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Ravendra
Rihantyagi042
Mehfil-e-Mohabbat
भूले से हो गई है अगरचे ये उस से बात ऐसी नहीं ये बात जिसे भूल जाइए है किस बला का फ़ोटोग्राफ़र सितम-ज़रीफ़ मय्यत से कह रहा है ज़रा मुस्कुराइए ©Mehfil-e-Mohabbat ✍️♥️ अनवर मसूद ♥️✍️
Ravendra
Ravendra
Vedantika
हमकों बस हुश्यारी न आई नक़ाब चेहरे पर ओढ़ने की वरना आज हम भी बादशाह होते ज़माने की रियासत के ढह जाता हर हिसार ताश के पत्तों की तरह ज़मीन पर जो हमें भी आता क़ायदा आज की नई सियासत का ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "हुश्यारी" "hushyaarii" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है बुद्धिमत्ता एवं अंग्रेजी में
Abeer Saifi
ऐ काश तनफ़्फ़ुर के बाज़ार नहीं होते नफ़रत से भरे ऐसे सालार नहीं होते जो ताक़ पे रख भूले आज़ाद ख़्याली को कोताह नज़र आला सरकार नहीं होते लिख देंगे वही आका़ जो आप हमें बोलें बिकते ही नहीं वो जो अख़बार नहीं होते गुस्ताख़ हमीं हैं जो सच बोल वहां आए हालात हमारे तो दुश्वार नहीं होते हैं राज घराने के हालात अगर नाज़ुक हिन्दू-ओ-मुसलमां में तकरार नहीं होते ना आग लगाते तुम हर सिम्त यहाँ ज़ालिम शायद कि यहाँ हम भी अग़यार नहीं होते ना इश्क़ हमें होता तो देख मिरे हाकिम हम भी तो उधर होते
Abeer Saifi
सोच के निकले मेरी दुनिया हसीं होगी, यारो बाताऊं कैसे किस क़दर बेज़ार हुआ ا जाँए किस सिम्त हर तरफ़ मौका़ परस्त, सौदा मेरे अरमानो का सितम सौ बार हुआ ا कश्ती मेरी डुबा के जब रवाना हुए मुसाफिर, मौका मिला मुझको को खुद का सालार हुआ ا कमाने की होड़ मैं हम उलझे इस क़दर, क्या ख़बर "अबीर" कब जुम्मा कब इतवार हुआ اا बेज़ार - tired, सालार- captain #hqurdupoetry #hqdidi #hqbaba #hqbhaijan #hqdada #hquote #hqhindishayari #yqbesthindiquotes
Abeer Saifi
ऐ काश तनफ़्फ़ुर के बाज़ार नहीं होते नफ़रत से भरे ऐसे सालार नहीं होते जो ताक़ पे रख भूले आज़ाद ख़्याली को कोताह नज़र आला सरकार नहीं होते लिख देंगे वही आका़ जो आप हमें बोलें बिकते ही नहीं वो जो अख़बार नहीं होते गुस्ताख़ हमीं हैं जो सच बोल वहां आए हालात हमारे तो दुश्वार नहीं होते हैं राज घराने के हालात अगर नाज़ुक हिन्दू-ओ-मुसलमां में तकरार नहीं होते ना आग लगाते तुम हर सिम्त यहाँ ज़ालिम शायद कि यहाँ हम भी अग़यार नहीं होते ना इश्क़ हमें होता तो देख मिरे हाकिम हम भी तो उधर होते
Abeer Saifi
सोच के निकले मेरी दुनिया हसीं होगी, यारो बाताऊं कैसे किस क़दर बेज़ार हुआ ا जाँए किस सिम्त हर तरफ़ मौका़ परस्त, सौदा मेरे अरमानो का सितम सौ बार हुआ ا कश्ती मेरी डुबा के जब रवाना हुए मुसाफिर, मौका मिला मुझको को खुद का सालार हुआ ا कमाने की होड़ मैं हम उलझे इस क़दर, क्या ख़बर "अबीर" कब जुम्मा कब इतवार हुआ اا बेज़ार - tired, सालार- captain #hqurdupoetry #hqdidi #hqbaba #hqbhaijan #hqdada #hquote #hqhindishayari #yqbesthindiquotes