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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी बढ़ता अपराध और अपराधीकरण व्यवस्था सब चरमराती है शोषण की मार चहुँ और पड़ती अराजकता समाजो में घुसपैठ कर जाती है भूख भय और भ्र्ष्टाचार से जनता तड़पती माफियाओ की तूती बोलती रहती टेरर टेक्स वसूला जाता है सफेदपोश हिमायती बनते इनके सरकारी खजाने तक राजस्व पहुँच नही पाते है चोरी का दोष जनता को दे कर सरकारे मनमानी टेक्सो को बढाने में दिखाती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #justice अराजकता समाज मे घुसपैठ करी जाती है
#justice अराजकता समाज मे घुसपैठ करी जाती है
read moreMatangi Upadhyay( चिंका )
समाज इन लोगों को कभी स्वीकार नही करता है... किन्नर को, लड़की को, विधवा स्त्री को, प्रेम विवाह को, गरीब पुरुष को, बेरोजगार व्यक्ति को, तलाकशुदा स्त्री को विकलांग लोगों को, बूढे माता पिता को, बाँझ स्त्री को..! ©Matangi Upadhyay( चिंका ) समाज की हकीकत 🤔 #matangiupadhyay #Nojoto #हिंदी #thought
समाज की हकीकत 🤔 #matangiupadhyay #हिंदी #thought
read moreParasram Arora
White ज़ब एक दिन घर मे आग लगी तो एक समाज सुधारक ने आकर आग बुझाने मे सहायता का आश्वासन दिया लेकिन वो स्नाजसेवी उस लगी आग को बुझाने के बजाय उसे हवा देकर आग को और भी बड़ा गया था ©Parasram Arora आग और समाज सुधारक
आग और समाज सुधारक
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी खिड़कियां सब बंद मदद की हरण नैतिकता का हो रहा है आवाजे और हक हमारे लुप्पत हो गये टाइमपास देश कर रहा है सन सैतालीस में ले जाने का प्रयास हो रहा है लगान प्रथा जीएसटी ने चालू कर दी घाटा हो या मुनाफा दायरे में सब आयेगे बधुआ मजदूरी फिर से लागू हो गयी अठारह घण्टे काम करो,वेतन नही बढ़ायेगे साहूकारी प्रथा बैंको ने ले ली बात बात पर चार्ज और जुर्माने लगायेंगे राजशाही की प्रथा सत्ता ने ले ली कोई भी आंकड़े नही बतायेगे बौना पूरा देश समाज कर दिया गुणगान अपना विज्ञापनों से गायेगे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #lonely बौना पूरा देश समाज कर दिया
#lonely बौना पूरा देश समाज कर दिया
read moreपूर्वार्थ
White आधुनिक समाज का सच आज के इस आधुनिक युग में, देखो कैसा हाल हुआ, रिश्तों का मोल घटा, हर रिश्ता बस सवाल हुआ। दिल के बंधन अब कमजोर, स्वार्थ की दीवारें ऊँची, भावनाएँ रह गईं पीछे, आगे दौड़ी इच्छाएँ दूषित। रिश्ते अब खेल बन गए, बस पल भर की बात, जहाँ प्यार की गहराई थी, वहाँ दिखावा है रात। दिखावे की इस दुनिया में, सच्चाई गुमनाम हुई, दिलों के जुड़ने की जगह, बस सौदे की बात हुई। शादियाँ अब तमाशा हैं, बस एक आयोजन भव्य, जहाँ सादगी थी पहले, अब दिखावे का पर्व। सात फेरे, सात वचन, अब रस्में बन गईं, जहाँ प्रेम था कभी गहरा, वहाँ रिवाजें सिमट गईं। तलाक अब मजाक है, बंधन को तोड़ना आसान, जहाँ समझौता था पहले, अब बस अभिमान। साथ चलने की जगह, अलग राहें चुन ली जातीं, प्यार की जगह नफरत, हर रिश्ते को खा जाती। प्रोग्रेसिव इस समाज का, ये कैसा सच है भाई, जहाँ रिश्तों की कीमत नहीं, बस स्वार्थ की भरपाई। कहाँ गए वो दिन पुराने, जहाँ प्रेम था आधार, आज तो सब बन गया है, बस एक व्यापार। सोचो, समझो, और बदलो, रिश्तों को मोल दो, जहाँ दिलों की बातें हों, वहाँ मत स्वार्थ जोड़ो। इस आधुनिकता में कहीं, रिश्तों का सम्मान न खो दो, वरना ये समाज एक दिन, बस खाली नाम रह जाएगा। ©पूर्वार्थ #समाज
Slumdog Entertainment
अखिल भारतीय सुंडी समाज सम्मेलन की तैयारी जोरों पर l सम्मेलन को ऐतिहासिक बनाने का प्रयास l Chhattisgarh
read moreAnuj Ray
White सुप्रीम कोर्ट के कानून और संविधान की बात मानकर चलने वाले कुछ लोग स्वयं को हिंदू प्रमाण करते हैं जिनको अपना सही दिए नहीं पता नहीं होता बड़ी-बड़ी सभा में बहुत तेज तकरार बहस भी करते हैं। मेरा एक प्रश्न है सुप्रीम कोर्ट कहता है एक विवाहित महिला विवाह के बाद छह मित्रों के साथ संपर्क बनाकर के शान से अपने परिवार में रह सकती है कितने हिंदू सनातनी इस बात से सहमत है। ©Anuj Ray # समाज के ठेकेदार"
# समाज के ठेकेदार"
read moreTripura kaushal
White 'समाज' _________ बदल रहा है आज समाज बदल रहा है रीति रिवाज, लोगों के चाल-ढाल बदले लोगों के हाव-भाव बदले। कानून लीक से हट रहा आज अपराधी का फैल रहा राज, कहीं थकावट कहीं रुकावट कहीं दिखती जिंदगी बनावट। समाज के प्रति अपने दायित्वों का हमें भी मान होना चाहिए, समाज को विकसित करने में हम सबों का हाथ होना चाहिेए। समन्वय से ही समाज में समरसता लाई जा सकती है समाज से जाए कुरीतियां, समाज से मिटे सारी त्रुटियां। रहे कोई भले ही दुराचारी दिखलाओ उन्हें सही मार्ग समाज सही तो देश बढ़े, जब देश बढ़े,तो मान बढ़े। समाज से पहचान हमारी समाज में बसती जान हमारी, एकता भरा अपनापन शोभित होगा हमारा समाज सुसज्जित। -------🌻🌻---------🌻🌻------ (स्वरचित एवं मौलिक) त्रिपुरा कौशल🏵️ ©Tripura kaushal #समाज