूँ। बात राष्ट्र की करते हो न, इसलिए। और हां, इसलिये भी यकी हैं कि,सेना का बड़ा ध्यान रखते हो। वैसे मैं डरता नही हूँ, बिल्कुल भी नही। और जो सत्ता में होते हैं,उनसे तो बिल्कुल भी नही। अरे गरीब अगर गरीब हुआ तो क्या? ये तो नियति है उसकी। अरे युवा अगर सड़कों पर टहलते हैं रोजगार को, तो क्या? ये सब तो आम बात है ना। फिर मैं क्यों परेशां हौऊँ। वैसे मैं डरता नही हूँ, बिल्कुल भी नहीं। और जो सत्ता में हैं,उनसे तो बिल्कुल भी नहीं। अरे किसी भी चीज के दाम बढ़े तो क्या? पहली बार थोड़ी बढ़े हैं, चिल्लाते क्यों हो, चुप रहो। और खाने को नही मिल रहा क्या ? राष्ट्रवाद है, वो घोटा पी लो। क्यों खामखां तिल को ताड़ किये हो ? वैसे में डरता नही हूँ ? और जो सत्ता में हैं, उनसे तो बिल्कुल भी नही। अब कुछ बोलना मत ? जेल तो देखी होगी न ? सब कुछ बढ़िया है,तुम्हे न जाने किस बात का डर है ? इतना क्यों डरते हो,इस देश मे रहकर भक्त का भावार्थ नही जानते ? वैसे में डरता नही हूँ ,बिल्कुल भी नही। और जो सत्ता में हैं,उनसे तो बिल्कुल भी नही। अरुण'निमित्त' ©Arun Thapliyal व्यंग्य...