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मनोज कुमार झा "मनु"
मेरे भाग्य में क्यों यह क्षण आने से रह गया। वृन्दावन में भी मैं राधे से मिलने से रह गया।। ©मनोज कुमार झा "मनु" पीताम्बर कान्हा
Vk Virendra
"पृथ्वी पर पर जिस प्रकार मौसम में बदलाव आता है उसी प्रकार जीवन में भी सुख-दुख आता-जाता रहता है"। ©Vk Virendra कान्हा जी
Rajni Vijay singla
तेरी मुरली मेरा जीवन हुई बावरी सुधबुध छिन ©Rajni Vijay singla # ओ कान्हा मेरे
Vk Virendra
खुशी में पढ़ोगे तो बुरा लगेगा... दुःख में पढ़ोगे तो अच्छा लगेगा ... ये लाईन ये वक्त है गुजर जायेगा ©Vk Virendra कान्हा जी #कान्हा #गीता #ज्ञान
Vk Virendra
"गीता" में लिखा है. निराश मत होना, कमजोर तेरा वक्त है, "तू नही"... ©Vk Virendra कान्हा जी #कान्हा #motivatation #मोटीवेशन
Vk Virendra
कर्मों का लिखा..! हर हाल में भुगतना पड़ता है ... दुख बेचे नहीं जा सकते और सुख खरीदे नहीं जा सकते ©Vk Virendra कान्हा ji
Naren K
वहाँ कई जगहों को जाने की कोशिश की। लेकिन जैसे ही वह गहरे अंधकार में आगया, उसे ठंड का अहसास होने लगा और घोर खामोशी ने उसे घेर लिया। खतरनाक माहौल को नजरअंदाज करते हुए, उसने हवेली के अंदर की और बढ़ते हुए, वह निश्चित करने के लिए तैयार था कि भूतों की कहानियाँ अफवाह से भिन्न हो सकती हैं। अचानक, उसने गुमनाम सुरीले आवाजों को सुना। उसने इन्हें नजरअंदाज किया, और आगे बढ़ते हुए, उसे और भी गहरे अंधकार के साथ महसूस होने लगा। हर कदम पर, उसे गहरी सांसों की आवाजें सुनाई देने लगीं, और उसे लगने लगा कि कोई अदृश्य शक्ति उसकी हर चाल को देख रही है।(पार्ट-2) ©Naren K भूतिया हवेली..( पार्ट- 2)
Naren K
एक बच्चे के बारे में गाँव की बात है। उसका नाम राहुल था। एक दिन राहुल ने अपने दोस्तों के साथ जंगल में खेलने का निर्णय किया। जंगल के अंदर एक पुराने हाथी के मक़बरे का पता चला। राहुल और उसके दोस्तों ने उसे खोला और वहाँ अंधेरा था। अचानक, उन्हें एक अनजान आवाज़ सुनाई दी। वे धीरे-धीरे आवाज़ के पीछे चले गए। वहाँ एक पुरानी हवेली थी, जो कि अदभुत और भयानक लग रही थी। धीरे-धीरे हवेली में घुसते हुए, उन्होंने अचानक एक लाश देखी। उन्होंने भागने का फैसला किया, लेकिन जैसे ही वे बाहर निकलने के लिए मुड़े, एक भयानक चीख आई। उन्होंने पीछे मुड़कर देखा, तो वहाँ वे देखते हैं कि उस लाश के पीछे कोई उन्हें धूंध रहा है। वे दौड़ने लगे, पर वह चीखने वाली आवाज़ उनके पास ही थम गई। उन्होंने पीछे मुड़कर देखा, तो उन्हें दिखाई दिया कि वह चीखने वाला कोई नहीं था, बस एक अंधेरा और उसकी साया ही थीं। राहुल और उसके दोस्त भागते भागते गाँव वापस पहुँचे, पर उन्हें वह अनजान आवाज़ और भयानक चीख अब भी याद आती रही। उनके मन में उस हवेली का डर सदा के लिए बस गया। ( पार्ट -1) ©Naren K भुतिया हवेली...( पार्ट - 1)
Radhe Radhe
sunset nature हाले- ए -दिल किसको सुनाऊ, कान्हा के अलावा कोई भांता नहीं क्यूँ दो कदम चल के थम जाती हूं बातो को सोच उसके मन ही मन मुस्कुराती हूँ लफ्ज़ से कुछ ना कहती पर उसी से प्रेम जताती हूं वो दिल में रहता प्यारा कान्हा सुरतिया देख पलके ना झपकाती हूँ। ©Radhe Radhe मेरा कान्हा