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Akshay कश्यप
मेरी क़िस्मत की लकीरों के फांसले कुछ इस कदर बढ़े हैं, के मेरे हाथ भी नही पहुँचते मेरे आसूँ पोछने को। #किस्मत की लकीरें
Pawan Dvivedi
समय का कालचक्र कुछ ऐसा घूमा कि उस दिन हमें हमेशा के लिए एक दूसरे से जुदा होना पड़ा,वर्षों हमने तुम्हें खोजा फिर भी तुम न मिले न जाने कहाँ खो गए थे तुम पर एक उम्मीद थी कभी तो मिलोगे कहीं तो मिलोगे उसी उम्मीद के साथ जीते रहे फिर एक दिन अचानक 23 सालों बाद तुम मिले अच्छा भी लगा और बुरा भी अच्छा इसलिए कि तुम मिले तो सही और बुरा इसलिए कि तुम अब मेरे नही थे पर दूसरे से जो जुड़ाव था मुझे उस दिन ये अहसास दिल गया कि दोनों का एकदूसरे के प्रति लगाव कम नही था सामाजिक मर्यादाओं ने फिर एकबार कदम को वहीं जड़ होनेपर मजबूर कर दिया लेकिन एक-दूसरे के प्रति असीमित प्रेम,से दोनों के मन भरे रहे शुरूवात में जिंदगी कुछ कशमकश में घिरी रही शायद दोनोंने किस्मत का फैसला समझ आगे बढ़ने का फैसला कर लिया था हमने वादा किया कि एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान रखते हुए हम सदा खुश रहेंगे,अपना ध्यान रखेंगे तुम तो शायद खुश रह भी लेते हो पर मैं आज भी उसी हालत में जी रहा हूँ Continue.....शेष अगले अंक में ©Pawan Dvivedi #ArabianNight किस्मत की लकीरें
Pawan Dvivedi
शेषांक समय का कालचक्र कुछ ऐसा घूमा कि उस दिन हमें हमेशा के लिए एक दूसरे से जुदा होना पड़ा,तुम तो शायद खुश रह भी लेते हो पर मैं आज भी उसी हालत में जी रहा हूँ ये सोच कर कि टूटकर प्यार करने के बावजूद हम अपने प्यार को अपना नहीं बना सके ये जान के शायद तुम्हें अटपटा लग रहा होगा न ! यकीन मानो उस वक़्त मुझे भी कुछ ऐसा ही लगा था और जानती हो दर्द ज्यादा बढ़ जाता तो मन बहुत व्यथित हो उठता ऐसे में यही मन करता कि जोर-जोर से रोऊँ,चिल्लाऊँ ,जमीन-आसमान एक कर दूँ आग लगा दूँ इस दुनियाँ को दिल और दिमाग में हमेशा यही द्वन्द युद्ध चलता रहता। और अंत में निष्कर्ष निकला कि हम भौतिक रूप से भले ही एक दूसरे से दूर हैं,पर मन तो हमेशा एक दूसरे के पास रहेगा मन के तारों के माध्यम से एक दूसरे का पता चल जाता है विगत 27वर्षों से दूर होने के वावजूद दोनों का रूठना मनाना चलता रहा अक्सर किसी न किसी छोटी बात तुम या मैं ही रूठ जाता हूँक्योकि मुझे बहुत अच्छी तरह पता है तुम बहुत देर तक मुझे रूठा हुआ देख नही सकती और न ही हमारे बिना जी सकती हो ।Continue.....शेष अगले अंक में ©Pawan Dvivedi #ArabianNight किस्मत की लकीरें
नितीशkumar
जो कहते है किस्मत हांथो की लकीरों मे, हमने इन्ही हांथो मे तेरा अक्श दिखाया है। किस्मत की लकीरें।। #fortune #you
कवि दिनेश अगरिया
*रामायण के आज के एपिसोड का वर्णन* बालिकुमार सभा में जाकर प्रभु संदेश सुनाता है। अभिमानी रावण गरजा और जोर जोर चिल्लाता है।। बोला सबक सिखा वानर को, और हंसा देकर ताली। पाँव जमा कर अंगद बोला, वानर पुत्र हूँ मैं बाली।। बालि नाम को सुनकर के, रावण को याद है आया। बालि ने छह माह तलक तक, उसको बगल दबाया।। बोला अंगद है अभिमानी, क्यों विनाश को बढ़ता है। क्षमा मांग ले मूर्ख प्रभु से, छोड़ कठिन ये दृढ़ता है।। बहुत उदार प्रभु का ह्रदय, कृपा तू उनकी पायेगा। लौटा दे माता को नही तो, बिना काल मर जाएगा।। सुनकर अंगद वाणी को, लंकेश लगा है तपने। तम में बोला वानर तू क्यों, आया है मरने।। जय श्री राम का घोष किया, अंगद ने पांव जमाया। असुर सभा का योद्धा कोई, पाँव डिगा ना पाया।। एक एक कर आये योद्धा, पड़ी गई मुँह की खानी। अंत में अंगद पांव उठाने, उठता खुद अभिमानी।। रावण झुका है चरणों में, अंगद ने पाँव हटाया। प्रभु शरण में जाने का, फिर से पाठ पढ़ाया।। अहंकार में चूर था रावण या परम ब्रह्म का ज्ञानी। प्रभुकमलों से तरने की क्या, खुद ही रची कहानी।। द्वारा रामभक्त दिनेश अगरिया #रामायण का आज का एपिसोड
Anuranjan Kumar
किस्मत कि लकीरें ------------------------- चंद लकीरें बनी हुई है अपनी सुर्ख हथेली पर फिर हम अपनी किस्मत का क्यूं रोना रोएं, आज लकीरें रहेंगी या ये मिट जाएंगी भाग्य के मिटने के डर से, क्या हाथ ना धोएं। जरा सोचिए 🙏 ©Anuranjan Kumar किस्मत कि लकीरें।