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Yarra Geetanjali
"Pyar" aur "Vasna" ke bich ka fark bas kuch itna sa hai, vasna ek jariya hota h khudko sabit karne ka toh pyar samarpan or bharosha hota hai. Vo bolte hein "vasna" ek echha hota hai toh "pyar" sacha hai, mujhe nhi lagta ke koi bhi ye mante honge? Koi koi toh ye tak bol deta h ke vasna ke bina pyar adhura hai! Lekin vasna toh samanya hai pyar ke bareme koun soche. Vo kehtey hai zindagi bahot choti hai sare niyam maan ne ke liye! Ye raat hai ! Asthir aur suhana , ise mehsoos karo jab tak aapke bhawnaye sant na ho. Koi kehta hai , vasna suruwat se hukum chalata hai lekin pyar sirf bewkoof banata hai . Toh koi kehta hai vasna ho ya pyar dono hi ek dusre ke adhar hai. Dono hi ek bhawar hai!!! ©Yarra Geetanjali pyar ya vasna... #Dullness
KhaultiSyahi
❤️:वासना के भिक्षा पात्र में कभी भी प्रेम नहीं समा सकता है । इसीलिए तो स्त्री उस पुरुष को खोजती है जो प्रेम के योग्य हो । उसे वासना नहीं चाहिए । उसे शुद्ध प्रेम, वह भी गहराई से करने वाला चाहिए । वासना से भरा पुरुष हमेशा स्त्री को वासना का एक साधन ही समझता है । वह उसे पुज्या नहीं भोग्या ही समझता है । वह हर पल वासना की दृष्टि से देखते रहता है । वह उसे प्रेम कि नजर से नहीं देखता है । जबकि स्त्री सदैव प्रेम से भरी रहती है । वह सदैव पूर्ण रहती है । स्त्री की निरंतर एक ही खोज चलती रहती है । वह सुन्दर पुरुष को खोज नहीं करती है । वह एक प्रेम करने वाला और उसे समझने वाला पुरूष की खोज करती है । स्त्री की खोज कभी भी नहीं रुकती है । वह सदैव उसे ही खोजती है । जिस पर वह अपने प्रेम की वर्षा करे । स्त्री की इसी निरंतर खोज पर पुरुष उसके चरित्र पर प्रश्न चिन्ह लगा देता है । एक विफल पुरुष और कर भी क्या सकता है । केवल स्त्री पर प्रश्न चिन्ह लगाने के सिवाय । स्त्री, पुरुष में वासना नहीं, वह सदैव प्रेम खोजती रहती है । वह प्रेम के गहनता तक उतरना चहाती है । वह रुह तक प्रेम का स्पर्श करना चहाती है । वह अमर प्रेम खोजती है जो एकरुपता से उसे प्रेम करें । प्रेम की बरखा में रंग जाना चहाती है । वह प्रेम से रंगने वाला रंगरेज खोजती है ।और शायद इसीलिए स्त्री प्रेम की चाह में अपना देह सौपती है और पुरुष देह की लालसा में प्रेम करता है: ❤️❤️ ओशो ©KhaultiSyahi #Tuaurmain #vasna #sex #woman #osho #oshovichar #osho_quote #oshorajneesh #khaultisyahi
the_unsung one
सच्चा प्रेम.. Love #Pyar #lust #ishq #Vasna #true_love #sacrifice #Truth #Man #Women #विचार
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ऐेैक लड़की कैसे सब के लिए बौझ बन जाती है ( ऐैक उदास लड़की की कहानी) मीना अपने माता पिता की बहुत लाडली थी। तीन बडे भाईयों की बहन थी। कोई भी चीज मांगने पर उसी वक्त सामने हाजिर हो जाती। पूरे घर में रौब था उसका। पूरे परिवार ओर नौकरों पर राजकुमारी की तरह हुक्म चलाती थी मीना स्कूल में भी पूरा रौब था उसका। बडे घर की लाडली जो थी वह। ऐसे ही उसने कालेज में दाखिला लिया। उसके ठाठबाट, बडी गाड़ी में आना जाना, हर दिन नया फैशन देखकर हर कोई उससे दोस्ती करना चाहता था। थोड़े ही दिनों में उसके बहुत से दोस्त बन गए। पूरे कालेज में उसकी अपनी ही एक पहचान थी। इन दिनों उसके घर एक रिश्ता आया। खानदानी लोग थे ओर पापा की पुरानी जान-पहचान थी उनके साथ। मीना के साथ कोई जबरदस्ती नहीं थी| पर मीना ने फिर भी हां कर दी, कयोंकि वह अपने परिवार से बहुत प्यार करती थी। वह जानती थी कि वह लोग उसका अच्छा ही सोचेंगे। लडके का नाम सूरज था। सूरज काफी पढा लिखा ओर समझदार लडका था। ससुराल वाले भी बहुत अच्छे थे। ससुराल में मीना की जगह वैसी ही थी जैसी कि मायके में। कोई भी काम मीना की सलाह के बिना नहीं होता था। सबकी लाडली बहू बन गयी थी वह। फिर उसके घर एक बेटे का जन्म हुआ। समर मीना को जान से प्यारा था। पोता पाकर ससुराल वाले तो फूले नहीं समाते थे। मीना कभी कभी सोचती कि उसकी किस्मत कितनी अच्छी है। उसका हर अपना उसे कितना प्यार करता है। चाहे जीवन में कैसा भी समय आये मेरे अपने हमेशा मेरे साथ हैं, मैं कभी अकेली नहीं हो सकती। कितनी खुशकिस्मत हूँ मैं। पर शायद मीना की खुशियों को उसकी अपनी ही नजर लग गई थी। एक दिन वह मायके जाने की जिद्द कर बैठी। सूरज को बहुत काम था।लेकिन वह फिर भी उसे ले गया। रास्ते में उनकी गाड़ी दूसरी गाड़ी से टकरा गई। मीना, सूरज ओर समर बहुत बुरी तरह से जख्मी हो गए। काफी दिनों के इलाज के बाद समर ओर सूरज तो ठीक हो गए लेकिन मीना पूरी तरह ठीक ना हो सकी। सर पर चोट लगने के कारण वह अपनी आंखों की रौशनी खो बैठी। अब मीना की किस्मत जैसे उलटे पांव चलने लगी। मायके वाले कुछ दिनों तक उसे मिलने आते रहे फिर कभी कभार फोन ही करके पुछ लेते कि अब कैसी हो। धीरे धीरे ये सिलसिला भी कम हो गया। ससुराल वालों की सहानुभूति भी कम होने लगी। घर में किसी को पास बैठने के लिए कहती तो जवाब मिलता बहुत काम है अब तुम भी हाथ नहीं बंटा सकती। सूरज भी चिडचिडा हो गया था। बस समर ही था उसके साथ जिसके साथ हंसते खेलते उसका वक्त गुजरता। एक दिन मीना के हाथ से कुछ सामान गिर गया जिसकी वजह से समर को हलकी सी चोट लग गई। मीना के सास ससुर ने सूरज को उससे अलग कर दिया कि कहीं उसके ना देखने की वजह से बच्चे का कोई नुकसान ना हो जाये। मीना अंदर से टूट चुकी थी। एक दिन उसने सबके सामने मायके जाने की इच्छा रखी तो सूरज उसे तुरंत मायके छोड़ आया। जैसे कि वह भी यही चाहता था। लेकिन समर को उसके साथ नहीं भेजा गया। मीना कभी समर से दूर नहीं रही थी, पर अपनी कमी के कारण उसने ज्यादा बहस नहीं की। मीना को लगा कि वह तीन चार दिन वहां रहेगी तो थोड़ा हवा पानी बदल जायेगा कयोंकि वह कितने दिनों से कहीं भी बाहर नहीं गयी थी। घर वाले भी इतने दिनों बाद उसे देखकर कितने खुश होंगे। मीना के घर पहुंचने पर सब लोग बहुत खुश हुए। खाने में सब कुछ मीना की पसंद का ही बना था। उसने अपने मम्मी पापा ओर भाई भाभियों से दिल खोल कर बातें की। उनके छोटे छोटे बच्चे भी बूआ के साथ घुलमिल गए थे। रात को सोने के वक्त जब वह कपडे बदलने लगी तो उसे पता चला कि उसका बैग तो बहुत भरा हुआ था। वह सब समझ गई। वह बहुत उदास हो गई। कुछ दिनों तक तो सब ठीक रहा, फिर जैसे सब बदलने लगा। सबका व्यवहार बदल रहा था। वह लोग जैसे थक चूके थे उससे। सब लोग घूमा फिरा कर पुछने लगे कि सूरज कब आ रहा है उसे ले जाने। वह बहाना बना देती। जबकि वह जानती थी कि उस घर मे अब उसके लिए कोई जगह नहीं। मीना से चलते वक्त कुछ ना कुछ नुक्सान हो जाता। थोड़ी बहुत टोकाटाकी उसे सूनाई देती। वह टाल देती। एक दिन उसके हाथ से लगकर एक कीमती फूलदान टूट गया। छोटी भाभी ने बहुत हंगामा मचाया। मीना के माता पिता रोज रोज के झमेलों से तंग आ गए थे। उन्होंने सूरज को खुद से फोन कर दिया। सूरज मीना को अपने घर ले गया। मीना को अपने परिवार वालों से ये उम्मीद ना थी जिस मीना के कहे बिना घर मे एक पत्ता भी नहीं हिलता था, उस घर के लिए वह अब बोझ बन चुकी थी। सूरज के साथ ससुराल आते वक्त वह बहुत खुश थी। क्योंकि वह अपने घर जा रही थी अपने जिगर के टूकडे अपने बेटे समर के पास। पर यह खुशी भी कुछ पल की ही थी। सारा बन्दोबस्त पहले ही किया हुआ था। मीना को सीधे ऊपर वाले कमरे में पहुंचा दिया गया। समर से दूर रहने की सख्त चेतावनी दी गई। एक कामवाली हैमा को उसकी जिम्मेदारी सौंपी गई। जो उसके खाने पहनने जैसी जरूरतों का ध्यान रखती। मीना ज्यादातर चुप ही रहती। कभी-कभी कामवाली हैमा से थोडि बात चीत कर लेती। उसके जरिये समर का पता चल जाता। सबकी लाडली बेटी ओर बहू सबके लिए लाडली से बोझ बन चुकी थी। ©ABK Delhi wala Kahani # Hindi kahani
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read moreDr emmanual Lawrence
Kahani Suno Haan Zubaani Suno Mujhe Pyar Hua Tha Ikraar Hua ©Dr emmanual Lawrence kahani suno #kahani