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Manku Allahabadi

शिव तांडव स्त्रोत (भाग - 17) ............................................. पूजावसानसमये दशवक्रत्रगीतं यः शम्भूपूजनपरम् पठति प्रदोषे। तस्य स् #Shiva #mahadev #विचार #bambhole #mankuallahabadi #shivtandavstotram

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पूजावसानसमये दशवक्रत्रगीतं 
यः शम्भूपूजनपरम् पठति प्रदोषे।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां लक्ष्मी 
सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥१७॥


अर्थात- प्रात: शिवपुजन के अंत में 
इस रावणकृत शिव ताण्डव स्तोत्र के गान से 
लक्ष्मी स्थिर रहती हैं तथा 
भक्त रथ, गज, घोड़ा आदि 
संपदा से सर्वदा युक्त रहता है.

शिव तांडव स्त्रोत 
(श्लोक-17)

©Manku Allahabadi शिव तांडव स्त्रोत (भाग - 17)
.............................................
पूजावसानसमये दशवक्रत्रगीतं यः शम्भूपूजनपरम् पठति प्रदोषे।
तस्य स्

पण्डित राहुल पाण्डेय

*रक्षाबन्धन* ● रक्षाबन्धन 11 अगस्त को रात 8.51 के बाद रात में ही मनाएँ *12 अगस्त को नहीं* (शास्त्र सम्मत निर्णय) ● इस वर्ष 11 अगस् #Hill #पौराणिककथा

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*रक्षाबन्धन*
● रक्षाबन्धन 11 अगस्त को रात 8.51 के बाद रात में ही मनाएँ
 *12 अगस्त को नहीं*  (शास्त्र सम्मत निर्णय)
●         इस वर्ष 11 अगस्त 2022 गुरुवार को भद्रा होने से रात्रि 08.51 भद्राशुद्धि बाद रक्षाबंधन पर्व मनाया जाएगा । 
रक्षाबंधन में रात्रि दोष नहीं होता है-
 *भद्रान्ते प्रदोषे रात्रौ वा कार्यम्।* 
● पूर्णिमा 12 अगस्त को पूरे भारत में पूर्णिमा उदयकाल में त्रिमहूर्त से कम है 
अतः 12 को रक्षाबंधन एवं श्रावणी नहीं करना चाहिए। 
*उदये त्रिमुहूर्त्तन्यूनत्वे पूर्वेद्यु: प्रदोषादिकाले कर्तव्यम्।*
 ●    याजुषादियों को उपाकर्म (श्रावणी) भी 11 अगस्त को ही कर्तव्य है । 
उपाकर्म में भद्रा दोष नहीं होता है । रक्षाबंधन में होता है-
*भद्रायां द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा।*
*भद्रा में दो कार्य नहीं करने चाहियें श्रावणी अर्थात् रक्षाबंधन और होलिका दहन* । 
भद्रा में श्रावणी करने से राजा की मृत्यु होती है और होली जलाने से नगर में आग संबंधित उपद्रव होते हैं । *अतः रक्षाबंधन पर्व में भद्रा पूर्णतः त्याज्य है । उसका कोई भी परिहार ग्राह्य नहीं है*।
         रक्षाबंधन की पूर्णिमा में भद्रा मुख पुच्छ आदि ग्रहण करना शास्त्र मर्यादा के विरुद्ध है ।
 *रक्षाबंधन श्रावण पूर्णिमा के दिन ही कर्तव्य है । इस दिन ग्रहण या संक्रांति हो तो भी इसी दिन भद्रा रहित काल में रक्षार्थ रक्षापोटलिका युक्त रक्षासूत्र बांधना और बंधवाना  चाहिए ।*  
       *यदि पूरे दिन भद्रा हो तो रात्रि में प्रदोष काल में या भद्रा समाप्ति पर सभी रक्षाबंधन करें । रक्षाबंधन कर्म होलिका के समान सभी वर्णों के लिए कर्तव्य है* ।
 *सूर्यास्त के साथ निशामुख से तीन मुहुर्त अर्थात् स्थूल रुप से छः घटी पर्यन्त अर्थात् सूर्यास्त से अढ़ाई घंटे तक "प्रदोष काल" रहता है ।* 
अतः अपने अपने क्षेत्र के पंचांगों के अनुसार भद्रा समाप्ति पर ही 11 अगस्त को ही रक्षाबंधन करें ।
 *पण्डित राहुल पाण्डेय* काशीप्रयाग-मध्य
ज्योतिष/वास्तु/ग्रहशांति/हस्तरेखा/समस्त जाप/शांति
8932080374

©पण्डित राहुल  पाण्डेय *रक्षाबन्धन*
● रक्षाबन्धन 11 अगस्त को रात 8.51 के बाद रात में ही मनाएँ
 *12 अगस्त को नहीं*  (शास्त्र सम्मत निर्णय)
●         इस वर्ष 11 अगस्
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