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Mohd Murshid
White Dar dar bhatakta hai mehman ki tarah Har koi milta hai anzan ki tarah Is duniya ki khushi ki aas kya kre Log गम भी dete hai Ehsan ki tarah ©Mohd Murshid #Couple i am alone .single boy
Samrat
White क्या कहूँ तुझे ख्वाब कहूँ तो टूट जायेगा, दिल कहूँ, तो बिखर जायेगा। आ तेरा नाम ज़िन्दगी रख दूँ, मौत से पहले तो तेरा साथ छूट न पायेगा। ©Samrat Sad boy
Samrat
White Mitti Meri Kabr Se Utha Raha Hai Koi, Marne Ke Baad Bhi Yaad Aa Raha Hai Koi, Aye Khuda Kuch Pal Ki Mohalat Aur De De, Udaas Meri Kabr Se Jaa Raha Hai Koi. ©Samrat Sad boy
Samrat
Black अब इंतजार की आदत सी हो गई है, खामोशी एक हालत सी हो गई है, ना शिकवा ना शिकायत है किसी से, क्यूंकी अब अकेलेपन से मोहब्बत सी हो गई है। ©Samrat Sad boy
Samrat
ए नसीब जरा एक बात तो बता, तू सबको आज़माता है या मुझसे ही दुश्मनी है।। ©Samrat Sad Boy
Samrat
आज हम हैं, कल हमारी यादें होंगी. जब हम ना होंगे, तब हमारी बातें होंगी. कभी पलटो गे जिंदगी के ये पन्ने, तो शायद आप की आँखों से भी बरसातें होंगी. ©Samrat Sad Boy
Samrat
Meri Mati Mera Desh Maa पलकों में तेरे रूप का सपना सजा दिया पहली नजर में ही तुझे अपना बना लिया है यही आरजू हर घड़ी बैठी रहो मेरे सामने मेरी दुनिया है तुझ में कहीं तेरे बिन मैं क्या, कुछ भी नहीं मेरी जान में तेरी जान है ओ साथी मेरे I miss you. Maa ©Samrat SAD BOY
Samrat
मेरी माँ। खुद की ज़रूरतो को अनदेखा कर मेरी परवरिश की है आसों छुपा कर मुझे मुस्कान दी है मेरी माँ ने मुझे एक अलग पहचान दी है मेरी हार को उन्होनें जीत के तिलक से सजाया है मेरे घाव पर ममता का मलहम लगाया है उन्होनें मासूमियत की चुनरी चुरा के समझदारी की ओढ़नी उढायी है दूसरो से लड़ना नही खुद से जीतना सिखाया है मेरे पापा का भी किरदार बखूबी निभाया है ©Samrat SAD BOY
Samrat
तुम ऐसी क्यों थी माँ ? माँ, वो कह रहे हैं, आज तुम्हारा दिन है, कुछ लिखूँ तुम्हारे बारें में। माँ, तुम बताओ, क्या लिखूँ, हमेशा तुम ही तो बताती थी, ऐसे नहीं, ऐसे कर के लिखना हैं। तुमको याद है कैसे मैं तुम्हारी गोद में सिर रखकर जाने कब सो जाया करता था। तुम ठपकी देकर लोरी सुनाया करती थी। जो तुम एक रोटी माँगने पर भी, एक और ज्यादा रख जाती थी, और तबियत खराब होने पर रात भर जागती थी, सब याद आता है माँ। माँ, तुमको याद है जब मैं स्कूल ये वापस आता था, सबसे पहले तुमको ही ढूँढता था, तुमसे काम तो कुछ ना हुआ करता था, पर देखे बिना जाने क्यों दिल ना माना करता था। माँ, एक बात बतानी थी, जब तुम खड़ा कर के वो सात का पहाड़ा सुनती थी ना, तब मुझको तुमसे थोड़ा डर लगता था, पर तुमने डरा-डरा कर अपने कदमों पर चलना सीखा दिया। और हाँ लेकिन मैं बता देता हूँ, मुझकों हाथ-पैर धोने के लिए डाँट खाना बिल्कुल पसन्द नहीं था, शायद इसलिए यहाँ तुमसे दूर कोई कुछ नहीं कहता मुझसे माँ। ©Samrat Sad Boy