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आलोक अग्रहरि
शबाब और शराब की प्यास बढ़ती ही जाती है, गर न मिले समय से तो तलब बढ़ती ही जाती है। सुकुं की तलाश में जाने कितनों ने छोड़ा घर - बार, गर न हो इन्द्रिय वश में तो बेचैनी बढ़ती ही जाती है।। ✍️✍️✍️ #आलोक_अग्रहरि ©आलोक अग्रहरि #हकीकत
आलोक अग्रहरि
आज फिर सबकी आंखों में नमी आई है। जवानों के लहू से मां भारती नहाई है।। कैसे हुआ,किसने किया इसी पे लड़ाई है। सत्ताधारियों को अब भी नही शर्म आई है।। हो गए कुर्बान छत्तीसगढ़ में जो जवान। लगा गए लहू का महावर मां को लाल।। हैं सौगन्ध तुम्हें राष्ट्र के ए-नव-चौकीदार, शव घर पहुंचे,इससे पहले हो कत्लेआम। बस लहू बहे अब और न मां के लालों का। इतना ही चाहे राष्ट्र इन लालची नेताओं से। हुए शहीद छत्तीसगढ़ में जो बाइस-जवान, नम-आंखों से श्रद्धाजंलि तुम्हे वीर-जवान।। ✍️✍️✍️✍️✍️ 😭😭😭 #आलोक_अग्रहरि 😭😭😭 ©आलोक अग्रहरि #IndianArmy
आलोक अग्रहरि
लग जा गले याद सभी को आती होगी, अपनी मां की स्नेहिल-गोद उनकी भर आती होगीं आंखे, नही है जिनकी कोई मां।। बात-बात पे लड़ना और झगड़ना, याद सभी को होगी प्यारी-बहना। बन जाती ममता की दूसरी मूरत, होते जब भी हम कभी बीमार।। बन जीवन-संगनी रहती पास, मुश्किलों में देती सदा वो साथ। मान हार हो जाते जब निराश, आलिंगन कर दिखाती नई राह।। छोटे-छोटे संकटों से जब जाते हार, कभी भाई तो दोस्त कभी देते साथ। मग़र इक बात बतलाओ जरा कोई, क्या पापा का गले लगाना है याद? सबकी जरूरत का रखते ध्यान। करते बिन जताये जो सबसे प्यार क्रोध,दया के जो हैं सच्चे सागर, ऐसे पिताओं को बारम्बार प्रणाम।। #आलोक_अग्रहरि ©आलोक अग्रहरि मेरे पापा
आलोक अग्रहरि
हम आपकी सलामती की दुआ करते हैं, दोस्ती के बन्धन को और मजबूत करते हैं। कुछ भी होना हो गर बुरा आपके साथ तो, हो मेरे साथ ये ख़ुदा से फ़रियाद करते हैं।। ✍️✍️✍️ #आलोक_अग्रहरि ©आलोक अग्रहरि #दोस्ती
आलोक अग्रहरि
काव्य प्रतियोगिता गुरुर क्यों करूँ मुझे अपनी हक़ीकत पता है, मत कर मदद तू,मुझे खुदा का हर दर पता है। ख़ुदा के नाम पर तू बेजुबानों का क़त्ल करता है ख़ुदा मंदिर,मस्जिदों में नही,हर रूह में बसता है। ✍️✍️✍️ #आलोक_अग्रहरि ©आलोक अग्रहरि क़त्ल
आलोक अग्रहरि
जब किसी भी रिश्ते की सीमा को पार कर जाऊंगा, मैं अपनी ही मर्यादा का अतिक्रमण कर जाऊँगा। आलोक,आलोक मानकर संकट में कोई न पुकारेगा तुम्हें, जब तुम्ही तम-ज्योति बनकर साम्राज्य को डुबोने लगोगे। ✍️✍️✍️ #आलोक_अग्रहरि आलोक का अर्थ प्रकाश और दूसरा अर्थ नाम है तम का अर्थ अंधकार ©आलोक अग्रहरि तम-ज्योति
आलोक अग्रहरि
पूर्ण हो जाये तो कुछ शेष बचता नही, अश्रु बह जाए तो पाप शेष रहता नही। हो जाये सुसज्जित जो प्रियतम मेरा,फिर किसी और को देखना मन को भाता नही।। प्रिय पास रहकर कभी पास रहता नही, और निगाहों से ओझल भी होता नही। मेरे स्वामी कभी अधिकार भी जताते नही, नग्न आंखों से दिखते वो किसी को नही।। प्रेम की परीक्षा में वो अनुत्तीर्ण होते नही, क्षण भर की जुदाई भी सह पाते नही। मुझ पतित को पद-कमल मे सजाते सदा, क्षीरसागर में वो निवास भी करते नही।। ✍️✍️✍️ #आलोक_अग्रहरि ©आलोक अग्रहरि मिलन की आस
आलोक अग्रहरि
#भारतीय_किसान पल-पल झूल रहे हैं जो रस्सी में, पेट नही भर पाते हैं जो पुत्रों के। अभावों और दुःखों की गठरी , मिलती है जिनको वरदान स्वरूप। ऐसे दाता का क्यों होता अपमान, करता मुझको बेचैन यही सवाल।। अन्नदाता को नही मिलती पूरी नींद, प्रजातन्त्र की यह कैसी रीति? सभी दलों और नेताओं के शपथ पत्र में, अन्नदाताओं को मिलता पहला स्थान।। कुर्सी मिलते ही विस्मृत हो जाते विचार, ऐसे हैं भारत के सभी नायक महान।। मिलें सम्मान और समुचित सहायता, यही हमारी इक छोटी सी अभिलाषा। करते नही कभी जो आराम, ऐसे दाता को शत-शत प्रणाम।। ✍️✍️✍️ #आलोक_अग्रहरि सामान्य किसान
आलोक अग्रहरि
सिर्फ मोमबत्तियां उपाय नही ऐसे राक्षसों का अंत हम सबको मिलकर करना होगा। #थीम_आजादी सबकी नजरों में 1950 को आजाद हुए थे हम, क्या? सच में भारत के स्वतंत्र नागरिक हैं हम। देख रहा हूँ नम आंखों से भारत का दुर्भाग्य, अब सहन नही होता निर्भया,मनीषा का बलिदान। आखिर कब तक मौन रहोगे? हे देवकीनंदन!, क्या इनका संहार नही करोगे? हे रघुनन्दन! ये वही पुण्य-भूमि है भारत-धरा तुम्हारी, जहां लेकर अवतार दूर किये थे संकट भारी। नेताओं से बचती नही अब बहन बेटी हमारी, है कोई डूबा शक्ति के मद में कोई दौलत में। अब रावण जैसे यहां नही पलते सच्चे अपराधी, घर-घर में बैठें हैं दुःशासन और व्यभिचारी।। नव-भारत में सच,समर्पण,कर्तव्य का घुट रहा दम, मीडिया,पुलिस और न्यायपालिका हो गए बिकाऊ। दसों दिशाएं अंधकारमय हो रक्षार्थ रोती पुकारती, प्रतीक्षा न कराओं भारत मां के सदियों के रक्षक।। ✍️✍️✍️ #आलोक_अग्रहरि क्या सच मे आजाद हुए हैं हम
आलोक अग्रहरि
उनकी अदाओं का क्या कहना, जिनके पास हो सौंदर्य का गहना। घायल हो जाता है आशिक बिन तीर के उनकी ऐसी निगाहों का क्या कहना।। रचनाकार #आलोक_अग्रहरि ✍🏻✍🏻✍🏻 सौंदय