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New ग़ज़ल प्रकाश की Quotes, Status, Photo, Video

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Aman Raj Aaryan

#Lights खुशियों की #प्रकाश, #विचार

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काश कभी ऐसा भी हो जाए।सभीलोग अपने-अपने जीवन के खुशियों में खो जाए ।

©Aman Raj Aaryan #Lights खुशियों की #प्रकाश,

Dhaneshdwivediwriter

प्रकाश की तरफ #Anhoni

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लौट आये अंधेरे से हम फिर एक बार।
चमकने उजालों में हम फिर एक बार।।

©Dhanesh Dwivedi प्रकाश की तरफ

#Anhoni

Anamika Gupta

शायरी की ग़ज़ल

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ग़ज़ल 

मुहब्बत का' होगा असर धीरे धीरे। 
ज़माने को' होगी  ख़बर  धीरे धीरे॥ 
 
जो' करके गए थे मुहब्बत का' वादा, 
वो'  होते   गये   बेख़बर   धीरे धीरे। 

सनम जब  से तुम बेवफा हुए हो , 
मुहब्बत के' सूखे शजर धीरे धीरे।

तरन्नुम मे'  मैंने ग़ज़ल जब पढ़ी तो , 
हुई  मस्त महफ़िल, नगर धीरे धीरे।

जिधर देखिए अब दरिंदे खड़े हैं , 
बशर हो रहा जानवर धीरे धीरे ।

सभी  के लिए अनु दुआ  माँगती है, 
मिले सबको शुहरत मगर धीरे धीरे।
--अनामिका "अनु"
      गया , बिहार शायरी की ग़ज़ल

Sudha Tripathi

ग़ज़ल की शाम #शायरी

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आप सभी को आज रात 9:00 बजे आमंत्रित करती हूं
 पहली बार औपचारिक रूप से nojoto पे live show में आ रही हूँ

©Sudha Tripathi ग़ज़ल की शाम

Anamika Gupta

शायरी की ग़ज़ल

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किसी को किसी की ज़रूरत नहीं है। 
बशर  को  बशर से  मुहब्बत नहीं है।

तुम्हीं पे सभी कुछ ऐ जानम है वारा
कहूँ  कैसे तुमसे कि उल्फ़त  नहीं है।

हुई  है  मुहब्बत तुम्हीं  से  सजन रे 
कहूँ तुझसे कैसे कि हिम्मत नहीं है। 

बहुत ज्ञान बांचा रहम भी करो अब
मुझे ज्ञान की अब ज़रूरत नहीं है।

दरिंदे  हुए 'अनु'  बशर आज  देखो 
नजर में किसी की शराफ़त नहीं है।
-- अनामिका 'अनु'
      गयाजी शायरी की ग़ज़ल

अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "

#अंधकार से प्रकाश की ओर #बात

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5 अप्रेल जागरूकता के दीए घर-घर में जलायेंगे,
 संकल्प लिया है भारत ने कोरोनो को भगायेंगे ।

-प्रमोद मिश्रा #अंधकार से प्रकाश की ओर

Anit kumar kavi

#SolarEclipse2019 यह अंधकार छट जाएगा फिर से प्रकाश घिर आएगा, ये सूर्य ग्रहण है बस कुछ क्षण कुछ ही क्षण में चला जाएगा अजी सच ही तो कहते सब ये अंधकार नहीं टिक सकता है जहां सूर्य सत्य का शोभित हो प्रकाश  वहीं पर फैलता है । #कविता#अंधकार की #हार #प्रकाश की #जीत

Insan Ji

शब्दों की तलवार..... #ग़ज़ल

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 शब्दों की तलवार.....
#ग़ज़ल

amar

संजीव प्रभाकर की ग़ज़ल

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LAKSHMI KANT MUKUL

लक्ष्मीकांत मुकुल की ग़ज़ल #शायरी

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कोहरे से झांकता हुआ आया
मांगी थी रोशनी ये क्या आया

सूर्य - रथ पर सवार था कोई
उसके आते ही जलजला आया

घोंसले पंछियों के फिर उजड़े
फिर कहीं से बहेलिया आया

दूर अब भी बहार आँखों से
दरमियाँ बस ये फ़ासला आया

काकी की रेत में भूली बटुली
मेघ गरजा तो जल बहा आया

जो गया था उधर उम्मीदों से
उसका चेहरा बुझा बुझा आया

बागों में शोख तितलियां भी थीं
पर नहीं  फूल का पता आया

_लक्ष्मीकांत मुकुल लक्ष्मीकांत मुकुल की ग़ज़ल
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