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Divan Dodiyar
White आदत है, लत है, या फिर खुमारी है, रोज एक बार तेरी तस्वीर देखने की बीमारी है..! ©Divan Dodiyar #Thinking आदत है, लत है, या फिर खुमारी है, रोज एक बार तेरी तस्वीर देखने की बीमारी है..! शायरी मोटिवेशनल
#Thinking आदत है, लत है, या फिर खुमारी है, रोज एक बार तेरी तस्वीर देखने की बीमारी है..! शायरी मोटिवेशनल
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी दिलो को धड़कने की बीमारी है ना धड़के तो शरीर बेजान कम ज्यादा धड़के तो लो और हाई ब्लडप्रेशर की तैयारी है हर सूरत में बेलेंस बनाना है जिंदा रहना बस गमो और खुशियों की सौगात है दिल तो हर सूरत में जलना ही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #lung_cancer दिलो को धड़कने की बीमारी है
#lung_cancer दिलो को धड़कने की बीमारी है
read moreHimanshu Prajapati
White ना मोहब्बत रास आयी, ना हम खुद को..!💔 ©Himanshu Prajapati #GoodMorning ना मोहब्बत रास आयी, ना हम खुद को..!💔 #36gyan #36gyan
#GoodMorning ना मोहब्बत रास आयी, ना हम खुद को..!💔 #36gyan #36gyan
read moreरिपुदमन झा 'पिनाकी'
White ज़िन्दगी पूछती है ज़िन्दगी जियोगे कब। स्वाद इस ज़िन्दगी की मौज का चखोगे कब। ऊम्र अपनी बिता रहे हो फंँस के उलझन में - आसमाँ पर उड़ानें सपनों की भरोगे कब। आप खुद से बताओ यार अब मिलोगे कब। क़ैद कर रखा है खुद को जो तुम खुलोगे कब। पालते हो क्यूँ दिल में ग़म उदास रहते हो- रंग जीवन में अपने खुशियों की भरोगे कब। जी रहे हो घुटन में खुल के साँस लोगे कब। दुःख के दुश्मन को हौसलों से मात दोगे कब। कुछ नहीं मिलता है औरों के लिए जीने से- हो चुके सब के बहुत अपने बता होगे कब। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #कब
Himanshu Prajapati
हद्द होती है यार किसी चीज की, मैं कब तक लोगों को परेशान करता रहूंगा..! ©Himanshu Prajapati #CloudyNight हद्द होती है यार किसी चीज की, मैं कब तक लोगों को परेशान करता रहूंगा..! #36gyan #hpstrange
#CloudyNight हद्द होती है यार किसी चीज की, मैं कब तक लोगों को परेशान करता रहूंगा..! #36gyan #hpstrange
read moregaTTubaba
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset सुबह सुबह मुस्कुराहट आयी चेहरे पर की एक चेहरा देखा पहले तो अपना देखा पर वजह वो था जिन आँखो में चेहरा अपना देखा ©gaTTubaba #SunSet सुबह सुबह मुस्कुराहट आयी चेहरे पर की एक चेहरा देखा पहले तो अपना देखा पर वजह वो था जिन आँखो में चेहरा अपना देखा
#SunSet सुबह सुबह मुस्कुराहट आयी चेहरे पर की एक चेहरा देखा पहले तो अपना देखा पर वजह वो था जिन आँखो में चेहरा अपना देखा
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़ुद को कब तक बाँधोगे। वक़्त के साथ बेहिसाब ग़लतियाँ की हैं तुमने, सलाखों के पीछे ख़ुद को कब तक छुपाओगे? जो कभी साथ छांव सा था, वह अब छूट गया, आख़िर खुद से ये जंग कब तक लड़ोगे। लोग माफ़ी देते हैं एक-दूसरे को अक्सर, आख़िर तुम खुद को कब तक सताओगे। रिहाई जुर्म से नहीं मिलती, यह तो मालूम है, आख़िर ग़लतियों पर कब तक पछताओगे। प्रकृति में सूखी डालें भी बहार में पनपती हैं, खुद को सहलाने का वक़्त कब तक टालोगे। वक्त हर नासूर बने ज़ख्मों को भी भरता है, आख़िर ज़ख्मों को भरने से कब तक डरोगे। ©theABHAYSINGH_BIPIN दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़
दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
White वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर दर्द के पीछे कोई बात होती है, हर खामोशी में एक आवाज़ होती है। पलकों के साए से कब तक छिपोगे, दिल की पुकार से कब तक बचोगे। प्यार बुरा है, ये बहाना कब तक, खुद से दूरी का फसाना कब तक। वक्त की इस रेत पर नाम लिखो, एक बार प्यार से अपनी राह चुनो। ©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर
#love_shayari वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर
read moreParasram Arora
Unsplash मेरी बिगड़ेल चाहतो से मुझे राहत मिलेगी कब? मेरे शरारती स्वार्थी तत्व आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ? मेरा मौन चिल्लाना चाहता है युगो से आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब? ©Parasram Arora कब?
कब?
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी चाल चरित्र और कर्तव्य निष्ठा मिट गयी कूरता पर नारी उतर आयी है परिवारों में पुरुषों का दोहन ममता की देवी का पागलपन दिखता है स्वार्थो की पराकाष्ठा हो गयी पुरुत्त्व इनके वश में होकर तड़पता है मर्यादा सब खण्डित हो गयी वहाँ पर जहाँ करवा चौथ छट पूजा के व्रतों से पति का आयु बढ़ता है मगर लालचों ने आज हर हद तोड़ दी अतुलसुभास सुसाइड कर कानून और नारी की उदण्डता का शिकार होता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #karwachouth कूरता पर नारी उतर आयी है
#karwachouth कूरता पर नारी उतर आयी है
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