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Yudi Shah

कहिले निर्मला झै बलाकृतको सिकार भए त कहिले मुस्कान झै एसिडको प्रहारमा परे कहाँ गए त ति महिला तथा बाल विकास मञ्च, कहाँ गए त ति महिला, बालबालि #alonegirl

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कहिले निर्मला झै बलाकृतको सिकार भए त
कहिले मुस्कान झै एसिडको प्रहारमा परे
कहाँ गए त ति महिला तथा बाल विकास मञ्च,
कहाँ गए त ति महिला, बालबालिका तथा समाज कल्याण मन्त्रालय
कहाँ गए त ति कृषि, महिला तथा बालबालिका विकास केन्द्र,
कहाँ गए त ति महिला तथा बालबालिका विभाग
कहाँ गए त ति महिला विकास योजना द्दण्ज्ञढ,
कहाँ गए त ति महिला तथा बालबालिका कार्यालय काठमाडौं,
कहाँ गए त ति महिला बालबालिका तथा जेष्ठ नागरिक मन्त्री,
कहाँ गए त ति महिला विकास कार्यक्रम निर्देशिका,
कहाँ गए त ति महिला बालबालिका तथा जेष्ठ ज्येष्ठ नागरिक को परिभाषा नागरिक मन्त्रालय कार्याबिधि, 
कहाँ गए त ति महिला तथा बालबालिका सेवा केन्द्र 
आदि झै कहाँ गए तँ ति मञ्चहरु 
खै देखेन त मैले
जब सवम् देशका महिला राष्ट्रपति हुन (विद्यादेवी भण्डारी० 
खै सुनेन त वहाँ को मुखबाट दुई चार शब्द पनि 
ति दुखका ति मननहरु...

©Yudi Shah कहिले निर्मला झै बलाकृतको सिकार भए त
कहिले मुस्कान झै एसिडको प्रहारमा परे
कहाँ गए त ति महिला तथा बाल विकास मञ्च,
कहाँ गए त ति महिला, बालबालि

रजनीश "स्वच्छंद"

तुम्हे प्रह्लाद बनना चाहिए।। है समय की मांग ये, तुम्हे प्रह्लाद बनना चाहिए। मनुज मुस्कान दानवों का अवसाद बनना चाहिए। अत्याचार की होली जले, #Poetry #kavishala #kavita #falconfilms19

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तुम्हे प्रह्लाद बनना चाहिए।।

है समय की मांग ये, तुम्हे प्रह्लाद बनना चाहिए।
मनुज मुस्कान दानवों का अवसाद बनना चाहिए।

अत्याचार की होली जले,
व्यभिचार की होली जले,
भ्र्ष्टाचार की होली जले,
कुविचार की होली जले।
दानव जले और तम जले,
दुख जले और मातम जले।

मूक इस संसार मे, तुम्हे संवाद बनना चाहिए।
है समय की मांग ये, तुम्हे प्रह्लाद बनना चाहिए।

तुम बहुभुज तुम सबल,
तुम में है संसार सकल,
तुम हो अग्नि तुम ही जल,
तुम पवन तुम दावानल।
चेतन तुम्ही, संहारक हो तुम,
मनु संतति के वाहक हो तुम।

अब इस समर का तुम्हे शंखनाद बनना चाहिए।
है समय की मांग ये, तुम्हे प्रह्लाद बनना चाहिए।

सुनी हो न कोई गोद अब,
सुखा रहे न जलश्रोत अब,
शिथिल पड़े न ये क्रोध अब,
सब खुशी से ओतप्रोत अब।
रख मान अब तू इस धरा की,
ले छीन शक्ति तू अब जरा की।

है यज्ञ ये पूजा यही, तुम्हे प्रसाद बनना चाहिए।
है समय की मांग ये, तुम्हे प्रह्लाद बनना चाहिए।

©रजनीश "स्वछंद" तुम्हे प्रह्लाद बनना चाहिए।।

है समय की मांग ये, तुम्हे प्रह्लाद बनना चाहिए।
मनुज मुस्कान दानवों का अवसाद बनना चाहिए।

अत्याचार की होली जले,
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