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Diya
दिल की दस्तक जब हुई मेरे पत्थर दिल पर, वह धीरे-धीरे पिघलने लगा तेरी चाहतों पर.. Good morning 🌹🌹☕☕🌹🌹 ©Diya #good #morning #दिल की #दस्तक जब हुई मेरे #पत्थर दिल पर, वह #धीरे-धीरे #पिघलने लगा तेरी #चाहतों पर.. Good morning 🌹🌹☕☕🌹🌹 #Diyakikalamse✍🏼❤
News by Prashant
White न संघर्ष खत्म होता है और न ही शिकायतें, धीरे-धीरे जो खत्म हो रही है वो उम्र है। ©News by Prashant #love_shayari न संघर्ष खत्म होता है और न ही शिकायतें, धीरे-धीरे जो खत्म हो रही है वो उम्र है।
#love_shayari न संघर्ष खत्म होता है और न ही शिकायतें, धीरे-धीरे जो खत्म हो रही है वो उम्र है।
read moredilkibaatwithamit
White कुछ शामें जिन्दगी में ऐसी भी होती हैं, जिनमें धीरे धीरे सूरज नहीं हम डूब जाते है.. ©dilkibaatwithamit कुछ शामें जिन्दगी में ऐसी भी होती हैं, जिनमें धीरे धीरे सूरज नहीं हम डूब जाते है.. #GoodMorning #nojohindi #Shaayari @nojoto
कुछ शामें जिन्दगी में ऐसी भी होती हैं, जिनमें धीरे धीरे सूरज नहीं हम डूब जाते है.. #GoodMorning #nojohindi #Shaayari @nojoto
read moreVicky Malhotra
Dil Shayari चुन दीया है हमने, दीवार में अपने दिल को..._ ठोकरों से बचाने का.... यही एक रास्ता था...._ ©Vicky Malhotra dil
dil
read moreAnjali Singhal
White "राह कठिन है जीवन की। कर लेंगे पार धीरे-धीरे... जल्दी नहीं है हमें भी मरने की।।" ©Anjali Singhal "राह कठिन है जीवन की। कर लेंगे पार धीरे-धीरे... जल्दी नहीं है हमें भी मरने की।।" #AnjaliSinghal #shayari #life #explore #explorepage #statu
"राह कठिन है जीवन की। कर लेंगे पार धीरे-धीरे... जल्दी नहीं है हमें भी मरने की।।" #AnjaliSinghal #Shayari life #EXPLORE #explorepage statu
read moreSarvesh kumar kashyap
🤷 धीरे-धीरे सब..🤔👥 #Best #shayri #Motivational #status Life #Sarveshkashyap #viral #Emotional
read moreAnuradha T Gautam 6280
धीरे-धीरे रात बीतती रही और मैं #एक_टक खिड़की से आसमान को निहारती रही..🖊️ अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻♀️ 👀☁️👀
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
Unsplash रो नहीं पाती आँखें वो मेरे इर्द गिर्द ही रहता है.. ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #Dil
हिमांशु Kulshreshtha
धीरे धीरे अंतस का सारा शोर थम जाता है.. सारी पीड़ाएं,सारे दुख सुन्न से हो सो जाते हैं.. फिर कुछ भी हैरान नहीं करता, कुछ भी परेशान नहीं करता.. पीछे मुड़कर देखने पर लगता है जिस जिंदगी को जीया, भावनाओं का जो ज्वार उमड़ा सब बचकाना था सब कुछ बेमानी था.... जिस को जाना था वो चला ही जाता है ख़ामोशी से बस, अपने निशाँ छोड़ कर धीमे धीमे जिदगी फ़िर ढर्रे पर आने लगती है किसी के बिना जी न पाने का डर कम होता जाता है बस.. कभी कभी सीने में एक आग सी उठती है एक ख़ामोश शोर कानों में गूंजता है फ़िर, सब सतह पर पहले सा हो जाता है ©हिमांशु Kulshreshtha धीरे धीरे...
धीरे धीरे...
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