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Anita Najrubhai

विरान  हवेली में  
रहेते है  
 जहाँ कोई जाता नहीं है 
घुंघरू की आवाज़ आना आती हैं 
चमगादड़  उडती है
सांप बिच्छु  चलते हैं 
ऐसे विरान हवेली में   किसी इन्सान की 
रूह  भटकती है

©Anita Najrubhai #हवेली

Sunita Chhattani

हवेली #ज़िन्दगी

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उस गांव में जो हवेली थी वो ..   
कुछ खंजर हों चुकी थीं
कुछ डरावनी सी..
जैसे किसिकी परछाई थी वहा.
जो धुंधली तस्वीर में...
पर नज़र से परे .....
कुछ मिठास भरा स्वर जो धीमे धीमे 
कोई नाम लिए
गुनगुना रहा हो....
 लेकिन.   
 एक बात पूछना चाहती थी
जो कुछ सवाल जवाब 
किसिका इंतजार था.  
बरसों पहले से हैं ,...
वोही सुनसान जगह पर,सुनसान राहें
जो,किसी मंजिल की तलाश में गुम हो
जो कुछ कह रही हो.  ,...
मानो, कुदरत को भी तरस आता हों...
तेज़ आंधी में उड़ी, हवाओं का झोंका आया...
और सबकुछ बिखर गया. ...  . 
पहले की तरह......

©Sunita Chhattani हवेली

सुमित झरोठी

थारी फिल्म बणावयगा #nojotovideo

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Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

ऊंची-ऊंची इमारते #City #कविता

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"ये ऊंची-ऊंची इमारतें"
ये शहरों की ऊंची-ऊंची,इमारतें
बता रही जनसंख्या के आंकड़े
गर अब भी हम लोग न सम्भले
बहुत जल्द होंगे बड़े-बड़े हादसे

कम चीजों से ज्यादा की चाहते
इससे हो रही,हादसों की आहटें
बढ़ रहा,भूमि पर अतिरिक्त बोझ
कत्ल हो रहे,नित ही,भू कालजे

बिगड़ रहा,पारिस्थिकी संतुलन
मनुष्य का बहुत बिगड़ गया,मन
बहुत बढ़े,प्रकृति छेड़छाड़ मामले
कुल्हाड़ी,पांवों पर खुद ही मार रहे

ये शहरों की ऊंची-ऊंची,इमारतें
मिटा रही गांवों की मासूमियतें
फूल दब रहे है,पत्थरो के तले
बहुत बिगड़ गई,हमारी आदतें

गर वक्त रहते हम लोग न सुधरे
बढ़ी जनसंख्या,पार करेंगी हदें
भुखमरी से बढ़ेगी,इतनी मौतें
एक आम खाने,मरेंगे सो-सो जने

प्रकृति से जो गर छोड़ेंगे जड़ें
फिर तो हम सूखकर ऐसे मरेंगे,
जैसे जेठ दुपहरी में बदन जले
व्यर्थ की आधुनिकता छोड़ चले

जो भी कार्य प्रकृति को हानि दे
वो कार्य हम लोग कभी न करे
जितना हम प्रकृति से जुड़ सके,
वो कार्य हम लोग अवश्य ही करे

प्रकृति मां की गोद मे सोने चले
ओर अपने सारे ही गम भूल चले
ये ज़माने की ऊंची-ऊंची इमारतें
आज तक कोई संग लेकर न चले

जिओ-जीने दो,सिद्धांत पर चले
ओर निःस्वार्थ कर्म करते हुए चले
जिसने जिंदादिली के जलाये दीये
उस रोशनी से,तम जगमगाने लगे
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" ऊंची-ऊंची इमारते

#City

Shailendra Lunia

तुम हो नई नवेली 
आ जाओ मेरी हवेली

©Shailendra Lunia #नवेली #हवेली

धर्मेन्द्र पटेल

अपनी हवेली #ज़िन्दगी

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शुभम सैनी

जानू थारी टेंशनजानू थारी टेंशनयाद आवे से तू #Comedy

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Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

जय हो चेतक थारी #कविता

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जय हो वीर चेतक थारी
शत्रु पे पड़ा तू बड़ा भारी
दिखाई तूने ऐसी वीरता,
धरी रह गई शत्रु तैयारी
मानसिंह के हाथी को,
दिखाई पैर टाप भारी
प्रताप को जब घेरा,
चेतक बन गया शेरा,
शत्रु को दी मात भारी
जय हो वीर चेतक थारी
ऐसी दिखाई वफादारी,
सदियों तक गूंजेगी
चेतक तेरी किलकारी
ऐसी छलाँग लगाई तूने
हक्की-बक्की रह गई
शत्रु की सेना सारी
देख तेरा रण-कौशल,
अकबर हुआ लाचारी
जय हो वीर चेतक थारी
तू है,प्रताप की तलवारी
उसका ख़्वाब टूट गया
प्रताप उससे छूट गया
दिखाया पौरुष तूने,
बड़ा ही प्रलयंकारी
हल्दीघाटी में जिंदा है,
आज भी तेरी चिंगारी
जय हो वीर चेतक थारी
तू है,स्वामीभक्त अवतारी
जब तक ये मैदान रहेगा
तब तक तेरा नाम रहेगा
प्रताप के संतापहारी
जय हो वीर चेतक थारी
दिल से विजय जय हो चेतक थारी

Laxman Dhaka

तेजल थारी जय हो #पौराणिककथा

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Ravi S. Singh 'चंचल'(Hindian)

दिल में छिपा है जो तूफ़ान अभी बाक़ी है
मत देखो कद आसमां का, ऊंची उड़ान अभी बाक़ी है।

✍️"चंचल" #ऊंची
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