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Stories related to जो किसी से न डरता हो

F M POETRY

#किसी से दिल न मिला और किसी से हम...

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White दुआ है मेरी तुझे ज़िन्दगी में ग़म न मिले..
मैं चाहता हूँ तेरी आँख कभी नम न मिले..

यूँही तन्हाँ नहीं हूँ ये ही वजह है शायद..
किसी से दिल न मिला और किसी से हम न मिले..


यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY #किसी से दिल न मिला और किसी से हम...

RITIK PASWAN

#Thinking प्यार.. ! प्यार एक ऐसी चीज है, जो किसी से भी हो सकती है। जब किसी को सच्चा प्यार हो जाता है, तो वो कठिन से कठिन रास्ते पर भी चलने

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White प्यार.. ! प्यार एक ऐसी चीज है, जो किसी से भी हो सकती है। जब किसी को सच्चा प्यार हो जाता है, तो वो कठिन से कठिन रास्ते पर भी चलने को तैयार हो जाता है।

©RITIK PASWAN #Thinking  प्यार.. ! प्यार एक ऐसी चीज है, जो किसी से भी हो सकती है। जब किसी को सच्चा प्यार हो जाता है, तो वो कठिन से कठिन रास्ते पर भी चलने

F M POETRY

#हम किसी से.....

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White हम किसी से प्यार करना चाहते हैं..

ये खता सौ बार करना चाहते हैं....



यूसुफ़ आर खान....

©F M POETRY #हम किसी से.....

News by Prashant

#love_shayari न संघर्ष खत्म होता है और न ही शिकायतें, धीरे-धीरे जो खत्म हो रही है वो उम्र है।

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White न संघर्ष खत्म होता है
और न ही शिकायतें,
धीरे-धीरे जो खत्म हो रही है
वो उम्र है।

©News by Prashant #love_shayari न संघर्ष खत्म होता है और न ही शिकायतें, धीरे-धीरे जो खत्म हो रही है वो उम्र है।

F M POETRY

#तुम न आना किसी बहाने में...

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset तुम न आना किसी बहाने में..

कोई अपना नहीं ज़माने में..


यूसुफ़ आर खान....

©F M POETRY #तुम न आना किसी बहाने में...

SohrabAlam

किसी को अपने दरवाजे से खाली हाथ न लौटाओ 💯😢💯

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नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर चाहा था हासिल, वो हासिल न हो सका, ख़्वाबों का काफ़िला, मुक़म्मल न हो सका। मंज़िल की आरज़ू में सफ़र तो किया बहुत, जज़्बात का सम

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चाहा था हासिल, वो हासिल न हो सका,
ख़्वाबों का काफ़िला, मुक़म्मल न हो सका।

मंज़िल की आरज़ू में सफ़र तो किया बहुत,
जज़्बात का समंदर, साहिल न हो सका।

ज़ख़्मों ने मुझे सीखा दिया सब्र का हुनर,
पर दर्द था जो, दिल से ज़ाहिर न हो सका।

हर ग़म को सीने से लगाया ख़ुशी समझ,
मगर वो, हक़ीक़तों में क़ाबिल न हो सका।

अरमान थे चाँद छूने के, मगर ऐ दिल,
जो पास था भी, वो हासिल न हो सका।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
चाहा था हासिल, वो हासिल न हो सका,
ख़्वाबों का काफ़िला, मुक़म्मल न हो सका।

मंज़िल की आरज़ू में सफ़र तो किया बहुत,
जज़्बात का सम

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी, नज़्म जो दिल से निकले, गाता जरूर हूं। चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है, जो समझ सके, वो ही

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White बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी,
नज़्म जो दिल से निकले गाता जरूर हूं।

चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है,
जो समझ सके, वो ही सुनता जरूर हूं।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी,
नज़्म जो दिल से निकले, गाता जरूर हूं।

चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है,
जो समझ सके, वो ही

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब, वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा? जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे, वो मेरी हसरतों

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White जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब,
वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा?

जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे,
वो मेरी हसरतों को राहत क्या देगा?

जो खुद को न पा सका कभी सच्चाई से,
वो किसी और की तलाश को प्यास क्या देगा?

जो रातों को जागकर कभी सच्चाई से नहीं हुआ रूबरू,
वो उजालों में ख्वाब को रोशनी क्या देगा?

जो खुद में रुकावट नहीं मिटा सका, कभी,
वो किसी और की मंज़िलों में दरवाज़ा क्या देगा?

जो खुद को समझ नहीं सका, कभी खुल कर,
वो औरों को ख्वाब क्या देगा?

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब,
वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा?

जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे,
वो मेरी हसरतों

डॉ.अजय कुमार मिश्र

डरता हूं

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White बहुत लोग हैं मेरे साथ, फिर भी आज मैं तन्हा हूं,
जाने क्यों खुली आसमां से ,व्यथा आज कहता हूं।

हमें आदत थी हमेशा आग और बर्फ पर चलने की,
आज सर्द हवाओं के सर्दी से भी जाने क्यों बचता हूं।
धधकती आग तो दूर, आज आग के धुएं से भी डरता हूं।।

 कोई चोटिल न हो जाए मेरे खट्टे मीठे शब्दों से ,
आज जुबान से निकलने वाली हर शब्द से डरता हूं।

कौन सक्स कब हमें कह दे गुनहगार।
आज हर सक्स के नजरों से डरता हूं।

©डॉ.अजय कुमार मिश्र डरता हूं
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