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Pnkj Dixit
#OpenPoetry 🚩🇮🇳🚩 धर्म- धारणा और आत्मिक प्रगति का मूल्यांकन इसी आधार पर किया जाता है कि अपने जीवन क्रम में कितनी उदारता अपनायी और परमार्थ परायणता दर्शायी । स्वर्ग और मुक्ति का पुण्य - प्रतिफल इसी परमार्थ परायणता के वृक्ष पर लगता है । 🚩ॐ वन्दे वेद प्रकाशम् 🚩 ०५/०८/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🚩🇮🇳🚩 धर्म- धारणा और आत्मिक प्रगति का मूल्यांकन इसी आधार पर किया जाता है कि अपने जीवन क्रम में कितनी उदारता अपनायी और परमार्थ परायणता द
CalmKazi
इक शहर की कहानी खोजते हैं लोग राहगीरों से दो टूक पूछें कभी। मोहल्ले को साफ़ करने जुटे हैं लोग बाल्कनी का शोर सहें कभी। हैं हर गली में चर्चे अलग उस शहर की व्यथा समझें कभी। YourQuote Baba के “Word of the day” चैलेंज को सम्बोधित करते चंद पंक्तियाँ “City” उर्फ़ शहर पर ये पंक्तियों में थोड़ी “futility” दर्शायी है
Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
चंद्रमा सा खूबसूरत चेहरे पर घूँघट, जैसे उमड़ते बादलों का हो पहरा, आनन पर स्वेद आब की बूंदें, जैसे मासुमियत में छुपा राज हो गहरा, नीले झील से नैनों पर पलकें ढकी, जैसे चेहरे पर फूलों का हो सेहरा, आँचल का हटना ज्यूँ बादलों का छटना, दिखा ज्योत्सना का रंग सुनहरा। 🔔 प्रिय कवि शर्त जरूर पढ़ें। Life With Poetry प्रतियोगिता -15 रूपक अलंकार प्रतियोगिता-15, जिसका शीर्षक- 'चंद्रमा' (रूपक अलंकार) दिया गया है
DR. SANJU TRIPATHI
चंद्र- खिलौना लेने को बाल राम रहे अकुलाय। मईया से हठ कर रहे चंद्र को खिलौना बताए। शशि- मुख राम देख कर मईया का मन हर्षाए। पल- पल छिन- छिन मईया राम पर बलिहारी जाए। 🔔 प्रिय कवि शर्त जरूर पढ़ें। Life With Poetry प्रतियोगिता -15 रूपक अलंकार प्रतियोगिता-15, जिसका शीर्षक- 'चंद्रमा' (रूपक अलंकार) दिया गया है
Insprational Qoute
चाँद सा मुख आभा बिखेरे हैं, श्वेतांबर चादर मन को घेरे हैं, चाँद चाँदनी ने निशा को मान, साक्षी कर लिए सात फेरे है। 🔔 प्रिय कवि शर्त जरूर पढ़ें। Life With Poetry प्रतियोगिता -15 रूपक अलंकार प्रतियोगिता-15, जिसका शीर्षक- 'चंद्रमा' (रूपक अलंकार) दिया गया है
Simpy Aggarwal
"नवदुर्गा नारी" सुन मेरी देवी ऊँचे पर्वत वासिनी, ज्योतिर्मय मुखमयी,मंद-मंद सुहासिनी, अद्भुत छवि अलौकिक रूप, नारी के सम्पूर्ण जीवन चक्र को, दर्शाती तेरे अवतारों की धूप! जन्म ले कन्या का माता, शैलपुत्री रूप धर पृथ्वी पर आई, प्रथम दिवस शैलपुत्री मैया, कन्या रूप में देवी कहलायी! कौमार्य अवस्था नारी की, ब्रह्मचारिणी का रूप कहलायी, ब्रह्म आचरण का माँ तेरा द्वितीय रूप, आत्म-परीक्षा देती नारी बनी तेरा ही स्वरुप! विवाह पूर्व स्त्री की पवित्रता, चन्द्रमा समान निर्मल शीतलता, माँ का तृतीय रूप चंद्रघंटा, दर्शाये नारी जीवन की सतर्कता! करने को नए जीव को उत्पन्न, प्रत्येक स्त्री करती गर्भ धारण, दर्शाने को रचनात्मक अवस्था नारी की, चतुर्थ दिवस में माँ कूष्मांडा का होता अवतरण! नवीन स्कन्द को देकर जीवन, नारी में पुनः देवी दर्शायी, मोक्षदायिनी कुसुमधारी माता, पंचम दिवस स्कंदमाता रूप में आई! संयम साधना और प्रेम का संगम, नारी संजोती अनेकों बंधन, कात्यायनी है षष्ठ रूप माता का, दर्शाये देवी रुपी नारी का जीवन! आत्म सम्मान पर जब लगती चोट, भयावह रूप में करती विस्फोट, गतिशीलता संग विद्युत रुपी नारी, है कालरात्रि माता के सप्तम रूप की जोत! बुद्धिमता से परिवार का संचालन, परिवार ही जिसका संसार व जीवन, अन्नपूर्णा नारी के इस भाव का वर्णन, है अष्टम दिवस में महागौरी का आगमन! पूर्णता और विवेक की जोत जलाये, सुख-सिद्धि के आशीष का प्रकाश फैलाये, संतान को देने ज्ञान का सागर, नवम दिवस सिद्धिदात्री माँ के रूप में आये! दुर्गा माँ के नौ अवतार, सम्पूर्ण सृष्टि का करते उद्धार, प्रत्येक नारी के आचार-विचार, नवदुर्गा के रूपों का ही है आकार!! ©Simpy Aggarwal "नवदुर्गा नारी" सुन मेरी देवी ऊँचे पर्वत वासिनी, ज्योतिर्मय मुखमयी,मंद-मंद सुहासिनी, अद्भुत छवि अलौकिक रूप, नारी के सम्पूर्ण जीवन चक्र को,
Gaurav Christ