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Vikas Sharma Shivaaya'
जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नाहीं । प्रेम गली अति सांकरी जामें दो न समाहीं । जब तक मन में अहंकार था तब तक ईश्वर का साक्षात्कार न हुआ-जब अहम समाप्त हुआ तभी ईश्वर का साक्षात्कार हुआ ! प्रेम में द्वैत भाव नहीं हो सकता–प्रेम की संकरी–पतली गली में एक ही समा सकता है–अहम् या परम ! परम की प्राप्ति के लिए अहम् का विसर्जन आवश्यक है। 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' अहम् का विसर्जन
अहम् का विसर्जन #समाज
read moreJeetal Shah
🙏🏻आज👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻 विसर्जन कीजिये गुस्से का , विसर्जन कीजिये द्वेष का , विसर्जन कीजिये लोभ का , विसर्जन कीजिये मोह का , विसर्जन कीजिये आलस का , विसर्जन कीजिये चिंता का , विसर्जन कीजिये निराशा का , विसर्जन कीजिये किसी भी परिणाम की अत्यन्त जल्दी का , विसर्जन कीजिये नकारात्मक विचारों का , विसर्जन कीजिये बुरी आदतों का , सभी विघ्न दूर होंगे...... . 🚩🙏 ©Jeetal Shah #DiyaSalaai 🙏🏻आज👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻 विसर्जन कीजिये गुस्से का , विसर्जन कीजिये द्वेष का , विसर्जन कीजिये लोभ का , विसर्जन कीजिये मोह का , वि
#DiyaSalaai 🙏🏻आज👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻 विसर्जन कीजिये गुस्से का , विसर्जन कीजिये द्वेष का , विसर्जन कीजिये लोभ का , विसर्जन कीजिये मोह का , वि #विचार
read moreParasram Arora
सच्चाइयों का अस्थि विसर्जन हो चुका और झूठ देवता बन कर इबादतगाहों की शोभा बड़ा रहा धर्म हवधारी प्रेत बन कर इस जगत को भयभीत कर रहा वासनाओं की मृगतृषणाओं मे डूबा ये जगत महा तृप्ति का सागर ढूंढ रहा जबकि सच्चिदानंद का जीवन से लोप हो रहा और ये बेबस जगत अपनी प्यास को भरमाने की असफल कोशिश कर रहा ©Parasram Arora #सच्चाइयों का अस्थि विसर्जन....
#सच्चाइयों का अस्थि विसर्जन....
read moreParasram Arora
सच्चाइयो का अस्थि विसर्जन हो चुका और झूठ देवता बन कर इबादतगाहों की शोभा बड़ा रहा धर्म हवाधारी प्रेत बन कर भयभीत कर रहा वासनाओ की मृगतृष्णाओ मे डूबा ये जगत महातृप्ति का सागर ढूंड रहा जबकि सचिदानंद का लोप हो चुका और जगत अपनी प्यास को भरमाने की चेष्टा कर रहा r सचाईयो का अस्थि विसर्जन
सचाईयो का अस्थि विसर्जन
read moreArora PR
प्रबंधन अर्चना और आराधना इन सबका. हुनर मै सीख चुका हूँ अब मै इन उपलब्धियों के अहंकार को भी विसर्जित कर देना चाहता हूँ ©Arora PR विसर्जन
विसर्जन #कविता
read moreHP
Ink and Pain खत्म हो गई Ink जिन्दगी में देते-देते सहन करते-करते बढ़ गई दर्द मन-तन राख हो गई हड्डियाँ तो विसर्जन कर देना गंगा में! विसर्जन
विसर्जन
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