Find the Latest Status about पंचतत्व में विलीन from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, पंचतत्व में विलीन.
Nalini Prasad
तेरी औकात! (पाकिस्तान) #pakkiaukat जल युद्ध तो तूने छेड़ दिया, जल छोड़ दिया, दिल तोड़ दिया, दूसरे द्वार को खोल दिया। रोकूँगा जब मैं पानी, तड़प-तड़प मर जाओगे। छोडूंगा जब
Suyash
"सर्वशक्तिमान होने का गुमान और , छोटा होने का मलाल एक मिथ्या ही है , जीवन के अंत के बाद सभी मोहरे इसी पंचतत्व में विलीन हो जाते हैं ।।""👌👌 "सर्वशक्तिमान होने का गुमान और , छोटा होने का मलाल एक मिथ्या ही है , जीवन के अंत के बाद सभी मोहरे इसी पंचतत्व में विलीन हो जाते हैं ।।""👌
सुसि ग़ाफ़िल
एक दस्तावेज रखा है उन पलों का जिन पलों में मैं तुम्हारे आसपास था कुछ सेंटीमीटर कुछ मीटर कुछ किलोमीटर की दूरियों में वह दस्तावेज दस्तावेज नहीं संबंध है जैसे ब्रह्मांड में अनगिनत आकाशगंगाओं का , तारों का तारों के पास से गुजरने का और एक तारे का चांद के पास से गुजरने का और फिर एक तारे का टूट कर धरती की तरफ आना और आते आते उसका अस्तित्व पंचतत्व में विलीन हो जाना | अमर है दस्तावेज अमर है वो संबंध | एक दस्तावेज रखा है उन पलों का जिन पलों में मैं तुम्हारे आसपास था कुछ सेंटीमीटर कुछ मीटर कुछ किलोमीटर की दूरियों में वह दस्तावेज
Insprational Qoute
कदापि जीवन एक परम सत्य नही है, क्योंकि जब जीवन है तो मृत्यु भी यही है। अमरत्व,अजरत्व सब क्षणिक भ्रम मात्र है, जीवन रंगमंच के कुछ पलों के हम पात्र है। मरने के बाद आत्मा पंचतत्व में विलीन, स्वर्ग-नरक अनभिज्ञ सच मे हो जाती लीन। यहाँ कर्मों का लेखा - जोखा ही सर्वश्रेष्ठ है, जन - जन में वितरण प्रणाली भी यथेष्ठ है। प्राणीजगत की पहचान मात्र एक है स्वार्थ, परन्तु अनभिज्ञ है क्या होगा इसका यथार्थ। समस्त ईश्वरीय कृतियों का ही एक भाव है, कर भेद निजता से फिर करते स्व बदलाव है। सर्व कथनीय जितना हो सन्तुष्ट हो जी लेना, अति हर किसी की हानि यही सबका कहना। भक्ति भाव स्मरण कर भटका न ध्यान अपना, नियंत्रित कर स्व इंद्रिया व मोती माला जपना। @निशा कमवाल विषय:-#मरने के बाद# 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 "कदापि जीवन एक परम सत्य नही है, क्योंकि जब जीवन है तो मृत्यु भी यही है।" "अमरत्व,अजरत्व सब क्षणिक
JALAJ KUMAR RATHOUR
सुनो यार कॉमरेड, आज ना बिल्कुल ही मन ही नहीं लग रहा हैै।समझ नहीं आ रहा है कि ऐसा कौन सा हवन या तप करूं की खत्म हो जाए युवा अवस्था और बचपन पर लगे मृत्यु के दोष।आज ना जब अपने स्कूल वाले दोस्त की मौत के बारे में सुना तो सिर एक दम सन्ना गया।विश्वास ही नहीं हो रहा था।समझ नहीं आ रहा यार की आखिर ये ऊपर वाला हमसे चाहता क्या है।जब हम जिंदगी को आसानी से जीना सीखने ही वाले होते हैं तो ये हम फिर से मौत के करीब बुला लेते हैं। स्कूल में दिन में कई बार तो हम मिलते थे।बायोलॉजी का होकर भी वो हिसाब किताब में पक्का था।और जब भी मिलता तो तुम्हारा जिक्र करके मुस्कराता था। अभी कुछ वक़्त पहले ही तो मिला था उससे।होंठों पर वहीं सोलहवीं साल वाली हंसी लिए वो हाल पूछ रहा था मेरे।पूरा प्लान रहता था उसके पास आगे का।पता नहीं इस बार क्यूं भूल गया वो उस प्लान को एक्जीक्यूट करना।यार सब तो एक दिन धीरे धीरे बिछड़ ही जाएंगे।तब सिर्फ यादें ही तो होंगी को हमें जिंदा रखेंगी ,हमें चाहने वालों के बीच में।मुझे पता है एक दिन तुम भी छोड़ जाओगी मुझे,इस दुनिया में तब शायद जिंदा रहेंगी,हमारी और पंचतत्व में विलीन मेरे इस दोस्त की मुस्कराहटें। ..#जलज कुमार ©JALAJ KUMAR RATHOUR सुनो यार कॉमरेड, आज ना बिल्कुल ही मन ही नहीं लग रहा हैै।समझ नहीं आ रहा है कि ऐसा कौन सा हवन या तप करूं की खत्म हो जाए युवा अवस्था और बचपन पर
JALAJ KUMAR RATHOUR
12 वी शताब्दी के उत्तरार्ध में गुजरात के पाटण में चालुक्यो के महल में जन्मे सोमेश्वर चौहांन और कर्पूर देवी के पुत्र, अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वी राज चौहान का जन्म में 19 मई 1164 इस्वी में हुआ था, इनकी शिक्षा सरस्वती विद्या पीठ जो आज का आढाई दिन का झोपड़ा है में हुई थी जब इनके पिता अजमेर आ गए थे।जयचंद की पुत्री संयोगिता से प्रेम कर, प्रेम के लिए युद्ध करने वाले और मात्र पंद्रह वर्ष की आयु में दिल्ली की सत्ता सम्भालने वाले इस वीर योद्धा ने 28 वर्ष की अल्पकालिक आयु में 27 युद्ध लडे।17 बार मुहम्मद गौरी को हराने वाले और उसको छोड़ने वाले इस वीर योद्धा और उनके साथी चंदर बरदाई को धोखे से 1192 के तराईन द्वितीय के युद्ध में छल से पकड कर बंदी बना लिया, और धर्म परिवर्तन के लिए प्रताड़नाए दी, जब उन्होंने कुबूल नही किया तो उन्हे अंधा कर दिया,। छ: भाषाओं का ज्ञान और शब्दभेदी बान विद्या में पारंगत इस वीर योद्धा ने चंदर बरदाई के शब्दो "चार बांस चौबीस गज, अङ्गुल अष्ट प्रमान। ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान॥" के हिसाब से गौरी को मौत के घाट उतार दिया। भारत का ये वीर योद्धा ,११/१/१२४९ भारतीयपञ्चाङ्ग के अनुसार11 मार्च 1192 (उम्र 28) आङ्ग्लपञ्चाङ्ग के अनुसार अजमेर राजस्थान में पंचतत्व में विलीन हो गया। .... #जलज कुमार 12 वी शताब्दी के उत्तरार्ध में गुजरात के पाटण में चालुक्यो के महल में जन्मे सोमेश्वर चौहांन और कर्पूर देवी के पुत्र, अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्
Nitesh Prajapati
जिंदगी का सफ़र, ईश्वर की नियति के लेख से, अवतार मिलता है मनुष्य का, जन्म के साथ साथ जुड़ते कहीं रिश्तो से, जिंदगी के नए सफ़र में, जिंदगी का सफ़र शैशवास्था से शुरू होता है, शरीर की मांसपेशियां, तंत्रिका विकसित होती है। आगे बढ़कर वहीं सफ़र बाल्यावस्था में पहुंचता है, बाल्यावस्था हमारा अनोखा काल होता है, परिपक्वता, बुद्धि विकास, खेल की आयु, निर्माण काल भी कहा जाता है। जिंदगी का सफर आगे बढ़कर, किशोरावस्था प्राप्त करता है, जिसमें मनुष्य मे सामाजिक, भावनात्मक, व्यवसायिक जीवन का असर रहता है। जीवन का अंतिम काल यानी कि वृद्धावस्था, वृद्धावस्था में हमारी शारीरिक और मानसिक स्थिति में गिरावट आती है, यह व्यवस्था जिंदगी के सफर की अवधि तय करता है, इस अवस्था के आगे मनुष्य मृत्यु पाम के पंचतत्व में विलीन हो जाता है। 📥 RKS Challenge :- ¥NSM-78 ✔️आप सभी अपनी इच्छानुसार शीर्षक का चयन कर अपनी रचना को संग्रहित करें..!! 📇 #rksquotes 💫रचना को शुद्ध एवं स्पष्ट
JALAJ KUMAR RATHOUR
सुनो प्रिय कॉमरेड, आज जब सुबह उठा तो मोबाईल पर "श्री कृष्ण जन्मअष्टमी" का नोटिफिकेशन देखा तो नयनो मे तुम्हारे संग बीते इस पर्व से जुड़े कुछ किस्से प्रतिबिंब स्वरूप नजर आने लगे। तुम्हें याद है। वो जब हम झांकियां देखने शाम को मंदिरो में जाते थे। मंदिर के मुख्य द्वारा से मुख्य मूर्तीयो के बीच मे विभिन्न प्रकार की झांकियां होती थी। कृत्रिम बर्फ से ढके रास्तो पर जब हम एक दूसरे का हाथ पकड़ आगे बड़ते थे तो मैं सोचता था। काश ये रास्ते खत्म ही ना हो। वैसे रास्ते भी कभी कभी मंजिल बन जाते हैं। जब हमसफ़र अच्छा होता है । प्रेम के मानक कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला ये पर्व बिन राधा के अपूर्ण सा लगता है। प्रेम हाँ यही तो था। मुझे तुमसे, तभी तो मैं गाता था । तुम्हारे लिए गीत और शेरों शायरियाँ, तुम्हें पता है। कॉमरेड, जिन शेर और शायरियों से मैं तुम्हें हंसाता और अपने प्रेम पाश में उलझाता था। उस शायरियों को लिखने वाले राहत साहब आज हमे रुलाकर खुद को जीवन के पाश से मुक्त कर पंचतत्व में विलीन हो गए। जीवन कितना छोटा है। ये देख कर लगता है। वैसे मुझे पता है कि तुम व्यस्त रहती हो जीवन की भाग दौड़ में पर याद रखना कहीं अपने ना छूट जाए आगे बड़ने की इस होड़ में, वैसे अगर आज हम दोनो अपने गाँव में होते तो साथ चलते उन बर्फ़ीले रास्तों पर झांकियो को देखते हुए ,जिन रास्तों पर मुझे तुम्हारा हाथ और साथ मुकम्मल था। सुनो मुझे आज भी याद है। शिमला जाने का तुमसे किया वादा, उम्मीद है। हम कभी वक्त निकाल पाएंगे और साथ जायेंगे।..... तुम्हारा दोस्त ... #जलज कुमार #Yaari सुनो प्रिय कॉमरेड, आज जब सुबह उठा तो मोबाईल पर "श्री कृष्ण जन्मअष्टमी" का नोटिफिकेशन देखा तो नयनो मे तुम्हारे संग बीते इस पर्व से जु
JALAJ KUMAR RATHOUR
सुनो प्रिय कॉमरेड, आज जब सुबह उठा तो मोबाईल पर "श्री कृष्ण जन्मअष्टमी" का नोटिफिकेशन देखा तो नयनो मे तुम्हारे संग बीते इस पर्व से जुड़े कुछ किस्से प्रतिबिंब स्वरूप नजर आने लगे। तुम्हें याद है। वो जब हम झांकियां देखने शाम को मंदिरो में जाते थे। मंदिर के मुख्य द्वारा से मुख्य मूर्तीयो के बीच मे विभिन्न प्रकार की झांकियां होती थी। कृत्रिम बर्फ से ढके रास्तो पर जब हम एक दूसरे का हाथ पकड़ आगे बड़ते थे तो मैं सोचता था। काश ये रास्ते खत्म ही ना हो। वैसे रास्ते भी कभी कभी मंजिल बन जाते हैं। जब हमसफ़र अच्छा होता है । प्रेम के मानक कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला ये पर्व बिन राधा के अपूर्ण सा लगता है। प्रेम हाँ यही तो था। मुझे तुमसे, तभी तो मैं गाता था । तुम्हारे लिए गीत और शेरों शायरियाँ, तुम्हें पता है। कॉमरेड, जिन शेर और शायरियों से मैं तुम्हें हंसाता और अपने प्रेम पाश में उलझाता था। उस शायरियों को लिखने वाले राहत साहब आज हमे रुलाकर खुद को जीवन के पाश से मुक्त कर पंचतत्व में विलीन हो गए। जीवन कितना छोटा है। ये देख कर लगता है। वैसे मुझे पता है कि तुम व्यस्त रहती हो जीवन की भाग दौड़ में पर याद रखना कहीं अपने ना छूट जाए आगे बड़ने की इस होड़ में, वैसे अगर आज हम दोनो अपने गाँव में होते तो साथ चलते उन बर्फ़ीले रास्तों पर झांकियो को देखते हुए ,जिन रास्तों पर मुझे तुम्हारा हाथ और साथ मुकम्मल था। सुनो मुझे आज भी याद है। शिमला जाने का तुमसे किया वादा, उम्मीद है। हम कभी वक्त निकाल पाएंगे और साथ जायेंगे।..... तुम्हारा दोस्त ... #जलज कुमार #Yaari सुनो प्रिय कॉमरेड, आज जब सुबह उठा तो मोबाईल पर "श्री कृष्ण जन्मअष्टमी" का नोटिफिकेशन देखा तो नयनो मे तुम्हारे संग बीते इस पर्व से जु
JALAJ KUMAR RATHOUR
कॉलेज का पहला दिन था।प्रार्थना के बाद सभी लोग टाइम टेबल देखने पहुंच गए ।इंजीनियरिंग की पहली क्लास थी वो हमारी।जब सब्जेक्ट्स के नाम के आगे देख रहा था तो उनके नीचे ही टीचर्स के नाम भी लिखे हुए थे। Applied Math-MRK ,Applied Physics- AKS जूनियर्स में किसी को भी AKS का फुलफॉर्म नहीं पता था इस लिए हम सभी लोगो ने इसको अक्स पढ़ना शुरूकर दिया।मैथ की क्लास के बाद जब फिजिक्स की क्लास आई तो अक्स सर से हम सभी पहली बार रूबरू हुए थे।सीनियर्स के द्धारा बनाया गया खौफ बिलकुल सच सा लग रहा था।पहली ही क्लास में तेजतर्रार अंग्रेजी ने इतना तो समझा दिया था की शायद रिमेडियल ही बाकी इस सब्जेक्ट में।सर का मैग्नेटिजम और मैग्नेटाइज में अंतर करना हमारे लिए बहुत बड़ा टास्क हुआ करता था।संपूर्ण CA में 2-3 नंबर ही हर कोई पाता था।धीरे धीरे हम सर को समझने लगे। उनका हंसना और गुस्सा करना दोनो सीमित थे।परंतु वक्त के साथ हमारे लिए उनका प्रेम असीमित हो गया था।इसका प्रमुख उदाहरण था किसी भी बच्चे का उस विषय में रिमीडियल ना लगना।हम लोग डिप्लोमा के द्वितीय वर्ष में आ गए थे। उस दिन हमारे दोस्त आदर्श ने हमे बताया था कि सर का पूरा नाम आनंद कुमार शर्मा है और वो भी एक हॉस्टलर थे जो कमरा न. 38 में रह चुके हैं।उस समय के बाद जब भी सर को पढ़ाता हुए देखते तो खुद पर गर्व करते थे कि एक अरसे पहले हम भी इनके विद्यार्थी थे।मुझे आज भी याद है मेरी आपसे आखिरी मुलाकात फेयरवेल के दिन हुई थी।जब मैं कविता में "अक्स सर की फिजिक्स ने हमको बहुत डराया था,मैग्नेटिज्म और मैग्नेटाइज का अंतर हमे समझ न आया था" वाली पंक्ति पढ़ी थी।आपकी वो मुस्कान मेरे ह्रदय में आज भी है। आज जब आपके पंचतत्व में विलीन होने की खबर सुनी तो मन ठहर सा गया।मन में वो सब किस्से उमड़ गए जो आपसे जुड़े हुए हुए थे।कई यादें हैं जो अब सिर्फ याद ही हैं।आपका जाना हम विद्यार्थियों और सम्पूर्ण कॉलेज के लिए एक क्षति है जो शायद कभी पूर्ण ना हो पाएगी।आप सदैव याद आओगे सर ,अलविदा!आपका आज्ञाकारी भूतपूर्व शिष्य ...#जलज कुमार ©JALAJ KUMAR RATHOUR कॉलेज का पहला दिन था।प्रार्थना के बाद सभी लोग टाइम टेबल देखने पहुंच गए ।इंजीनियरिंग की पहली क्लास थी वो हमारी।जब सब्जेक्ट्स के नाम के आगे दे