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Stories related to माँ की ममता पर निबंध

Akash Kumar prjapati

#Thinking मां की ममता

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White मेरी मां ने कहा थे बेटा प्रदेश मत जा मैने नहीं मानी तो आज मुझे मेरी मां की बहुत याद आहरही है

©Akash Kumar prjapati #Thinking  मां की ममता

Shekhar Yadav

माँ की गोद

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शेखर yadav

©Shekhar Yadav माँ की गोद

VIKHYAT REKWAR

#माँ के जन्मदिन पर लिखी

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White माँ के जन्मदिन पर लिखी ये शायरी उनके असीम प्यार, त्याग और देखभाल को बयां करती है। हर शब्द में माँ के प्रति दिल से निकली दुआएं औ ...

©VIKHYAT REKWAR #माँ के जन्मदिन पर लिखी

VIKHYAT REKWAR

#माँ पर ख़ूबसूरत शेर का लुत्फ़

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White माँ पर ख़ूबसूरत शेर का लुत्फ़ लीजिए, पढ़िए माँ पर बेहतरीन शेर देवनागरी, रोमन और उर्दू में सिर्फ़ रेख़्ता पर.

©VIKHYAT REKWAR #माँ पर ख़ूबसूरत शेर का लुत्फ़

VIKHYAT REKWAR

#माँ पर ख़ूबसूरत शेर का लुत्फ़

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White माँ पर ख़ूबसूरत शेर का लुत्फ़ लीजिए, पढ़िए माँ पर बेहतरीन शेर देवनागरी, रोमन और उर्दू में सिर्फ़ रेख़्ता पर.

©VIKHYAT REKWAR #माँ पर ख़ूबसूरत शेर का लुत्फ़

meri_lekhni_12

माँ /मेरी माँ

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White रस्ते पे आँखों की बिनाई गवां बैठी है माँ,
बेटा जो दूर जा बसा, दिल जला बैठी है माँ।

दर-ओ-दीवार सुनते हैं फ़साना तन्हाई का,
हर कोना तेरे बग़ैर वीरां बना बैठी है माँ।

तेरी हँसी की रौशनी से चमकते थे जहाँ,
अब उस चिराग़ की लौ बुझा बैठी है माँ।

राह ताकते-ताकते धुंधला गई हैं निगाहें,
मगर उम्मीद का दिया जला बैठी है माँ।

हर सहर तुझसे मिलने की दुआ करती है,
शबनम के साथ आँसू बहा बैठी है माँ।

क्या तुझे एहसास भी है इस तड़पती रूह का?
तुझसे बिछड़के ख़ुद को सज़ा दे बैठी है माँ।

अगर कभी लौट आ, तो दर खुले मिलेंगे,
तेरे ख़्वाबों का घर अभी बचा बैठी है माँ।

'पूनम' हर दर्द को सीने में छुपा लेती है,
बेटे की राह में अपना वजूद मिटा बैठी है माँ।

स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित 

पूनम सिंह भदौरिया 
दिल्ली 
लेखिका 
समाज सेविका

©meri_lekhni_12 माँ /मेरी माँ

Ramji Tiwari

#माँ #कविता #ममता Shikha Sharma deepshi bhadauria Sudha Tripathi lumbini shejul Raushni Tripathi

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White 
 *माँ*

माता के जैसा नहीं,जग में कोई और।
खुद भूखी प्यासी रहे, हमें खिलाए कौर।।
हमें खिलाए कौर, नहीं माता सम दूजा।
जननी को प्रभु मान,करो तुम विधिवत् पूजा।।
माँ बेटे का यहाँ,जगत में सुन्दर नाता।
देवों से भी बड़ी,लोक में होती माता।।

ममता अंतस में भरी, करे पुत्र को नेह।
पालन पोषण के लिए,वारे अपनी देह।।
वारे अपनी देह,आप गीले में सोती।
चलती नंगे पाव, पुत्र को सर पर ढोती।।
जग में माँ की तरह, नहीं दूजे में समता।
झुकता सबका शीश,देख माता की ममता।।

     स्वरचित मौलिक रचना-राम जी तिवारी"राम"
                                      उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari 
#माँ
#कविता
#ममता  Shikha Sharma  deepshi bhadauria  Sudha Tripathi  lumbini shejul  Raushni Tripathi

Nurul Shabd

RAMLALIT NIRALA

सबको भुल सकता हूँ पर माँ को नहीं

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#माँ

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