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Prakash writer05
ये हार हमको स्वीकार हैं हम आपके साथ है टीम एक एक करके हर टीम के किया परास्त फाइनल हार गये दुःख में पूरा राष्ट्र हैं जब दर्शकों के लिए कठिन समय तो सोचो जो टीम पूरे टूर्नामेंट जीती उसके दिल पर क्या होगी बीती ये हार स्वीकार हैं पूरी टीम खेली सिंह सी हर टीम में भारत का खौफ था डर सा माहौल होता जब शमी बुमराह का ओवर होता बैटर भी डर जाता जब बोल जडेजा के पास जाता वो स्टार्ट की रोहित की ताबड़तोड़ बल्लेबाजी देख प्रतिव्दंदी टीम को पसीना आता वो गिल का रन बरसाना कोहली का रिकार्ड बनाये जाना श्रेयस सूर्या का चौके छौक्के मे बालर को जवाब सब याद है और रहेगा हमेशा याद बस मात्र एक हार भी स्वीकार हैं सिराज का मैजिक कुलदीप की स्पीन राहुल की बैटिंग और रिब्यु सलाह को सलाम है पूरे टीम का प्रदर्शन रहा जोरदार है बस एक ट्राफी का ही तो सारा मोहजाल हैं बस एक हार हुई वो भी स्वीकार स्वीकार ©Prakash writer05 #IndvsAusLiveMatch ये हार हमको स्वीकार हैं हम आपके साथ है टीम एक एक करके हर टीम के किया परास्त फाइनल हार गये दुःख में पूरा राष्ट्र हैं जब दर
Pushpvritiya
कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको, कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......! सुनो गर जनम दोबारा हो, मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!! चाहूँगी मैं जड़ में जाकर जड़ से तुमको सींचना.. मन वचन धरण नव अवतरण सब अपने भीतर भींचना..... रक्तिम सा भ्रुण बन कर तुम सम, भ्रुण भ्रुण में अंतर परखूँगी..! मेल असंभव क्यूँ हम तुम का, इस पर उत्तर रखूँगी....!! पुछूँगी कि किए कहाँ वो भाव श्राद्ध कोमल कसीज, खोजूँगी मैं वहाँ जहाँ बोया गया था दंभ बीज... उस नर्म धरा को पाछूँगी, मैं नमी का कारण जाचूँगी.......!! मैं ढूंढूँगी वो वक्ष जहाँ, स्त्रीत्व दबाया है निज का, वो नेत्र जहाँ जलधि समान अश्रु छुपाया है निज का....! प्रकृत विद्रोह तना होगा, जब पुत्र पुरुष बना होगा..... मैं तुममें सेंध लगाकर हाँ, कोमलताएं तलाशूँगी, उन कारणों से जुझूँगी.... मैं तुमको जीना चाहूँगी......!! अनुभूत करूँ तुमसा स्वामित्व, श्रेयस जो तुमने ढोया है... और यूँ पुरुष को होने में कितने तक निज को खोया.....! कदम कठिन रुक चलते चलते कित् जाकर आसान हुआ, हृदय तुम्हारा पुरुष भार से किस हद तक पाषाण हुआ.....!! मैं तुममें अंगीकार हो, नवसृज होकर आऊँगी, मैं तुमको जीना चाहूँगी........ फिर तुमसे मिलन निबाहूँगी........!! @पुष्पवृतियाँ ©Pushpvritiya कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको, कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......! सुनो गर जनम दोबारा हो, मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!! चाहूँगी मैं जड़ में