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SZUBAIR KHAN KHAN
221 212 2 221 2122 महबूब आँखों में रहना प्यार प्यार बनके नूर -ए- निगार सांसो के तार तार बनके दस्तूर इस ज़माने का ख़ूब - रू मुहब्बत आओं ख्यालों की जन्नत हूर हूर बनके मामूल जिंदगी से हर वक्त इल्तिजा से बाग़-ए-अदन बनाओगे दार दार बनके रस्म-ए-वफ़ा निभाएगें जाने जाना तुमसे दो लफ़्ज़ की कहानी को मीर मीर बनके गुलज़ार कर दिया है ख़ुशबू से आशियाँना फूलो से महक़ाओ अपने नूर नूर बनके मंसूब बन गए हैं जब से "ज़ुबैर " मेरे यादो में रहते में अक्सर गीर गीर बनके लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN Aankho Main
Aankho Main
read moreKanika Lakhara
Google ना जाने कितने फूल बरस आए इस तन पर , मगर अफसोस ! मैं सुगंध तक ना ले सका 🌹🌼 ©Kanika Lakhara #Manmohan_Singh_Dies #heartfelt message # respect # Former PM # Economist.
Manmohan_Singh_Dies heartfelt message # respect # Former PM # Economist.
read moreDr O L Daksh
Aatma Amar h... Deh, nashean h... Karma is Dhatma... ©omlata ##Gita Sar## Krishna##❤🔥Parth##
##gita Sar## Krishna##❤🔥Parth##
read moreZuber Ali
Unsplash Mujhko Sambhal khud Bhi Sambhal Main Nashe Mein Hun Mujhko Sambhal Khud Bhi Sambhal Main Nashe mein Hun Aye Jaane Gazal Sath Mein Chal Main Nashe Mein Hun Ke Akbar Bhi Hu Main Salim Bhi Hu Aur Shahjahan Bhi Hu Lakhon Bana Du Taj Mahal Mein Nashe Mein Hun ©Zuber Ali #main Nashe mein Hun
#main Nashe mein Hun
read moreAvinash Jha
कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha #संशय #Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
#संशय Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
read moreबाबूराव (मेरे विचार)
वक्त के फैसले कभी गलत नही होते, बस साबित होने में वक्त लगता है। ©बाबूराव (मेरे विचार) #Time #Important #message #Life
#Time #Important #message #Life
read moreLavucreativity
The blessings of Goddess Katyayani are said to purify the devotee's sins, drive out malicious spirits and eliminate obstacles. ©Lavucreativity #navratri Navratri festival message #God