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dikshant ak
क्यो ख्वाइसे अक्सर मेरी यादे बनकर रह जाती हैं। क्यों दवाएं अक्सर बददुवाएं बन जाती हैं।। क्या गलती है मेरी कसिस में क्यो अक्सर मुझसे खुशियां रुट जाती हैं।। मैं मुसाफिर बन तो गया मैं मुसाफिर बन तो गया आदत अपनी वहीं रह जाती है।। बात होती तो है ।। न मात्र
Siddhartha Poonar
आज कल की भाग दौड़ भरी ये जिंदगी समाज में चारों तरफ फैली ये गंदगी तवायफे होती तो हैं मगर दिखाई नही देती हैं हर काल के आरंभ से रखा इनको समाज से दूर कलयुग में इनको नहीं रख सके समाज से दूर तवायफे होती तो हैं मगर दिखाई नही देती हैं इज्जत का छोला पहन छुपा रखती अपनी काली छवि खुले आम घूमती हर मां के लाडले को जाल में फंसाती तवायफे होती तो हैं मगर दिखाई नही देती हैं कोठे को छोड़ समाज में आई लोगो के बीच जगह बनाई हर 100 में से 40 लड़कियां तवायफे कहलाई तवायफे होती तो हैं मगर दिखाई नही देती हैं साफ नजरे चाहिए इनको पहचानने के लिए जो साफ नज़र कहलाई वो ठोकर बन पाई तवायफे होती तो हैं मगर दिखाई नही देती हैं ©Siddhartha Poonar #Titliyaan तवायफे होती तो हैं मगर दिखाई नही देती हैं
Akshit Jain
शाम सूरज को ढ़लना सिखाती है, शमा परवाने को जलना सिखाती है, गिरने वाले को होती तो है तकलीफ,पर ठोकर ही इंसान को चलना सिखाती है… शाम सूरज को ढ़लना सिखाती है,शमा परवाने को जलना सिखाती है, गिरने वाले को होती तो है तकलीफ,पर ठोकर ही इंसान को चलना सिखाती है… #inspirational
Dharmendra Singh
कभी पहली सी अब उनसे मुलाकातें नहीं होतीं। पुरानी याद में गुलजार अब रातें नहीं होतीं।। जिनके लफ्ज़ देते थे सुकूँ, दिल को 'परेशाँ' के, बात होती तो है उनसे मगर, बातें नहीं होतीं।। ✍परेशान✍ #CalmingNature कभी पहली सी अब उनसे मुलाकातें नहीं होतीं। पुरानी याद में गुलजार अब रातें नहीं होतीं।। जिनके लफ्ज़ देते थे सुकूँ, दिल को 'परेशा
Dharmendra Singh
कभी पहली सी अब उनसे मुलाकातें नहीं होतीं। पुरानी याद में गुलजार अब रातें नहीं होतीं।। 'परेशाँ' दिल सुकूँ पाता था जिनके चंद लफ़्ज़ों से, बात होती तो है उनसे मगर, बातें नहीं होतीं ✍परेशान✍ कभी पहली सी अब उनसे मुलाकातें नहीं होतीं। पुरानी याद में गुलजार अब रातें नहीं होतीं।। 'परेशाँ' दिल सुकूँ पाता था जिनके चंद लफ़्ज़ों से, बात हो
Gulfam Ali
शमा परवाने को जलाना सिखाती है, शाम सूरज को ढलना सिखाती है, मुसाफिर को ठोकरों से होती तो हैं तकलीफें, लेकिन ठोकरें ही एक मुसाफिर को चलना सिखा
shyam sahu
feelings365
"Khatayen" होती तो हैं "खताएं" हर एक से मगर.. कुछ 'जानते' नहीं, कुछ 'मानते' नहीं...
नरेश होशियारपुरी
हमको हैं यकीं अपनी मोहब्बत पे। लौट के आओगे सनम मेरे बुलाने पे। करेंगे इंतज़ार तेरा कयामत तक हम। तुमको आना ही होगा कयामत से पहले। लौट आयेंगे हम ये विश्वास रखना दूर है तो क्या हुआ बाते थोड़ी कम सही ,होती तो है मुलाकाते शायद कभी ना हो मोहब्बत तो अब भी है
Amit Tiwari
अँधेरी रात में ... धुंधली मोमबत्ती का प्रकाश लगती है सच का जीता जागता ... हमारी पुरजोर इंसानियत का जवाब लगती हैं .... ज्यों धुप अँधेरे में कही खो सा जाता है सहर ...कुछ वैसे एहसास सी लगती है . ये होती तो हैं बहुत पेचीदा ,बड़ी उलझी पर फिर भी मन को सुलझा जाती हैं ... सच्ची और वफादार सी लगती हैं ये तन्हाईयाँ बेहद ईमानदार सी लगती हैं Tanhaaiyon ki Parakh. by Amit Tiwari अँधेरी रात में ... धुंधली मोमबत्ती का प्रकाश लगती है सच का जीता जागता ... हमारी पुरजोर