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आधुनिक कवयित्री
मेरे शब्दों को समझने में वक्त लगता हैं जनाब, क्योंकि कहानी ख़ुद की हैं, किस्से ओरो के नहीं सुनाते हैं हम ©आधुनिक कवयित्री अपनी कहानी...
अपनी कहानी...
read moreNeeraj
मेरी अपनी है मंज़िल मेरी अपनी दौड़ ऐ राह भटके मुसाफिर सब दुनियादारी छोड़ जा पाले अपनी मंज़िल लगा दे पूरा ज़ोर मेरी अपनी है मंज़िल मेरी अपनी दौड़ ©Neeraj #kavita #motivate 'अपनी मंज़िल अपनी दौड़'
S.K BHARTI
Unsplash जो टूटे हुए होते हैं, वे बहुत ही मुस्कुराते हैं। ©S.K BHARTI अपनी दुनिया
अपनी दुनिया
read moreRakesh frnds4ever
White हुए नामवर ... बेनिशां कैसे कैसे ... ज़मीं खा गयी ... नौजवान कैसे कैसे ... आज जवानी पर इतरानेवाले कल पछतायेगा - ३ चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा - २ ढल जायेगा ढल जायेगा - २ तू यहाँ मुसाफ़िर है ये सराये फ़ानी है चार रोज की मेहमां तेरी ज़िन्दगानी है ज़र ज़मीं ज़र ज़ेवर कुछ ना साथ जायेगा खाली हाथ आया है खाली हाथ जायेगा जानकर भी अन्जाना बन रहा है दीवाने अपनी उम्र ए फ़ानी पर तन रहा है दीवाने किस कदर तू खोया है इस जहान के मेले मे तु खुदा को भूला है फंसके इस झमेले मे आज तक ये देखा है पानेवाले खोता है ज़िन्दगी को जो समझा ज़िन्दगी पे रोता है मिटनेवाली दुनिया का ऐतबार करता है क्या समझ के तू आखिर इसे प्यार करता है अपनी अपनी फ़िक्रों में जो भी है वो उलझा है - २ ज़िन्दगी हक़ीकत में क्या है कौन समझा है - २ आज समझले ... आज समझले कल ये मौका हाथ न तेरे आयेगा ओ गफ़लत की नींद में सोनेवाले धोखा खायेगा चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा - २ ढल जायेगा ढल जायेगा - २ ,,,,,,, 1 ,,,,,,,, ©Rakesh frnds4ever हुए नामवर ... बेनिशां कैसे कैसे ... ज़मीं खा गयी ... नौजवान कैसे कैसे ... आज जवानी पर इतरानेवाले कल पछतायेगा - ३ #चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता
हुए नामवर ... बेनिशां कैसे कैसे ... ज़मीं खा गयी ... नौजवान कैसे कैसे ... आज जवानी पर इतरानेवाले कल पछतायेगा - ३ #चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता
read moreनवनीत ठाकुर
कमियां मेरी, मेरी पहचान बन गई, हर ठोकर से मेरी राह जान बन गई। हर मोड़ पर मिला एक नया इम्तिहान, उन्हीं सबकों से मेरी उड़ान बन गई।। अलग हूँ मैं, यही है मेरी पहचान, भीड़ से जुदा, मेरी अपनी दास्तान। जीवन का मंच है, मैं कलाकार यहाँ, अपनी तकदीर का हूँ मैं खुद निगहबान।। ©नवनीत ठाकुर अलग हूँ मैं, यही है मेरी पहचान, भीड़ से जुदा, मेरी अपनी दास्तान। जीवन का मंच है, मैं कलाकार यहाँ, अपनी तकदीर का हूँ मैं खुद निगहबान।
अलग हूँ मैं, यही है मेरी पहचान, भीड़ से जुदा, मेरी अपनी दास्तान। जीवन का मंच है, मैं कलाकार यहाँ, अपनी तकदीर का हूँ मैं खुद निगहबान।
read moreRaju Saini
White कोई हालात नहीं समझता, कोई जज़्बात नहीं समझता, ये तो अपनी-अपनी समझ की बात है जनाब, कोई कोरा कागज़ समझ लेता है तो कोई पूरी किताब नहीं समझता ! ©Raju Saini #safar कोई #हालात नहीं समझता, - कोई #जज़्बात नहीं समझता, ये तो अपनी-अपनी समझ की बात है जनाब, कोई कोरा #कागज़ समझ लेता है तो कोई पूरी #किताब
Rakesh frnds4ever
White जाने क्या ढूंढता है ये मेरा दिल तुझको क्या चाहिए जिंदगी रास्ते ही रास्ते हैं मंजिल की ना है खबर कौन सी है अपनी डगर रहगुज़र कुछ तो बता,,, जाने क्या चाहता है ये मेरा मन तुझको क्या चाहिए जिंदगी अंधेरे ही अंधेरे हैं फैले दूर तक कोई जुगनू कोई रोशनी तो दिखा ,,,,,जिंदगी,,,, ©Rakesh frnds4ever #जाने क्या #ढूंढता है ये #मेरा दिल तुझको क्या चाहिए #जिंदगी #रास्ते ही रास्ते हैं मंजिल की ना है खबर कौन सी है अपनी डगर #रहगुज़र कुछ
Ashtvinayak
कोई "हालात" को नहीं समझता, तो कोई "जज़्बात" को नहीं समझता.. ये तो बस अपनी-अपनी "समझ” है... कोई "कोरा कागज़” भी पढ़ लेता है, तो कोई पूरी "क
read moreNurul Shabd
follow for more ©Nurul Shabd #अपनी शर्तों पर #जीना मुझे आता है, #Shayari शायरी हिंदी