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Dark Shadow
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read moreGopal Dabhi
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read moreMuhammad Ilyas Rathor
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read moreMona a
Vijay Vidrohi
White जहां आपसी प्यार हो वहां विचार भी मिल जाते हैं। और जहां विचार ना मिले वहां परिवार भी हिल जाते हैं। बढ़ रहे हैं आजकल पति-पत्नी में झगड़े जिनके कारण बच्चों के सपने मिट्टी में मिल जाते हैं। ©Vijay Vidrohi विचार #my #new #thoughts #shayri #love #poem #Poetry #sad #life zindagi poetry quotes poetry on love sad urdu poetry urdu poetry
Bharat Bhushan pathak
White जीवन ये नदिया बहती-सी धारा। ढूँढे यहाँ पे सभी किनारा। ©Bharat Bhushan pathak #sad_quotes sad urdu poetry poetry on love urdu poetry sad urdu poetry poetry in hindi
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read moreदीक्षा गुणवंत
मैं उसको इस कदर आंख भर के देखूं, वो जाए दूर फिर भी आह भर के देखूं। एक इंसान ने यूं ही इस कदर पा लिया उसे, मैं उसे खुद के किस ख्वाब में देखूं? चंद लम्हे बिताए उसके साथ में, पर सपने हजार मैं देखूं। साथ में होकर भी रास्ते अलग से हैं हमारे, खुद अकेले चलकर उसे किसी और के साथ मैं देखूं।। कुछ कह कर भी किसी के एहसास-ए-मोहब्बत से वाकिफ होने से महरूम है ये दुनिया। यूं तो बिन कहे, बिन सुने समझ लेते हैं एक दूजे को, उसकी आंखों में खुद के लिए प्यार बेशुमार मैं देखूं।। यूं बिखरी जुल्फें, यूं बदहवास सी हालत, यूं आंखों के दरमियां घेरे काले काले, उसे पसंद हूं मैं इन खामियों के साथ। वो कहे मेहताब का नूर मुझे, उसकी नजरों से आईने में खुद का दीदार हजार बार मैं देखूं।। वो मेला, वो झूले, वो रास्ता तेरे साथ में, याद है वो आखरी दिन मेरा हाथ तेरे हाथ में। वो बिंदी, वो लाली, फिर भी कुछ कमी सी थी श्रृंगार में, वो तेरी पसंद के झुमके पहन खुद को बार-बार मैं देखूं।। मोहज़्ज़ब(सभ्य) मोहब्बत और ये बेइंतेहा चाहत हमारे दरमियां, एक पायल उसने अपने हाथों से पहनाई जो मुझे। कुछ इस तरह छुआ मेरे पैरों से मेरे दिल को, उस लम्हे को तन्हाई में हजार बार मैं देखूं।। बेबसी का आलम कुछ इस कदर है मेरे आशना, वो साथ होकर भी साथ नहीं है मेरे। मेरा होकर भी मेरा ना हो सका वो, उसे पाया भी नहीं, फिर भी खो देने का आज़ार(दर्द) मैं देखूं।। -लफ़्ज़-ए-आशना "पहाड़ी" । ©दीक्षा गुणवंत sad urdu poetry poetry urdu poetry poetry on love poetry in hindi
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read moreRitu Nisha
कहने के लिए ख़ुद को मेरा कहते हो। जानती हूँ कितनी लड़कीओं में रहते हो। कहीं न कहीं आ टकराती है सब मुझसे, तुम जिन जिन की आँखों में बहते हो। मुझे बेवफ़ा ओ बदउनवान कहने वाले, मैं क्या झेल रही हूँ जो तुम सब सहते हो। मेरी जानिब से चाहते हो तमाम उम्र मेरी, ख़ुद आए रोज़ किसी आँचल में ढहते हो। ©Ritu Nisha #good_night urdu poetry deep poetry in urdu poetry lovers poetry on love
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read moreMehmood Mehar
#HindiDiwas2020 urdu poetry hindi poetry poetry on love urdu poetry sad urdu poetry
read moreRohit Bhargava (Monty)