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Ek villain
यदि दुर्भाग्यपूर्ण कि पद्म सम्मान एक बार विवाद का विषय बना दिया गया पदम सम्मान की घोषणा होते ही पहले पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री एवं माकपा नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य ने उसे लेने के इनकार कर दिया ऐसा करके उन्होंने मोदी सरकार के प्रति केवल अपनी आरुषि ही नहीं प्रदर्शित की बल्कि राष्ट्रीय सम्मान के प्रति भी अपनी विरक्त का परिचय दिया उन्होंने ऐसे तब किया जब पदम सम्मान की सार्वजनिक घोषणा के पहले उनके पति को इस बारे में सूचित कर दिया गया था रानी नहीं है कि उन्होंने पदम सम्मान टू कराने का फैसला पार्टी नेताओं के दबाव में लिया सच जो भी हो उनका फैसला ही है एक गीत कराता है कि राजनीति मतभेद होने किस प्रकार विदेशी गर्भ धारण कर लिया और किसी राष्ट्रीय प्रति भी उसकी चपेट में आ रहे हैं अच्छा हो सकेगी उन्होंने उनके साथियों को यह आभास हो गया कि पदम सम्मान ठुकराना ना केवल घोर राजनीति और शुद्धता का परिचय दे रहे हैं बल्कि सम्मान और अपमान भी कर रहे हैं ©Ek villain # राष्ट्रीय सम्मान का निरादर #BookLife
brijesh mehta
जहाँ "हां" संभव ही ना हो, वहां "ना" के सिवा, कोई और चारा नहीं! कहीं-कहीं ना निरादर का नहीं, आदर का उद्बोधक है! ©brijesh mehta ना निरादर का नहीं, आदर का उद्बोधक है! #मंमाधन
vishnu prabhakar singh
गुम हो जाता है परस्पर अपेक्षा में काबिज़ चलन में उपसत्य जो है गुम हो जाता है धन अर्जन में रीती के टेक में उपवंश जो है गुम हो जाता है विकास के दौर में संयत के तौर में उपयोग जो है गुम हो जाता है पुत्र के मोह में मित्र के जोह में उपहार जो है गुम हो जाता है सेवा के भाव में मेवा के चाव में उपचित्त जो है जिस तरह समाजवाद का उपसर्ग परिवारवाद,उसी तरह नैतिकता का उपसर्ग बदलाव। #गुमहोजाताहै #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with Y
Anupama Jha
"काश" इच्छाओं का उपसर्ग है और "आस" प्रत्यय । #काश #आस #उपसर्ग #प्रत्यय #yqdidi #hindiquote #हिंदीकोट्स
Vedantika
अति काम मद लोभ में देखो मनुष्य गया हार देव के भेष में राक्षसों की हो रही जय-जयकार मानवता का हुआ हनन सब देख रहे है निःशब्द खुद पर संकट आएगा तो चिल्लाएंगे सब गैरजिम्मेदार सब हुए एक दूसरे को रहे ताक कौन सुधारे खुद को घूम रहे सब बेबाक मान मनोव्वल चाहिए झूठे हो जज्बात दिल खोल बता रहे एक दूसरे की बात विशेष बन कर रह रहे दुनिया मे धनवान गरीब की पीड़ा से रहे हरदम ये अंजान चलते रहे जो मखमली कालीन पर सदा कैसे सहे पथरीली जमीन के निशान निसन्देह इस संसार मे सब नहीं एक जैसे जीवन की कठिन डगर पार होगी कैसे प्रश्न बड़ा ही है कठिन उत्तर ना जाने कोई ईश्वर की शक्ति के आगे राह आसान बन जाई उपसर्ग का प्रयोग: अति- बहुत ज्यादा गैरजिम्मेदार- लापरवाह विशेष- खास निसन्देह- बिना किसी शक के
brijesh mehta
जहाँ "हां" संभव ही ना हो, वहां "ना" के सिवा, कोई और चारा नहीं! ना निरादर का नहीं, आदर का उद्बोधक है! .. ©brijesh mehta जहाँ "हां" संभव ही ना हो, वहां "ना" के सिवा, कोई और चारा नहीं! ना निरादर का नहीं, आदर का उद्बोधक है! #मंमाधन 🌺